Thursday, December 26, 2019

लाल बत्ती की मोहब्बत,

# रेड लाइट एरिया
शहर का एक पुराना इलाका, बेहद सकरी गलियाँ और ऊँची-ऊँची इमारतें।
दिन में लगभग सुनसान रहने वाले इस इलाके में शाम होते ही चहल-पहल शुरू हो जाती है, गलियां इत्र और फूलों की सुगंध से महक जाती हैं।
सजी-धजी लड़कियाँ और महिलाएं, खिड़कियों और छज्जे पर आकर झाँकने लगती हैं।
साथ ही आने लगती है उनकी आवाजे,"अरे चिकने आजा मेरे साथ बैठ, आज की रात तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ। अरे देखता क्या है आजा ऊपर, पूरी एरिया में मेरे जैसी नहीं मिलेगी।"
उनके भद्दे इशारे और हँसी की आवाजें, पूरी गली में बस यही होने लगता है।
इस इलाके का नाम है, 'रेड लाइट एरिया' जहाँ शाम होते ही कितने शरीफजादे, युवा, अधेड़ और बुजुर्ग तक शाम के गहराते ही, अंधेरे में मस्ती की तलाश में छिप कर पहुंचते है।
इनमें से एक गली में एरिया का इकलौता मेडिकल स्टोर है, जहाँ दवाइयां तो बस नाम मात्र को ही बिकती हैं, लेकिन महँगे कॉन्डम, पौरुष शक्ति बढ़ाने की दवाइयां, क्रीम, जैल एवं टिशू पेपर भारी मात्रा में बिकते हैं। साथ ही कुछ सेनेट्री पैड, कॉटन एवं कभी-कभी एंटीसेप्टिक क्रीम और दवाइयाँ भी बिकती हैं।
इस मेडिकल स्टोर पर दवाई सप्लाई करने, वह लगभग रोज ही इन गलियों में आता था, कोई बीस-बाईस वर्ष का औसत दिखने वाला सांवला सा मोनू।
मोनू जिस होल सेल स्टोर पर काम करता था वह स्टोर शहर के दूसरे छोर पर है, इसलिए मोनू को इस दुकान पर आने में अक्सर शाम हो ही जाती थी, कभी-कभी तो रात के आठ-नौ तक बज जाते थे, उस समय ये देह बाजार अपने पूरे शबाब पर होता है।
मोनू को अक्सर ये आवाजे सुनने को मिलती थी,"ओ चिकने!! आजा कुछ मस्ती कर ले, अर्रे ज्यादा सोच मत आजा, मैं तुझे कनशेशन भी दूँगी।
एक बार देख तो नजर उठा कर, ऐसा मस्त माल तुझे पूरे एरिया में नहीं मिलेगा।"
लेकिन मोनू बस अपने काम से काम रखता था, वह चुपचाप नजरे नीचे किये इस, 'इस लाल बत्ती'(मोनू इस जगह को लाल बत्ती ही कहता था) की गलियों से गुजर जाता था।
मोनू इस बदनाम इलाके में आना नहीं चाहता था, लेकिन अपने काम के लिए उसे ना चाहते हुए भी, लगभग रोज ही इस 'लाल बत्ती एरिया' में आना पड़ता था।
उस दिन भी मोनू अपनी साईकल का हैंडल पकड़े, पैदल ही धीरे-धीरे गली से गुजर रहा था।
इस तंग गली में भीड़भाड़ के चलते साईकल पर बैठ कर निकलना लगभग असंभव होता है, तो वह साईकल पर पीछे सामान लादे रोज की तरह पैदल ही जा रहा था।
अचानक उसके कानों में एक मधुर हँसी की खनक पड़ी औऱ ना चाहते हुए भी उसकी नज़रें ऊपर उठ गयीं।
सामने छज्जे पर एक बहुत खूबसूरत, सजी-धजी कमसिन युवती खड़ी मुस्कुरा रही थी।
जैसे ही मोनू की नज़रे उसकी नजरों से मिली, वह अपनी एक आँख दबाकर अदा से मुस्कुरायी और गर्दन हिला कर उसे ऊपर आने का इशारा करने लगी।
मोनू उसकी इस हरकर से सकपका गया और नज़रे झुका कर तेजी से आगे बढ़ गया।
उसकी इस हालत पर वह युवती खिलखिला कर हँसने लगी, उसकी हँसी की आवाज देर तक मोनू के कानों में मधुर रस घोलती रही।
उस दिन के बाद मोनू का ये नित्य नियम बन गया, वह उस मकान के सामने पहुंच कर ठिठक जाता और ऊपर देखता।
उससे नज़रे मिलते ही मुस्कुराते हुए वह तेजी से आगे बढ़ जाता और उसकी हँसी मोनू के कानों में गूँजने लगती।
ना जाने क्यों, लेकिन मोनू को वह युवती भाने लगी थी।
उसे लगता था कि वह सिर्फ उसके लिए ही मुस्कुराती है।
