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Thursday, July 22, 2021

चिंटू का सपना

दोस्तों उम्मीद है आप लोग चिंटू चूहे की नहीं भूले होंगे।
क्या कहा कौन चिंटू?? अरे वही 'चिंटू की चतुराई' वाला जिसने 'कालिया लहरी' मेरा मतलब खूंखार साँप को दफन कर दिया था।
क्या कहा अभी भी याद नहीं आया??☺️ 
अरे वही चिंटू जो 'जैसा खाये अन्न' में खुद को भेड़िया समझने लगा था और फिर लैबोरेटरी जाकर 'इंसान बनने' वाला था।
कुछ लोगों को जरूर याद आ गया होगा लेकिन जिन्हें याद नहीं आया उन्हें बता दूँ की चिंटू एक चूहा है जो रेटोरी में रहता है।
पहले सारी चूहा बिरादरी कालिया लहरी के आतंक से भयभीत थी लेकिन एक दिन चिंटू की चतुराई से चूहों ने कालिया को जमीन में दफन कर दिया। 
उसके बाद चूहों पर कुछ बड़े जानवरों का खतरा मंडराता रहता था तो चिंटू भेड़िये का माँस खाकर खूँखार बन गया और उससे सारे बड़े जानवर डरने लगे और उसके बाद चिंटू ने मनुष्यों के बीच कुछ दिन रहकर विज्ञान आदि का ज्ञान प्राप्त किया और चूहों की मदद से एक मजबूत किला बनाकर उसमें अपनी बस्ती बनाई जिसका नाम इन्होंने रखा' रेटोरी।
रेटोरी नदी के सबसे ऊँचे किनारे पर पत्थरों के बीच बना एक सुरक्षित स्थान था।
चिंटू अब इतना चालक हो चुका था कि नदी किनारे पर आती मछलियों का शिकार कर लेता था। 
वह मनुष्यों के स्कूल और लेबोरेट्री में छिप कर जाता था और नई नई चीजें सीखता था।
एक दिन चिंटू ने सारे चूहों की एक सभा बुलायी।
  
"जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम चूहे दुनिया में सबसे कमजोर प्राणी माने जाते हैं। लोग हमारे कमज़ोरी को हमारे नाम से परिभाषित करते हैं जैसे:-इसका दिल चूहे जैसा है। या फिर ओये! क्या चूहे की तरह बिल में छुपा है। 
और तो और ये गाना भी बना लिए, कहीं मारे डर के चूहा तो नहीं हो गया...
जबकि हम ना तो बुद्धि में किसी से कम हैं और ना ही बल में। इसका परिचय कितनी बार हम लोग अपने कामों से दे चुके हैं। 
मुझे अपनी बिरादरी को कमज़ोर कहे जाने पर एतराज है और मैं चूहा बिरादरी पर लगे इस कमज़ोरी के ठप्पे को मिटाना चाहते हूँ।
मेरा एक सपना है कि संसार चूहों को सम्मान दे और हमें कमज़ोरी एवं भय का पर्याय ना समझा जाये।
इसके लिए मेरी एक योजना है कि मैं इस 'रेटोरी' चूहा लैंड में एक स्कूल खोलूँ। मेरे स्कूल में मनुष्यों की तरह बेकार का पुराना रट्टा न लगाया जाए। ना ही बीती बातों को घोटा जाए और ना ही हर शिक्षा के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज खोले जाएं।
बल्कि मैं एक ऐसा विस्तरित कॉलेज खोलना चाहता हूँ  जिसमें पहले पाँच साल अक्षर ज्ञान और हिसाब-किताब सिखाने के बाद बच्चे अपनी रुचिअनुसार तकनीकी ज्ञान ले सकें। हमारे स्कूल में कारखाने भी होंगे और अस्पताल भी। पुस्तकालय भी होंगे और लेबोरेट्री भी। गणित, भूगोल, विज्ञान भी होगा इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, मेकेनिकल और वास्तुकला भी। यहा विद्यालय दिन रात खुला रहेगा और इसमें पढ़ने वाले बच्चे अपनी सुविधा अनुसार किसी भी समय अपनी पढ़ाई कर सकेंगे।
इस विद्यालय में परीक्षा नहीं प्रोत्साहन और मार्गदर्शन होगा। यहाँ कोई भी बच्चा कभी भी अपनी रुचि का कोई भी काम सीख सकेगा जो आगे उसकी आजीविका में सहायक हो सके। यहाँ हम बच्चों को नौकरियों के लिए नहीं बल्कि स्वमं के विकाश के लिए तैयार करेंगे।
यहाँ के बच्चे एक समान शुल्क में ही अध्यापक, डॉक्टर, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर एक्सपर्ट, आदि सब कुछ बनेंगे तो उसी के साथ टेक्नीशियन मिस्त्री और चित्रकार भी बनेंगे।
हमारे स्कूल में बच्चे  किताबी ज्ञान नहीं लेंगे बल्कि उन्हें हर विषय खुद करके सीखो के आधार पर पढाया जायेगा और जो विद्यार्थी कारखाने या अस्पतालों में सेवा देकर शिक्षा लेंगे उन्हें उचित पारिश्रमिक भी दिया जाएगा। ऐसे कुछ ही दिन में हमारे पास ऐसे शिक्षित युवा होंगे जी कागजी डिग्रियां लेकर नौकरी माँगने वालों की बेकार फौज की जगह खुद रोजगार उतपन्न करेंगे और नई-नई चीजें बनाकर हमारे रेटोरी के विकाश में योगदान देंगे। मेरा सपना है कि मैं किताबी ज्ञान वाले युवाओं की जगह हर युवा को किसी ना किसी क्षेत्र में पारंगत बना दूँ जो स्वमं का राष्ट्र का और मानवता का विकाश करने में सक्षम हों।" चिंटू ने लंबा-चौड़ा भाषण दिया।

