"बाबा..बाबा, मैं भी इंसान बनूँगा", चिंटू (चूहे) ने सबके सामने घोषणा की।
चिकचिक अवाक उसका मुंह देखता रह गया, "तुमसे किसने कहा कि चूहे इंसान बन सकते हैं?" उसने हैरानी से पूछा।
"मुझे पता है इंसान पहले चूहा था, फिर बंदर बना, उसके बाद आदि मानव, और फिर इंसान।" चिंटू एक सांस में कह गया।
"लेकिन तुम्हे ये कहा किसने चिंटू? रुको -रुको तुमने कल क्या खाया था? कहीं किसी वैज्ञानिक के घर तो....?" कुद्दु ने उसे आश्चर्य से देखते हुए कहा।
"क्या दद्दा आपको हमेशा मैं नशे में दिखाई देता हूँ क्या?", चिंटू गुस्से से बोला।
"और नहीं तो क्या, याद नहीं तुमने भेड़िये का मांस खाकर कैसे उधम मचाया था।" (पढ़ें,जैसा खाये अन्न और चिंटू की चतुराई) कुद्दु ने उसी रो में जवाब दिया।
"कुछ नहीं खाया मैंने; मैं तो बस्ती से बाहर भी नहीं गया, कहीं कुछ नहीं खाया।" चिंटू अभी भी मुंह बनाये हुए था।
"अच्छा ये तो बताओ तुम्हे ये शिक्षा किसने दी की मनुष्य पहले चूहा था फिर बन्दर बना फिर इंसान...।"सभी ने एक साथ उससे पूछा।
"लालूराम"
"क्या !!? क्या कहा तुमने 'लालूराम', अरे उसे कुछ नहीं पता; वह बस ऐसे ही लोगों को उलझलूल बातें सुनता रहता ह।"ै कुद्दु ने हँसकर कहा।
"एक बार गया था वह भी इंसान बनने, दो पैरो पर चलकर ।एक मदारी ने पकड़ लिया था उसे, उसके बाद बेचारा बहुत दिन तक डंडे के डर से इंसानो की नकल करता रहा।
उसी मदारी ने बार-बार अपने खेल में कहा कि बन्दर इंसान के पूर्वज हैं, और लालूराम को तभी से अपने ऊपर इंसान का पूर्वज होने का गर्व होने लगा।" कुद्दु हँसते हुए बताने लगा।
"एक दिन लालूराम बहुत मुश्किल से मदारी से छूट कर भागा तो किसी स्कूल में छिपा हुआ था, वहां इसने ये सुन लिया कि चूहे भी इंसान के पूर्वज हैं, तभी से हर किसी को लालू बस यही कहानी सुनाता है।" चिकचिक ने हँसते हुए आगे कहा और सारे चूहे चिंटू पर हँसने लगे।
"स्कूल वाले भला गलत क्यों पढ़ाएंगे??" मतलब सच में चूहे इंसान के पूर्वज हैं, तभी तो अपनी किताबों में लिखा उन्होंने।
मैं भी जाकर डॉक्टरों से मिलूंगा, अरे आप लोगों को पता नहीं अब तो मनुष्य ने विज्ञान में इतनी तरक्की कर ली है की किसी की भी सर्जरी करके उसका रूप बदल सकते है।
मैं सबसे पहले तो अपनी दुम हटवाउंगा, कितनी बदनाम है ये दुम,, चूहे की दुम, चिंटू मुंह बनाकर बोला।
उसके बाद अपनी मूँछे सही करवाऊंगा ओर थोड़ा अपने कान ओर नाक..,
उसके बाद मैं अपने पैर और कमर सीधी करवाकर दो पैरों पर चलने लगूँगा, फिर बस बन गया मैं इंसान।
मैं कल ही लैबोरेट्री जाऊँगा " चिंटू आत्मविश्वास से भरकर बोला।
"क्या!!..? क्या कहा तूने.. लैबोरेट्री??" चिकचिक लगभग चीख ही पड़ा।
"बिल्कुल नही जाओगे तुम वहाँ। चिकचिक ने नाराज़ होकर कहा।
तुम्हे पता है, ये निर्दयी इंसान अपने अतीत (जिससे उसका मोई मतलब नहीं ) उसे जानने के लिए कितने जीवों को बेदर्दी से मरता है इन लेबोरेट्री में।
अरे कितने मेंढक, कितने केंचुए, कितने कॉकरोच, कितने खरगोश, और न जाने कितने चूहों की कत्लगाह हैं इनकी ये लैबोरेट्री।
एक ओर तो ये भगवान को पूजते हैं जो बिल्कुल इन्ही की तरह दिखते हैं और मानता है कि ईस्वर तब भी था जब कुछ भी नहीं था, जीवन शुरू भी नहीं हुआ था तब।
ओर जनता है ईश्वर प्रलय (कयामत) के बाद भी रहेगा।
अरे जब ईस्वर हमेशा इंसान के जैसा दिखता है तो उसका बनाया इंसान कैसे चूहे या बन्दर जैसा रहा होगा, लेकिन इंसान को कोन समझाए। तुम ही सोचो चिंटू, हमारे आदि मूषक मूषकराज , युगों से आदि देव महागणेश जी के साथी हैं लाखों बार उनसे स्पर्श भी होते हैं, लेकिन क्या आज वह तक इंसान बने।
चिंटू ये सब इंसानो का लालच है कि किसी जंतु के शरीर की बनाबट उनके जैसी हो तो उसे ढूंढो ताकि इंसान उस पर अपनी बीमारियों और नयी दवाईयों का परीक्षण कर सके।
अरे लाखो घोघे तो सिर्फ खून का रंग देखने के लिए कत्ल कर दिए जाते हैं इन प्रयोगशालाओं में।
चिंटू तुम बिल्कुल नही जाओगे किसी लैब में, हम नहीं चाहते कि तुम वहां किसी लैबोरेटरी में इंसानी खुराफात का साधन बनो ओर उनके किसी परीक्षण का हिस्सा बनकर ....।"चिकचिक की आवाज दुख के आंसुओं से भीग गयी और वह आगे कुछ ना कह सका।
और चिंटू दौड़ कर चिकचिक के गले लग गया, उसके चेहरे पर पश्चताप के भाव थे।
मित्रों क्या लैब में परीक्षण के नाम पर निर्बोध जानवरों का कत्ल उचित है, क्या वह अमानवीय नहीं है?
नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
9045548008