चीनी चूहों को शेरों ने वो औकात दिखाई है।
लाठी और डंडों के बल पर दुगुनी लाश गिराई है।
सोचो बोनो क्या होता गर ये बंदूक उठा लेते।
बिना शस्त्र जब भारत वीरों ने तुमको धूल चटाई है।
ज्यादा मत उछलो बन्दर से यहाँ मदारी भी होते हैं।
तुम जैसे कितने बन्दर और बन्दरी हमने नचाई है।
ऐसा न ही मिट जाए विश्व पटल से नाम चीन का।
कई बार तुम जैसे दुश्मन की हस्ती हमने मिटाई है।।
नृपेन्द्र शर्मा "सागर"
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