एक दिन रोज की भाँति मोनू ने जब ऊपर देखा तो वह वहाँ नहीं थी।
मोनू दो पल रुका और फिर उदास होकर आगे बढ़ गया। तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी, "अरे वह देख पायल का आशिक, आज पायल को ना देखकर बेचारा उदास हो गया।
ना जाने ये जवान होते लड़के हम कोठे वालियों से क्यों मोहब्बत कर बैठते हैं, अरे हमरा कोई ठिकाना है।
आज इसकी बाहों में कल उसकी, और कई बार तो एक ही रात में हमारी मोहब्बत तीन-चार आशिकों की बाहों में मसली जाती है फिर भी.. इनके दिल कोठे वलियों के लिए धड़कने लगते हैं।
आज पूरी रात पायल एक बूढ़े सेठ के फार्म हाउस पर उसकी मोहब्बत बनेगी, बेचारी पायल।"
पीछे से मोनू को दो लड़कियों के खिलखिलाने की आवाज आने लगी।
पा.य..ल.., मोनू ने धीरे से ये नाम लिया और जल्दी से अपने कदम आगे बढ़ा दिए।
मोनू ने कदम तो बढ़ा दिए लेकिन ना जाने क्यों उसकी धड़कने बैठी जा रही थीं, एक अनचाही उदासी उसे अपनी गिरफ्त में ले रही थी।
घर आकर बार-बार मोनू को पायल का मासूम चेहरा याद आ रहा था, साथ ही वह आवाज, "आज पूरी रात पायल एक बूढ़े सेठ की प्रेमिका बनेगी।"
"पायल मुश्किल से अभी बीस साल की भी नहीं होगी,ऊपर से वह इतनी नाजुक सी और बूढ़े की प्रेमिका...,?"मोनू के दिमाग में जैसे कोई तूफान उठ रहा था।
अगले तीन चार दिन मोनू को पायल छज्जे पर नहीं दिखी; ना ही उसकी हँसी की आवाज सुनाई दी।
अलबत्ता वे दो आवाजें जरूर मोनू को वहाँ रुकते देखकर खुसरफुसर करके हँसते हुए सुनाई दे जाती थीं, मोनू उन्हें सुनकर उदास हो जाता, जैसे वे उसकी खिल्ली उड़ा रही हों,और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ जाता।
उस दिन मोनू की छुट्टी थी लेकिन शाम का अँधेरा घिरते ही, मोनू 'लाल बत्ती' के उस मकान की सीढियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया।
उसके ऊपर पहुंचते ही उसे कुछ जवान, कुछ अधेड़ औरतों ने घेर लिया जो भड़काऊ कपड़े पहने मेकअप में लिपी पुती जोर से खिलखिलाते हुए कहने लगीं, "आजा चिकने, बोल किसके साथ जाएगा? अरे डर मत हम तुझे खा नहीं जाएंगे हम तो मस्ती लुटाने ही बैठे हैं, चल तू पसन्द कर ले।"
कई लड़कियां उसके गाल खींचने लगी तो कोई उसके पीछे चिकोटी काटने लगी।
मोनू घबराहट में पसीना-पसीना हो रहा था, तभी एक कड़क लेकिन सुरीली आवाज गूँजी; "अरे छोड़ो उसे अब क्या सारी मिलकर इस अकेले को हलाल करोगी? चलो भागो यहां से धंधे का टाइम खोटी मत करो।
अरे ये बेचारा पहली बार आया है, शरमा रहा है अभी, और तुम लोग हो कि टूट पड़ी बेचारे पर; चलो भागो और बाहर जाकर कोई बकरा कोई मुर्गा फँसा कर हलाल करो।"
उसकी आवाज से डर कर सारी लड़कियाँ भाग गयीं।
"हाँ तो बोल कैसी लड़की चाहिए? कोई तेरे जैसी कमसिन कच्ची कली, या फिर कोई मेच्योर एक्सपीरियंस वाली एक्सपर्ट औरत।
तेरा आज पहली बार है ना किसी कोठे पर इस तरह?" वह मीठी आवाज में पूछने लगी।
मोनू ने सर उठा कर देखा, सामने एक बहुत खूबसूरत लम्बी गौरी चिट्टी महिला जीन्स और टॉप में खड़ी थी, हल्के मेकअप में वह एकदम किसी हिरोइन के जैसी लग रही थी।
"अरे बोल शरमाता क्या है लड़कियों की तरह, बोल एलबम दिखाऊँ या इन रंडियों मे से?
देख धंधे का टाइम है, अगर हम ऐसे एक -एक ग्राहक के नखरे उठाते रहे तब तो चल गया हमारा कोठा।" वह बड़ी अदा से हाथ और आँखें चलाते हुए कहा रही थी।
"ज..ज..वो पा.य..ल…!" मोनू हकलाते हुए बोला।