"अरे चिंटू आज फिर लगता है तू कुछ उल्टा-पुल्टा खाकर आ गया?" कुद्दु दद्दा ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
"नहीं दद्दा मैं कुछ खाकर नहीं आया हूँ बल्कि इतने दिन इंसानों के बीच रहकर जीवन का सच्चा ज्ञान सीखकर आया हूँ। मैंने देखा है कि इंसान ज्यादातर स्कूलों में नौकरी माँगने वाले क्लर्क बना रहा है जिनकी भीड़ बढ़ती जा रही है और उसके पास अस्पताल और कारखाने के अच्छे तकनीक कर्मचारियों की भारी कमी है।
मैं उनके बीच रहकर उनकी एक गलत नीति को अच्छे से पहचान चुका हूँ जो है उनकी अनुचित शिक्षा पद्धति। 
लेकिन मैं एक सपना देखकर आया हूँ जो उस नीति को बदलकर एक नई क्रांति लाएगी और यदि हमारी ये योजना सफल हुई तो वह दिन दूर नहीं जब सारी दुनिया हमारे रेटोरी के उदाहरण देती घूमेगी और हमसे सीखने आएगी।
हमारे स्कूल में बच्चे जवान भी बनेंगे किसान भी बनरंगे और वैज्ञानिक भी। 
हम एक ही प्रांगण में सारी पद्धति उपलब्ध कराएँगे।
और यहाँ किसी बच्चे पर उसकी रुचि के विरुद्ध कुछ नहीं थोपा जाएगा। हम प्रयास करेंगे कि हर बच्चा ऐसी शिक्षा लेकर जाए कि वह एक दिन भी बेरोजगार ना रहे।"  चिंटू ने फिर अपना विचार सबको बताया।
"ठीक है मेरे बेटे, तुम्हारी इस योजना पर मुझे गर्व है और तुम्हारे इस सपने को पूरा करने के हर कार्य में हम सभी का पूरा सहयोग तुम्हें मिलेगा।" चिंटू के बाबा ने कहा।
चिंटू ने झुककर अपने बाबा के पैर छुए और उन्होंने उठाकर उसे गले लगा लिया।
चिंटू की इस अनोखी यूनिवर्सिटी के लिए जमीन की तलाश जारी है।
हम भी चिंटू की योजना के लिए उसे शुभकामनाएं देते हैं।

