Friday, June 19, 2020

#कहानी/नई राह

मोहित बचपन से ही मनमौजी था कभी किसी की बात सुनना या घर के कोई काम करना उसकी शान के खिलाफ था।
दिन भर दोस्तों के साथ घूमना  इधर उधर टाइम बर्बाद करना उसके दिनचर्या का हिस्सा था ; लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ कि मोहित बिल्कुल ही बदल गया।
मोहित अपने किसी जानने वाले को अस्पताल देखने गया था, जब वह अस्पताल से बाहर निकल रहा था तभी उसने देखा ,एक बूढ़ा घायल पड़ा हुआ था और उसके पास बैठी एक बूढ़ी महिला रो रही थी।
उनका हाल देखकर पहली नज़र में ही लग रहा था कि दोनों बहुत गरीब हैं।
कभी किसी की बात न सुनने वाला मोहित आज उन्हें देख कर न जाने कैसे उनके पास चला गया, " क्या हुआ अम्मा इन्हें??", मोहित ने बूढ़ी से पूछा।
फिसल कर गिर गए बेटा सर में चोट लगी है कित्ता खून बह गया।
फिर आपने इनका इलाज?? 
क्या करूँ बेटा डॉक्टर कह रहे हैं पहले रपट लिखा के आओ अक्सीडेंट का मामला है या क्या पता किसी ने मारने के लिए,, अब तुम्ही बताओ जब हम कह रहे हैं फिसल कर गिर गए फिर भी भर्ती नहीं करते,, औरत रोने लगीं।

आपके साथ ओर कोई नहीं है क्या??  आज ना जाने किस प्रभाव से मोहित द्रवित हो रहा था उसे उन लोगों पर तरस आ रहा था।

कोई नहीं है हमारा दुनिया में, हम दोनों ही रहते हैं अपनी झोंपड़ी में।
ये छोटा मोटा काम करके कुछ कमा लेते हैं उसी में दोनों गुजारा कर लेते हैं।
पर कई दिन से इन्हें कोई काम ना मिला अब काम नहीं तो रोटी भी नहीं बस इसी से कमज़ोरी में चक्कर खा कर गिर गए,, बुढ़िया माई लगातार रोये जा रही थी।

मोहित ने अस्पताल में हंगामा कर दिया, उसने लापरवाही के लिए सभी को झाड़ लगाई और उनकी शिकायत करने की धमकी दी।
अस्पताल बालो ने जल्दी ही बूढ़े व्यक्ति को भर्ती कर लिया,, मोहित ने अपने खर्चे पर उनका अच्छा इलाज करवाया, कोई दो तीन घण्टे में बूढ़े को होश आया गया इस बीच मोहित एक बोतल अपना ओर दो बोतल दोस्तों का खून बूढ़े को चढ़वा चुका था।
बुढ़िया न जाने कितनी आशीष मोहित पर वार रही थी जमाने की सारी दुआएँ उसके मुंह से मोहित के लिए निकल रही थी।
ओर इसी से हो रहा था मोहित का ह्रदय परिवर्तन।
मोहित बूढ़े के पूरी तरह ठीक होने तक रोज सुबह शाम अस्पताल का चक्कर लगाता रहा।
उसके बाद उसने अपने कुछ दोस्तों को साथ मिला कर उनके खाने की व्यवस्था भी कर दी।
मोहित अब सबकी मदद करने लगा, जब कोई उसे मदद के बदले आशीष दुआ देता है मोहित और विनम्र बन जाता है।
मोहित को ये सेवा कार्य बहुत आत्मसंतुष्टि देता है।
जल्द ही मोहित ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक सेवा ट्रस्ट बना लिया जिसमें असहाय बीमार कमज़ोर लोगों का सही इलाज और खाने पीने की व्यवस्था की जाती है।
मोहित अभी भी उस बूढ़ी माई का आशीर्वाद लेने जाता रहता है जिसने इसकी जिंदगी बदल कर उसे एक नई राह दे दी।

©नृपेन्द्र शर्मा "सागर"

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