"क्या कहा तूने, 'पायल'? तो तू पहले भी आ चुका है, अरे तू तो खाया खेला निकला बे।
पहले भी पायल के साथ ही बैठा था क्या तू?"वह महिला जोर से हँसते हुए बोली।
"ज.ज..जी.. मैं नहीं, मेरा एक दोस्त अक्सर आता है यहाँ, उसने कहा मुझे की मैं पायल के साथ…, वह कमसिन भी है और एक्सपीरियंस भी।" मोनू उससे नज़रें चुराते हुए बोला।

"है तो साली मस्त, लेकिन वह तो आजकल बीमार है, तो तू उस जैसी ही किसी ओर के साथ... , अरे तुझे उस से भी अच्छी देती ना मैं, आज तेरा पहला चांस है तो तुझे खुश करने की जिम्मेदारी मेरी।" वह फिर मुस्कुराने लगी।

"कोई बात नहीं मेम मैं फिर कभी आ जाऊँगा, बाकियों के साथ नहीं बैठना मुझे, दोस्त ने मना किया है।" मोनू ने धीरे से कहा और बापस मुड़ने लगा।
पायल बीमार है सुनकर उसका दिल बैठा जा रहा था।
"अरे रुक तो भागता क्यों है, अब वो साली इतनी भी बीमार नहीं है जो तुझ जैसे फ्रेशर को खुश ना कर सके, लेकिन पैसे ज्यादा लगेंगे सोच ले? ऐसे भी पायल के रेट बाकियों से अलग ही हैं।" वह कुछ सोचकर बोली।
"जी पैसों की तो कोई बात नहीं है लेकिन पायल को हुआ क्या है? कहीं एड्स??" मोनू ने डरते हुए पूछा।
"हा हा हा!! अरे नहीं रे ये सब बीमारी यहाँ नहीं होती, हर महीने सबका चेकअप होता है।" वह जोर से हँसते हुए बोली।

"फिर पायल को क्या हुआ?" मोनू उदासी में बोला।
"कुछ नहीं बस थोड़ा सर्दी-बुखार है, एक दो दिन में आराम हो जाएगा।" उस कोठा संचालिका ने उसे बैठने इशारा करते हुए कहा।
मोनू चुपचाप सोफे पर बैठ गया और वह तेज़ी से अंदर चली गई।
कुछ देर बाद वह मुस्कुराते हुए आयी और बोली,
"जा तू कमरा नम्बर-12 में पायल तेरा इन्जार कर रही है।"
मोनू उठा और उसकी बताई दिशा में चल दिया, मोनू का दिल तेजी से धड़क रहा था।
कमरे में पहुँच कर मोनू ने देखा कि, वह कमरा तो बस नाम को ही था, कोई छः बाई आठ की कोठरी जिसमें एक हल्की रोशनी का नीला नाईट बल्ब टिमटिमा रहा था।
कोठरी के एक कोने में पड़े तख्त के बेतरतीब हुए बिस्तर पर, लगभग अर्धनग्न पायल उकड़ू बैठी थी।
उसकी मुंडी उसके घुटनों पर रखी थी। मोनू के आने की आहट से उसने अपना सर ऊपर उठाया, जिससे बल्ब की रौशनी सीधे उसके चेहरे पर पड़ी, उसकी आँखें सूजी हुई थीं जैसे लंबे समय से रो रही हो और गालों पर उँगलियों के निशान थे, जैसे अभी किसी ने उसके गाल पर चांटे मारे हों।
मोनू उसकी हालत देखकर सन्न रह गया, उसे बहुत दुख हो रहा था।
तभी पायल की एक कराह के साथ धीमी आवाज उसके कानों में पड़ी, "आओ बाबू कर लो जो करना है लेकिन जल्दी करना, मैं आज ज्यादा साथ नहीं दे पाऊँगी, अच्छा होता आप किसी और के साथ बैठ जाते।
मेरे साथ तो आज आपके पैसे ही बर्बाद होंगे बस।"