नृपेंद्र शर्मा "सागर"

Thursday, June 18, 2020

#कहानी/जैसा खाये अन्न

कुछ दिन से  चिंटू(चूहे) में जीवन मे कुछ अलग अनुभव हो रहा है, वह जब भी किसी छोटे जानवर को देखता उसके मुंह से भेड़िये जैसी गुर्राहट निकलने लगती, उसकी मूंछे खड़ी हो जाती उसकी नाक भी कजकल कुछ ज्यादा ही सूंघने लगी है।
कई बार तो अपनी इस वहशियाना स्थिति में वह अपने कई बिरादरी वालों को भी घायल कर चुका है।
चान्दनी रात में तो उसकी स्थिति और भयावह होने लगी है कल पूर्णिमा की रात में उसे कई बार वहशियत के दौरे पड़े उसने एक खरगोश को मार डाला, एक बिल्ले से भिड़ गया और घायल होने से पहले बिल्ले को लगभग मार ही डाला होता उसने अगर वह भाग ना गया होता।

सारे चूहा बिरादरी उसकी इस हालत से बहुत डरे डरे से सहमे से हैं।
उन्हें चिंटू से अपनी जान का खतरा होने लगा था, वह अपने बच्चों को उससे छिपाने लगे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ये चिंटू को आखिर हो क्या गया है, वह अचानक चूहे से भेड़िया कैसे बन गया?

अरे चिंटू तुझे याद भी है क्या हुआ था जब से तेरे ये हालात हुए  कुद्दु दादा ने चिंटू को शांत बैठे देख बहुत डरते डरते धीरे से पूछा।
मुझे कुछ नहीं मालूम दादा बस उस दिन मैंने एक नारे जानवर की हड्डी पर लगा मांस का टुकड़ा खाया था उसके बाद से पता नहीं मुझे क्या हो गया, चिंटू अफसोस करते हुए बोला।
ऑफ़ह!!तूने जरूर किसी नरभक्षी भेड़िये का मांस खा लिया चिंटू,,दादा अभी कह ही रहे थे कि सामने से एक लोमड़ी गुजरी ओर चिंटू ने गुर्राते हुए उसपर छलांग लगा दी चिंटू इतनी तेजी से उसकी गर्दन पर झपटा की जबतक वह सम्भल पाती चिंटू  उसकी गर्दन से मांस का एक बड़ा टुकड़ा नोच चुका था, ये देखकर दादा डर कर न जाने जब बिल में सरक गए पता भी न चला।

चिंटू के ख़ौफ़ और वहशी दरिंदा बनने के चर्चे पूरे जंगल में फैल चुके थे, छोटे तो छोटे अब तो बड़े जानवर भी उससे बचने ओर अपने छोटे बच्चों को उससे छिपाने लगे थे।

चिंटू खुद भी बहुत परेशान था कि आखिर उसे हो क्या जाता है, उसे तो कुछ याद भी नहीं रहता कि उसने किया क्या था बस देखता है खुद को घायल और साथियों को आश्चर्यचकित होता।

आजकल चिंटू अकेला हो गया है उसके वहशियत भरे दौरों के चलते अब उसके सारे परिवार और विरादरी बालों ने उससे दूरी बना ली है।
चिंटू अब कालिया लहरी की कब्रगाह (पढ़िए कहानी "चिंटू की चतुराई")
में रहता है बिरादरी से दूर अकेले में, लेकिन उधर से बाकी जानवर भी बहुत सावधानी से गुजरते हैं, यूँ तो चिंटू दिन में हमेशा शांत ही रहता है लेकिन शाम होते ही रोज खूनी दरिंदा बन जाता है।
अभी कल ही की बात है, दो भेड़िये इधर शिकार की तलाश में आ गए शायद बाहर किसी जंगल से आये थे उन्हें चिंटू के बारे में पता नहीं था।
सर्दी की रात थी चाँद की चान्दनी फैली थी ओस की बूंदें मोती की तरह चमक रही थीं और चिंटू उनसे खेलने में मग्न था तभी उसे अपने पीछे कुछ सरसराहट सुनाई दी उसके कान खड़े हो गए, नाक हवा में सूंघने लगी उसकी आंखें चमकने लगी मूंछ के बाल बरछी की तरह खड़े हो गए।
उसके मुंह से भेडिये जैसी ही गुर्राहट निकलने लगी और वह झपट पड़ा उसके शिकार की घात में बढ़ते भेड़ियों पर।

