Wednesday, June 17, 2020

#हॉरर/डर पर जीत

एक दिन अर्जुन और पंडित जेठ की भरी दोपहरी में किसी काम से जंगल गए थे।

सूरज की गर्मी से  तप कर जमीन भी पिघलती महसूस हो रही थी, सामने दूर देखने पर हवा में कुछ लहराता हुआ सा लग रहा था।
लोग कहते हैं ऐसी दोपहरी में सुनसान स्थानों तालाबों या नदी के किनारे अक्सर छलाबा या भूत मिल जाता है।

अर्जुन और पंडित दोनो मित्र भूत को मानते तो थे किंतु भूत से डरते नहीं थे ।
जैसे ही ये दोनों चिरागबाली तालाब के पास पहुंचने लगे इन्हें तालाब में कुछ बिचित्र हलचल दिखाई देने लगी इन्हें लगा तालाब में कोई जानवर पानी पी रहा है।
(चिरागबाली तालाब वह जगह है जहां लोगों के मरने के बाद उनके नाम का दिया जलाया जाता है। रात में अक्सर वहां बहुत सारे चिराग जलते दिखाई दे जाते हैं।)

थोड़ा आगे बढ़ने पर इन्होंने देखा कि वह एक बहुत बड़ी भैंस है, लेकिन ये क्या इतनी बड़ी भैंस,, यार ये तो हाथी से भी बड़ी लग रही है, अर्जुन बोला।

हाँ यार ओर इसका मुंह तो देख किसी घोड़े के जैसा लग रहा है, पंडित ने कहा।

क्या है ये यार, अर्जुन कुछ घबराते हुए बोला।
छलाबा है यार, डर मत बस इसे नजरअंदाज करता चल फिर ये खुद भाग जाएगा, पंडित चलते चलते बोला।

कैसे नजरअंदाज करू यार इतनी बडी चीज़ को, अर्जुन घबराते हुए बोला।

चुप चाप चलता रह इधर उधर मत देख, पंडित ने कहा।

और आगे चलता रहा।

अभी कुछ ही कदम बढ़ाए होंगे कि वह छलाबा बहुत तेज़ गधे की सी हिनहिनाहट करने लगा और देखते ही देखते, वह एक गधे के मुंह बाला बहुत लंबा आदमी बन गया जो तालाब के बीच में पानी मे खड़ा होकर भयानक घुर्राहट कर रहा था।

अर्जुन बहुत घबरा रहा था और पंडित के पीछे छिपने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसका बड़ा शरीर छोटे से पंडित के पीछे छिप नहीं पा रहा था।
फिर भी ये आगे बढ़ते हुए चलने लगे।

अब वह छलाबा बहुत तेज़ आवाज करते हुए अपने हाथ लंबे करके आसपास के पेड़ों की मोटी-मोटी डालियां तोड़कर तालाब में डालने लगा।
अर्जुन पंडित को डर लगने लगा था लेकिन पंडित जनता था कि उनका डर ही छलावे का सबसे बड़ा हथियार है और ये तालाब का पानी उसकी सीमा रेखा।

पंडित थोड़ा घूम कर तालाब से थोड़ा और दूर हो गया क्योंकि जाना तो इन्हें आगे ही था।

अचानक उन्हें किसी गाय के रंभाने की आवाज आई जैसे गाय रो रही हो।

इन्होंने देखा वह छलाबा बहुत बड़ा भेड़िया जैसा लग रहा था और उसने एक गाय को पकड़ा हुआ था।

इसकी तो साल निरीह गाय पर जोर दिखता है,,, कहते हुए अर्जुन ये भूल कर की वह छलावा है उस पर झपट पड़ा ।

अर्जुन रुक अरे रुक जा पहलवान,,, कहते हुए पंडित  भी उसके पीछे दौड़ा,, इधर छलाबा किसी आदमी की तरह जोर से हंसते हुए और लंबा होने लगा,,,
पंडित ने तालाब में पहुंचने से पहले ही अर्जुन के कंधे पर हाथ रख कर उसे रोक लिए ओर आंख से कुछ इशारा किया।

अब ये दोनों खेत से मिट्टी के ढ़ेले उठा कर उसे मारने लगे हर ढ़ेले की मार के बाद वह छोटा होने लगा और रोने जैसी आवाज निकलता हुआ तालाब में गायब हो गया।

ये दोनों दोस्त हंसते हुए आगे बढ़ गए,, इन्होंने अपने डर को हराकर, एक खतरनाक छलाबे को हरा दिया था।

नृपेन्द्र शर्मा "सागर"

9045548008

No comments:

Post a Comment