"नहीं-नहीं पायल जी ऐसा कुछ नहीं है वो तो मैं बस…।" मोनू हकलाते हुए अभी कुछ कह ही रहा था, तभी पायल के तेबर बदल गए, वह गुस्से से बोली।
"क्या पायल…? सालो तुम लोगों को कोई मतलब है किसी से..? बस पैसे दो लड़की को मसलो और थूक कर चल दो, चाहे लड़की बीमार हो, चाहे रो रही हो, चाहे उसका मन ना हो, लेकिन उससे तुम्हे क्या तुमने तो भेन.. पैसे दिए होते हैं ना।
अबे भड़वे एक से एक रंडी है इस रेड लाइट में, लेकिन तेरे को तो पायल को ही कुचलना है, तुझे उससे क्या की पायल किस दर्द से जूझ रही है, कितनी बीमार है या मर ही रही है।
अब कर जल्दी जो करना है।" पायल बहुत गुस्से में चीखी लेकिन मोनू को उसकी आवाज बहुत दर्द में डूबी हुई लगी।
"आप आराम से बैठिये पायल जी मुझे कुछ नहीं करना है, मैं तो बस आपको देखने चला आया।" मोनू ने पास पड़ी चादर पायल के कंधों पर डालते हुए कहा।
"क्या कहा बस मिलने!!?, मैं क्या तेरी कोई सगी वाली हूँ भेन,...।" पायल ने मुस्कुरा कर गाली देते हुए कहा और मोनू की तरफ ध्यान से देखा।
"रिश्तेदार ही मिलने आते हैं क्या बस?, कोई दोस्त भी तो हो सकता है।" मोनू ने मुस्कुरा कर जबाब दिया।
"ओह! तो ये तुम हो दवाई बाबू, आज यहाँ कैसे चले आये? तुम तो कभी कोठे की किसी लड़की की तरफ देखते तक नहीं हो।" पायल से आश्चर्य से पूछा।
"मैं आपसे मिलने चला आया, वो तीन-चार दिन से आप दिखाई नहीं दी ना तो… , आपकी हँसी की आदत लग गयी है पायल जी। मुझे आपकी बहुत फिक्र हो रही थी, मुझे लगा कि आप ठीक नहीं हो तो बस इसी लिए देखने आ गया, मुझे कुछ नहीं करना पायल जी बस आप आराम करो लेकिन आपको हुआ क्या है आप तो बहुत बीमार लग रही हो? और गालों पर ये चोट के निशान?" मोनू उसके गाल पर छपी उँगलियों को देखते हुए बोला।
"चार दिन से बहुत बीमार हूँ दवाई बाबू, उस पर धंधे पर ना बैठने पर नायिका की मार खा रही हूँ। बहुत तेज़ बुखार है और ठंड से हड्डियाँ तक काँप रही हैं, फिर भी नायिका कहती है कि धंधा कर तेरी डिमांड ज्यादा है। अभी भी जब मैंने मना किया तो मुझे उसने बुरी तरह पीटा और धमकी दी कि अगर ज्यादा नखरे किये तो करंट लगा देगी। क्या करें दवाई बाबू हमारी जिंदगी तो नरक के कीड़ों से भी बुरी है।" पायल की आँखे भर आईं।
"लेकिन आप अचानक इतनी बीमार कैसे हो गयीं उस दिन तो आप बिलकुल ठीक थीं। फिर अगले दिन किसी ने कहा कि आप एक सेठ के साथ..।" मोनू ने पायल का सर सहलाते हुए प्यार से पूछा और एक हाथ से उसके आँसू पोंछ दिए।

"क्या बताएं बाबू, उस  बुड्ढे ठरकी ने मेरी एक रात की कीमत लगाई और नायिका ने मुझे अपने कुछ गुंडो के साथ उसके फार्महाउस पर भेज दिया।
उस साले ठरकी के अजीब शौक थे, वह सारी रात मुझे पानी में भिगोये रहा, उसने मेरे साथ ऐसी-ऐसी हरकतें की, उन्हें कहने में भी मुझे घिन और शर्म आती है।
बस उसी के चलते मेरी तबियत बिगड़ गयी और मेरी ऐसी हालत हो गयी।" पायल ने सुबकते हुए धीरे-धीरे बताया।