चिंटू का हमला इतना तेज था कि भेड़िये संभल भी न सके  तब तक चिंटू दोनों के गले की खाल उधेड़ चुका था।
दोनों भेड़िये सतर्क हो गये उन्हें समझ आ गया कि ये छोटा चूहा बहुत खतरनाक है।
दोनों शिकारी संयुक्त रूप से चिंटू पर हमला करने लगे किन्तु चिंटू बहुत होशियारी से उनके दांव पैंतरा बदल के चुका देता और किसी की पूंछ तो किसी का पैर कुतर देता।
दोनों भेड़िये उसकी फुर्ती ओर ताकत से सकते में थे चिंटू उनसे बिल्कुल किसी शिकारी भेड़िये की तरह ही लड़ रहा था।
लड़ते लड़ते आधी रात हो गयी दोनों पक्षों के खून से जमीन पर निशान बन गए लेकिन कोई भी पक्ष हार नहीं मान रहा था।
भेड़िये समझ चुके थे कि उसकी फुर्ती और शक्ति कुछ और है ये चूहे की ताकत नहीं है दोनों भेड़िये थकने लगे थे और अंततः चिंटू के आगे भेड़िये हार गए , दोनों भेड़िये एक ओर जंगल में भाग गए।
चिंटू का भी इस लड़ाई में बहुत खून बह गया था अतः वह भी बेशुध होकर जमीन पर गिर गया।
सुबह कुछ चूहों ने चिंटू को ऐसे जमीन पर पड़ा देखा और आसपास बिखरा खून देख कर समझ गए कि रात फिर चिंटू ने किसी शिकारी जानवर से खूनी संघर्ष किया है लेकिन ये ऐसे क्यों पड़ा है?? क्या चिंटू मर गया?? 
चूहों की बस्ती में हल्ला मचा हुआ था कि चिंटू मर गया,,, रात उससे भेडियो की लड़ाई हुई वहां पंजो के निशान हैं , सभी चूहे चर्चा कर रहे थे इधर चिंटू लड़खड़ा कर उठा और उसके मुंह से आवाज आई "माँ' ,,,
"चुकचुक" (चिंटू की मां) जो पास ही थी दौड़ कर उसके पास आयी और उसे सहारा देकर उठाने लगी, बाकी चूहे भी उसके सहायता को दौड़ आये,हालाँकि चिंटू के वहशी पन का ख़ौफ़ अभी भी उनके दिलों में था।

अब चिंटू ठीक हो गया है और अब वह दरिंदा भी नहीं बनता वह पूरी तरह सामान्य हो चुका है।
ये चमत्कार कैसे हुआ दद्दा मैं ठीक कैसे हुआ ?उसने, "कुद्दु" से पूछा।
उस लड़ाई में तेरा बहुत खून बह गया था चिंटू ओर उसी के साथ बह गया तेरे अंदर से खूंखार भेड़िये का अंश, अनुभवी दादा ने उसे समझाया।
सारे चूहे जान गए थे कि चिंटू अब फिर से चूहा बन चुका है, लेकिन ये बात उन्होंने जंगल से छिपा कर रखी हुई है और बाकी जंगली जानवरों के लिए चिंटू अभी भी दरिंदा ही है और उसके इस खोफ से चूहों की बस्ती सुरक्षित है।

दोस्तो ऐसे ही कई बार हमारे जीवन में भी अचानक परिवर्तन होते हैं, जैसे अच्छे भले निकले शाम की बीमार हो गए।
अचानक किसी को नुकसान पहुँचाने के ख्याल आने लगे, त बैठे बैठे कुछ भी अजीब लगने लगे तो,,,
"एक बार ये अवश्य सोच लें कि आज क्या खाया और किसका खाया"
क्योंकि
"जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन"
©नृपेन्द्र शर्मा "सागर"
9045548008 my wtsp No.