"ओह्ह!!, कैसे कैसे लोग हैं दुनिया में पायल जी।" मोनू को बहुत बुरा लग रहा था।
"अच्छा आप कर लीजिए जो करना है दवाई बाबू मैं आपको रोकूंगी नहीं, आखिर आपने पैसे दिए हैं मेरी आज की रात के।" पायल चादर उतरते हुए बोली।
"अरे कुछ नहीं करना मुझे कहा ना आपसे, मैं तो बस आपका हाल-चाल..।" मोनू ने फिर उसे चदर से ढक दिया और अपनी जेब से कोई दवाई निकाल कर इसे खाने को दी।
"कहीं आप मोहब्बत!!, ...।"पायल  उसकी आँखों में देखते हुए बोली।
"पता नहीं.."मोनू ने शर्मा कर नज़रें झुका ली।
"ऐसा मत करना दवाई बाबू, हम कोठे वालियाँ प्यार करने के लिए नही बल्कि प्यास बुझाने के लिए होती हैं। हम तो बाजार की चीज हैं, जो ऊंची कीमत देगा वही हमारे जिस्म का मालिक होगा।"
ये प्यार साला हमारी किस्मत में है ही नहीं दवाई बाबू।
एक बार किया था सच्चा प्यार, एक दूर के रिश्तेदार से, उसी की सज़ा आज भुगत रही हूँ।
उस समय मैं कोई सत्रह साल की थी,  मैं उसके खेल को सच्ची मोहब्बत समझ बैठी बाबू और भाग आयी उसके साथ। उसने पहले तो जी भर कर मुझे भोगा और फिर मन भर जाने पर बेच गया मुझे इस कोठे पर चन्द रुपयों की खातिर, अब तो प्यार के नाम से भी नफरत हो गयी है दवाई बाबू।"पायल एक साँस में कह गयी और उसकी आंखें फिर भर आयीं, इस बार मोनू की आँखें भी नम थीं।

"क्या दुनियाँ में सब एक जैसे होते हैं पायल जी? मुझे आपके जिस्म से नहीं आपसे प्यार हुआ है, मैं आपको दुखी नहीं देख सकता। मेरे साथ गांव चलोगी पायल?" मोनू ने पायल की आंखों में देखते हुए प्यार से कहा।
"इससशशश!!, ऐसा मत कहिये दवाई बाबू , किसी ने सुन लिया तो हम दोनों के लिए बहुत बुरा होगा। ये कोठा है बाबू यहाँ की लड़कियों की अर्थी ही यहाँ से बाहर जा सकती है। अगर किसी ने भागने की कोशिश की तो उसका जो हश्र होता है वह मौत से भी बदतर होता है।"; पायल अचानक डर से पीली पड़ गयी और मोनू के मुंह पर हाथ रख दिया।