#कहानी/ चिंटू की चतुराई


चिन्टू एक नन्हा चूहा है चिकचिक ओर चुकचुक की इकलौती औलाद।
यूँ तो चुकचुक को कई बार प्रसव हुआ कई संताने जन्मी लेकिन हर बार कालिया लहरी उनको जिंदा निगल गया।
कालिया एक बहुत बड़ा नाग है जो चलते चूहों उछलते मेंढकों ओर चिड़ियों के अंडों पर अपना जन्मजात अधिकार समझता है।
चिन्टू भी अभी तक इसीलिए बचा हुआ है कियूंकि उसके बाहर खुले में घूमने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है।
आसपास के सारे चूहा परिवार इसी दंश से पीड़ित हैं कि कालिया लहरी उनके वंश को मिटाने पर तुला है।
किसी का एक तो किसी के दो बच्चे बमुश्किल बचे हुए हैं।
सारे चूहे कालिया का नाम सुनकर थरथर कांपने लगते हैं।

हम ऐसे कब तक कालिया के भय से मरणासन्न जीवन जिएंगे?? चिन्टू ने चूहों के सामने प्रश्न रखा।

क्या करें हम बेटा चिन्टू, अगर लहरी चाहे तो हम सभी को एक बार में ही निगल सकता है।
हम चूहे हैं और वह नाग, एक बूढ़े चूहे ने आंसू गिराकर कहा।

तो क्या हम कभी जी नहीं पायेंगे?? और फिर ऐसे डर डर कर जीने से तो अच्छा है कि हम उसका भोजन ही बन जाएं।
लेकिन चिन्टू यूँ जानबूझ कर मौत के मुंह में कोन जाना चाहेगा?, चिकचिक ने उदासी से कहा।
किउं ना हम सारे मिलकर एक साथ उस पर हमला करके उसे काट खाएं क्या होगा ज्यादा से ज्यादा दो चार लोगों को खा जाएगा लेकिन आने वाली पीढ़ी तो उसके भय से सुरक्षित हो जाएगी।
लेकिन कौन कुर्बानी देगा?? सभी के चेहरे लटक गए और सब चूहे चुपचाप सर झुका के चले गए।

बहुत हो चुका अब, कब तक हमारे लोग कालिया का निवाला बनते रहेंगे??आज उसने टुक टुक के बच्चे निगले हैं कल सुनिया को खा गया था हो सकता है कल को मुझे या आपमें से किसी को,,, चिन्टू गुस्से से बिफर रहा था।
टुक टुक ओर टिक टिक सर झुकाये आंसू बहा रहे थे ,अभी तो मेरे बच्चों ने आंखे भी नहीं खोली थी बेटा चिन्टू, टिकटिक जोर से रोने लगी।
अब रोने से क्या होगा चाची, हम बुजदिल चूहे क्या बस रोते ही रहेंगे, ?
नहीं अब बस,अब हमें कुछ करना ही होगा चिन्टू कुछ निश्चय करके खड़ा हो गया।
लेकिन क्या?? सभी ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा।
हमें एक बिल तैयार करने में कितना समय लगता है बतातो?? चिन्टू ने सभी चूहों से पूछा।

ज्यादा से ज्यादा चार पांच दिन, सभी ने एक मत से जबाब दिया।

तो क्या आप सभी मुझे अपने पांच दिन देंगे?? चिन्टू ने पूछा।

हाँ हाँ सभी एक स्वर में बोले।
तो ठीक है ध्यान से सुनो ओर समझो, ओर चिन्टू उन्हें अपनी योजना समझाने लगा।