"क्यों नहीं जा सकते पायल, हम यहां से सीधे पुलिस के पास जाएँगे, वे लोग जरूर हमारी सुरक्षा करेंगे।" मोनू उसका हाथ हटाते हुए बोला।
"पुलिस, हा.हा..हा..! ये गलती की थी एक बार हेमलता ने, वह रात में छिप कर यहाँ से ना जाने कैसे भाग गई थी और पहुँच गई पुलिस के पास, दिन में पुलिस उससे पूछताछ का नाटक करती रही और शाम होते ही छोड़ गई यहाँ कोठे पर।
उसके बाद उस बेचारी के साथ जो हुआ उससे पूरा कोठा काँप उठा।
कोठे के सारे गार्डों ने मिलकर रात भर उसके साथ…, उसे बुरी तरह पीटा गया सिगरेटों से जलाया गया उसके अंगों में करंट के झटके दिए गए और कोई बीस पच्चीस मुस्टंडे रात भर उसे रौंदते रहे, उसके साथ अप्राकृतिक भी किया गया वह भी कई लोगों ने एक साथ बार-बार, रात भर सारे कोठे में उसकी चीखें गूँजती रहीं।
सुबह वह बिल्कुल नग्न फर्श पर पड़ी हुई थी, उसके अँगों से खून बह रहा था, लेकिन किसी को भी उसके पास जाने की इजाज़त नहीं थी।
पूरे दिन वह ऐसे ही नंगी फर्श पर पड़ी रोती रही, उसका खून बहता रहा लेकिन नायिका को तनिक भी दया नहीं आयी।
शाम को उसने हेमलता को एक एंटीसेप्टिक क्रीम कुछ कॉटन और एक चादर देते हुए हम सबसे कहा कि, 'देख लो इस कुतिया का हाल अपनी खुली आँखों से, अगर किसी भी चिड़िया ने उड़ने की कोशिश की तो उसके पर काट कर सारे अँगों में तेजाब भरवा दूँगी।'
उस दिन के बाद हेमलता बेचारी इतना डर गयी कि कोठे के जीने पर भी उसका पैर पड़ जाता है, तो डर कर चीखते हुए बेहोश हो जाती है।
कुछ दिन खून बहने के बाद उसके घावों में पस बनने लगा और उसे अब हरदम बुखार रहता है, उसके अँगों से मवाद रिसता रहता है।
कुछ दिन तो नायिका ने उसे दवाई और कॉटन दी लेकिन फिर ये कहकर की तेरी कमाई खत्म हो चुकी है, उसे कुछ भी देने से इनकार कर दिया।
अब वह इनके किसी काम की नहीं है, फिर भी बाकियों को डराने के लिए ये लोग उसे बाहर भी नहीं जाने देते हैं।
उसे कभी एक टाइम तो कभी दो दिन में एक मुठ्टी चावल फेंक देते हैं और बदले में बेचारी पूरे कोठे की टॉयलेट साफ करती है।" पायल उदास होकर कहती चली गई, उसका चेहरा  भय से पीला पड़ रहा था।
"सारे पुलिस वाले भी एक जैसे नहीं होते पायल, फिर भी अच्छा है पुलिस की सच्चाई पता लग गयी लेकिन अगर हम यहाँ से कहीं दूर चले जाएं तब?" मोनू ने कुछ सोचते हुए कहा।
"नायिका के गुंडे और पुलिस वाले मिलकर हमें पाताल से भी ढूंढ लाएंगे दवाई बाबू, उसके बाद हमारी जो हालत होगी उससे तो मौत अच्छी है, या फिर यही इस नरक की जिंदगी।
आपको तो एक से बढ़कर एक लड़की मिल जाएगी बाबू, फिर आप क्यों अपनी जिंदगी एक कोठे वाली गन्दी कीचड़ में डुबोना चाहते हो?"
आप जाओ यहाँ से दवाई बाबू ,हमें हमारे हाल पर छोड़ दो  और ये मोहब्बत का ख्याल अपने दिल में फिर ना लाना ये आग से खेलने से भी ज्यादा खतरनाक होगा आपके लिए भी। हम लोग इस के काबिल ही नहीं हैं बाबू जी, आप अपने पैसे की कीमत बसूलो और निकलो, अगर मुझ बीमार पर तरस आ रहा है तो कोई दूसरी बुला देती हूँ, हम लोग आपस में थोड़ी बहुत सहानुभूति दिखा ही लेती हैं, ऐसे भी सौ से ज्यादा कोठरिया हैं यहाँ, तो नायिका सब पर तो एक साथ निगरानी कर नहीं सकती।" पायल फिर से चादर हटाते हुए बोली; लेकिन इस बार उसके शब्द उसके भावों का साथ नहीं दे रहे थे।
"ये फिक्र किसके लिए पायल? मेरे लिए ना। अरे यही तो इश्क़ है, तुम्हारा मुझे देख कर मुस्कुराना, कभी मुझे ग्राहकों की तरह ना बुलाना, और अब मेरे लिए फिक्रमंद होना, ये प्यार नहीं तो क्या है पायल जी।" मोनू ने उसके गालों पर ढलक आये आँसू साफ करते हुए धीरे से कहा और उसकी आँखों में देखने लगा।
लेकिन पायल अब उससे नज़रें चुरा रही थी।

दोनों ऐसे ही पूरी रात बातें करते रहे, कभी मोनू पायल की गोद में सर रखकर लेटता तो कभी पायल मोनू की गोद में।
रात भर में मोनू कोठे के बारे में वहाँ की सुरक्षा के बारे में बहुत कुछ जान चुका था। उसने पायल को हेमलता के लिए दवाइयां देने को भी मना लिया था।
और अगले हफ्ते हेमलता से मिलने के लिए भी। पायल ने उसे बताया था कि हेमलता पायल पर भरोसा करती है और उसकी बात मान लेगी।
अब मोनू हर हफ्ते कोठे पर जाता, हेमलता के लिए दवाइयाँ, कॉटन, हेल्थ टॉनिक, और पायल के लिए प्यार.. लेकर। अब हेमलता भी उससे घुलमिल गयी थी, वह मोनू को भईया कहती थी और अब उसके अंतर्मन का भय भी कम हो चला था।
पायल ने मोनू को कहा की वह एक दो बार किसी और के साथ भी बैठ जाया करे नहीं तो नायिका को शक हो जाएगा और वह हमारी जासूसी शुरू करा देगी।

"मैं भला किसी और के साथ, कैसे पायल मैने तो आज तक तुम्हारे साथ भी..? मुझसे नहीं होगा।"मोनू उदास होते हुए बोला।
"अरे दवाई बाबू इतना मत सोचिये, मुझे देखिए आपके प्यार के बाबजूद न चाहते हुए भी मुझे धंधा करना पड़ रहा है ना।
आप जाइये दूसरी लड़कियों के पास भी उस से नायिका को शक नहीं होगा।
ठीक है अगर आप कुछ नहीं करना चाहते हो तो मसाज करा लीजियेगा या सोने का बहाना कर दीजियेगा, मैं आपको बता दूँगी की कौन कौन लड़की इसमें हमारा साथ दे सकती है।" पायल ने कहा और उसके गाल पर चुम्बन करके मुस्कुराने लगी।
"प्यार हो रहा है भाई।" तभी हेमलता उसके कमरे में आई, अब हेमलता की सेहत में पहले से सुधार था।
"देखिए ना दीदी मैं इन्हें समझा रहीं हूँ की दूसरी लड़कियों के पास भी जाया करें नहीं तो नायिका को शक हो जाएगा लेकिन ये मान ही नहीं रहे।"पायल ने हेमलता को देखकर कहा।
"सही कह रही है पायल मेरे भाई।" हेमलता ने भी उसे समझाया।
अगली बार जब मोनू कोठे पर चढ़ा तो नशे में झूम रहा था, उसे देखते ही नायिका मुस्कुरा कर बोली, "आओ आज तो लगता है फुल मूड बनाकर आये हो पायल के लिए।"

"अरे का पायल पायल, कोनो अउर लड़की ना रही का मेडम? ई पायल मा अब कछु नाय बचो हमनी सारा बगीचा अच्छे से घूम लिए ओ ससुरी का, तो अब कोनो नई मस्त कली की खुसभु.. काय मेडम जी..।" मोनू आँख मारते हुए बोला।
"क्या बात है बाबू दो-चार बार में ही मन भर गया, हमें तो लगा था आशिक हैं आप पायल के, लेकिन आप तो कोठे पर क्या आने लगे पूरे ठरकी बन गए हो।
अब तो शराब और रोज नया शबाब..क्या बात है।" नायिका मुस्कुरा कर बोली।
"का कही आप मेडम जी, आशिक!! अउर हम उ भी ओ पायल का, ई कइसे होय सकत, कोठा वाली से इश्क हा. हा.. हा…!!, आपने सोचा भी कइसे की ई कोठा वाली से कोई मोहब्बत कर सकत है, अब कोइ होटल मा जात है डिनर के बास्ते तो का ससुर प्लेटवा गले में लटका लावत है का?
अरे मेडम जी ई कोठा मन बहलाने के लिए होत हैं, घर बसाने के लिए नाय। वैसे सच्ची कहें मेडम जी आशिक तो हम आपके हैं, आपही को देखे खातिर तो आत हैं ई कोठा पर, लेकिन आप हो के हमेशा दुसरकी लड़की के पास.., अरे मेडम जी कभी देखा हमरी आँखन मा तोहरे खातिर केतना प्यार बिया, हमार दिल तोहरा खातिर ही धड़कत मेडम जी एक बार अपने बाग की सैर कराई ना हमका।"मोनू जोर से हँसते हुए बोला।
"ओह!!, तो तुम पूरी तरह रंग गए बाजार के रंग में, लेकिन मैं धँधा नहीं करती बाबू इसलिए मेरा ख्याल छोड़ दो, चलो अच्छा है हमारा तो एक परमानेंट ग्राहक बढ़ गया।" नायिका ने खुश होते हुए कहा।
"आपसे धन्धे की कउन साला कह रहा है? अरे हम तो दोस्ती खातिर हकत हैं मेडम जी दोस्ती।" मोनू ने लड़खड़ाते हुए कहा।
"दोस्त तो हम आपके हैं ही तभी तो आपको सबसे अच्छी लड़की देते हैं कोठे की।" नायिका ने मुस्कुरा कर दूर हटते हुए कहा।
"अरे मेडम जी फिर अब बुलाओ भी कोई तितली, सारा नशा उतरा जा रहा है।" मोनू ने लड़खड़ाते हुए कहा।

"ठीक है आज मैं तेरे को पायल से भी मस्त लड़की देती ना और वो भी तेरी पायल की कीमत में।" नायिका ने उसका हाथ पकड़ा और उसे एक कमरे में छोड़ गई, जहाँ एक बहुत खूबसूरत अर्धनग्न लड़की तख्त पर बैठी थी।
"ले री कँगना, इसका जरा अच्छे से खयाल रखना, ये हमारा परमानेंट कस्टमर है, कोई शिकायत मिली तो साली...।" नायिका ने उसे धमकी सी दी और दरवाजा लगा कर चली गयी।
"आओ बाबू बोलो कैसे शुरू करूँ?" वह लड़की खड़ी होते हुए बोली।
"ऐ का तुम मसाज कर सकत हो?" मोनू ने आधी आंखें खोलते हुए कहा और लड़खड़ा कर उसके ऊपर गिर गया।