उस घटना को आज सात दिन हो गए इस बीच एक भी चूहा बाहर घूमता नही मिला कालिया बहुत परेशान है कि सारे चूहे गए कहाँ, वह भूख से परेशान था।
गुनगुनी धूप खिली हुई है कालिया सर को घास की छाया में किये धूप का मज़ा ले रहा है तभी एक चूहा तेज़ी से उसके सामने से निकल गया, कालिया चौकन्ना हो गया उसे चूहे की गंध अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
कालिया ने सर उठा कर देखा चिन्टू चूहा लापरवाही से एक झाड़ी के पास बैठा कुछ कुतर रहा है।
कालिया खुशी से झूम उठा और सावधानी से उसके पीछे रेंगने लगा जैसे ही कालिया ने चूहे पर झपट्टा मार चूहा बिल में सरक गया और उसके पीछे कालिया भी बिल में घुस गया कालिया बिल में दूर अंधेरे में चूहे की गंध सूंघता घुसता चला गया, आगे बिल की चौड़ाई बहुत कम थी और कालिया उसमें लगभग फंस ही गया और इससे पहले की वह बापस लौटता उसके ऊपर कंकर पत्थर और मिट्टी का ढेर गिरने लगा ।
कालिया बहुत कोशिशों के बाद भी हिल ना सका और उस बिल में ही उसकी जीवित कब्र बन गयी।
आज उसका लालच उसके पापों पर भारी पड़ गया।
चिन्टू ने उसके लिए एक ऐसी योजना बनाई थी जिसमें एक लंबा पतला बिल था जिसमें सैकड़ो बिल जुड़े हुए थे, उनमें चूहों ने छोटे छोटे कंकर पत्थर और मिट्टी भर रखी थी।
जब कालिया चिन्टू के पीछे बिल में घुसा तो चिन्टू तो घूम कर दूसरे बिल में घुस कर दूसरी ओर निकल गया और बाकी चूहों ने मिट्टी कंकर सरकाकर कालिया को दफन कर दिया।
सारे चूहे चिन्टू की चालाकी की प्रसंशा कर रहे थे और चिन्टू को अपना राजा बना कर जय जय कार कर रहे थे।

©नृपेन्द्र शर्मा"सागर"

#कहानी/ इंसान बनूँगा

"बाबा..बाबा, मैं भी इंसान बनूँगा", चिंटू (चूहे) ने सबके सामने घोषणा की।

चिकचिक अवाक उसका मुंह देखता रह गया, "तुमसे किसने कहा कि चूहे इंसान बन सकते हैं?" उसने हैरानी से पूछा।

"मुझे पता है इंसान पहले चूहा था, फिर बंदर बना, उसके बाद आदि मानव, और फिर इंसान।" चिंटू एक सांस में कह गया।

"लेकिन तुम्हे ये कहा किसने चिंटू? रुको -रुको तुमने कल क्या खाया था? कहीं किसी वैज्ञानिक के घर तो....?" कुद्दु ने उसे आश्चर्य से देखते हुए कहा।
"क्या दद्दा आपको हमेशा मैं नशे में दिखाई देता हूँ क्या?", चिंटू गुस्से से बोला।

"और नहीं तो क्या, याद नहीं तुमने भेड़िये का मांस खाकर कैसे उधम मचाया था।" (पढ़ें,जैसा खाये अन्न और चिंटू की चतुराई) कुद्दु ने उसी रो में जवाब दिया।

"कुछ नहीं खाया मैंने; मैं तो बस्ती से बाहर भी नहीं गया, कहीं कुछ नहीं खाया।" चिंटू अभी भी मुंह बनाये हुए था।

"अच्छा ये तो बताओ तुम्हे ये शिक्षा किसने दी की मनुष्य पहले चूहा था फिर बन्दर बना फिर इंसान...।"सभी ने एक साथ उससे पूछा।

"लालूराम" 

"क्या !!? क्या कहा तुमने 'लालूराम', अरे उसे कुछ नहीं पता;  वह बस ऐसे ही लोगों को उलझलूल बातें सुनता रहता ह।"ै कुद्दु ने हँसकर कहा।

"एक बार गया था वह भी इंसान बनने, दो पैरो पर चलकर ।एक मदारी ने पकड़ लिया था उसे, उसके बाद बेचारा बहुत दिन तक डंडे के डर से इंसानो की नकल करता रहा।
  उसी मदारी ने बार-बार अपने खेल में कहा कि बन्दर इंसान के पूर्वज हैं, और लालूराम को तभी से अपने ऊपर इंसान का पूर्वज होने का गर्व होने लगा।" कुद्दु हँसते हुए बताने लगा।

"एक दिन लालूराम बहुत मुश्किल से मदारी से छूट कर भागा तो किसी स्कूल में छिपा हुआ था, वहां इसने ये सुन लिया कि चूहे भी इंसान के पूर्वज हैं, तभी से हर किसी को लालू बस यही कहानी सुनाता है।" चिकचिक ने हँसते हुए आगे कहा और सारे चूहे चिंटू पर हँसने लगे।


"स्कूल वाले भला गलत क्यों पढ़ाएंगे??" मतलब सच में चूहे इंसान के पूर्वज हैं, तभी तो अपनी किताबों में लिखा उन्होंने।
मैं भी जाकर डॉक्टरों से मिलूंगा, अरे आप लोगों को पता नहीं अब तो मनुष्य ने  विज्ञान में इतनी तरक्की कर ली है की किसी की भी सर्जरी करके उसका रूप बदल सकते है।
मैं सबसे पहले तो अपनी दुम हटवाउंगा,  कितनी बदनाम है ये दुम,, चूहे की दुम, चिंटू मुंह बनाकर बोला।
उसके बाद अपनी मूँछे सही करवाऊंगा ओर थोड़ा अपने कान ओर नाक.., 
उसके बाद मैं अपने पैर और कमर सीधी करवाकर दो पैरों पर चलने  लगूँगा, फिर बस बन गया मैं इंसान।
मैं कल ही लैबोरेट्री जाऊँगा " चिंटू आत्मविश्वास से भरकर बोला।

"क्या!!..? क्या कहा तूने.. लैबोरेट्री??" चिकचिक लगभग चीख ही पड़ा।

"बिल्कुल नही जाओगे तुम वहाँ। चिकचिक  ने नाराज़ होकर कहा।
तुम्हे पता है, ये निर्दयी इंसान अपने अतीत (जिससे उसका मोई मतलब नहीं ) उसे जानने के लिए कितने जीवों को बेदर्दी से मरता है इन लेबोरेट्री में।
अरे कितने मेंढक, कितने केंचुए, कितने कॉकरोच, कितने खरगोश, और न जाने कितने चूहों की कत्लगाह हैं इनकी ये लैबोरेट्री।

एक ओर तो ये भगवान को पूजते हैं जो बिल्कुल इन्ही की तरह दिखते हैं और मानता है कि ईस्वर तब भी था जब कुछ भी नहीं था, जीवन शुरू भी नहीं हुआ था तब।
ओर जनता है ईश्वर प्रलय (कयामत) के बाद भी रहेगा।
अरे जब ईस्वर हमेशा इंसान के जैसा दिखता है तो उसका बनाया इंसान कैसे चूहे या बन्दर जैसा रहा होगा, लेकिन इंसान को कोन समझाए। तुम ही सोचो चिंटू, हमारे आदि मूषक मूषकराज , युगों से आदि देव महागणेश जी के साथी हैं लाखों बार उनसे स्पर्श भी होते हैं, लेकिन क्या आज वह तक इंसान बने।

चिंटू ये सब इंसानो का लालच है कि किसी जंतु के शरीर की बनाबट उनके जैसी हो तो उसे ढूंढो ताकि इंसान उस पर अपनी बीमारियों और नयी दवाईयों का परीक्षण कर सके।

अरे लाखो घोघे तो सिर्फ खून का रंग देखने के लिए कत्ल कर दिए जाते हैं इन प्रयोगशालाओं में।

चिंटू तुम बिल्कुल नही जाओगे किसी लैब में, हम नहीं चाहते कि तुम वहां किसी लैबोरेटरी में इंसानी खुराफात का साधन बनो ओर उनके किसी परीक्षण का हिस्सा बनकर ....।"चिकचिक की आवाज दुख के आंसुओं से भीग गयी और वह आगे कुछ ना कह सका।
और चिंटू दौड़ कर चिकचिक के गले लग गया, उसके चेहरे पर पश्चताप के भाव थे।
मित्रों  क्या लैब में परीक्षण के नाम पर निर्बोध जानवरों का कत्ल उचित है, क्या वह अमानवीय नहीं है? 
नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
9045548008