"जी साब।" उस लड़की ने कहा और मोनू को सहारा देकर बिस्तर पर लिटा दिया।
रात भर मोनू कभी उठकर लड़की को पकड़ता और फिर गिर कर सो जाता, तो कभी इसे गाली देकर ठीक से मसाज करने को कहता।
अब अक्सर मोनू कोठे पर जाकर नई लड़की की मांग करता। कभी-कभी वह पायल के पास भी जाता था। वह जब भी जाता नायिका की खूबसूरती की तारीफ करके उससे अपने प्यार का इज़हार जरूर करता था।
"अरे मेडम आप समझती नहीं हैं, मैं आपसे धंधे की नहीं कह रहा हूँ, अरे आपसे तो हमको इसक हुई गवा है, आपको धँधा करते देख कर हम मर नहीं जाऊँगा?
मेडम जी मैं तो बस ये कह रहा हूँ कि कभी साथ बैठते हैं, कुछ पियेंगे खाएंगे दिल की बातें करेंगे।
और कुछ नहीं मेडम जी मां कसम, बस तोहरा को आपन दिल का हाल कहना है।" मोनू ने मुस्कुरा कर नायिका से कहा और उसका हाथ पकड़ लिया।
"क्या गज़ब की खूबसूरती है तोहरा मेडम जी, अगर फिलम मा होते तो  करीना, प्रियंका इन सबकी छुट्टी कर देते, सच मैंने आपसे सुंदर कोई नहीं देखी।" मोनू उसकी आँखों में देखते हुए बोला।
"अच्छा अच्छा बहुत हुआ मस्का, तुझे देती हूं ना आज कोठे का हीरा वह भी कोड़ी के भाव।"नायिका ने मुस्कुराकर कहा लेकिन उसने अपना हाथ मोनू से नहीं छुड़ाया।
"ठीक है मत समझ जालिम इशारा मेरे प्यार का, कभी तो याद करेगी चेहरा इस यार का।" मोनू उसका हाथ धीरे से दबा कर बोला।
तब तक एक बहुत खूबसूरत पतली दुबली कम उम्र की लड़की वहाँ आ गई।
"ये ले मेरी तरफ से तौफा, इस पूरे बाजार का बेजोड़ नगीना।" नायिका ने मुस्कुरा कर, अपना हाथ छुड़ाकर उसका हाथ मोनू के हाथ में दे दिया।
"ठीक है आज इसके साथ काम चला लेता हूँ लेकिन इस दिल मे बस आपकी ही सूरत है।"मोनू मुस्कुरा कर बोला और उस लड़की के साथ चला गया।
अब मोनू अक्सर नायिका की सुंदरता की तारीफ करके उस से अपने प्यार का इज़हार करता, उसका हाथ पकड़कर बैठ जाता, नायिका को भी मोनू से बात करना अच्छा लगने लगा था, वह काफी देर मोनू से अपनी तारीफ सुनती, प्यार के इजहार पर मुस्कुराती और फिर उसे किसी दूसरी लड़की के साथ भेज देती।
मोनू वहाँ अक्सर या तो उस लड़की को पिला कर मदहोश कर देता, या खुद पी कर लुढ़क जाने का नाटक करता।
अब वह वहाँ की हर गतिविधि से पूरा परिचित हो चुका था उसे पता था कि कोठे पर किस दिन कितनी भीड़ होती है, कब किस समुदाय के लोग अधिक आते हैं।

उस दिन 'रेड लाइट एरिया' में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, दो दिन पहले ही मोनू पायल के साथ रह कर गया था और एक बैग उसके पास छोड़ गया था।
"आओ मेडम जी आज तो आप ही मेरा साथ दे दो, आज आपकी सारी तितलियां फूलों को चूसने में लगी हैं।" मोनू ने मेडम के पास बैठते हुए एक बहुत महंगी शराब की बोतल निकाली।
मोनू अब नायिका के कमरे में बेरोकटोक चला जाता था, दबी आवाज में इनके बारे में बातें भी होने लगीं थी।
"ठीक है आओ किसी अच्छी लड़की के फ्री होने तक बैठो, आज तो पायल भी फ्री नहीं है।" नायिका ने मुस्कुरा कर कहा।
"क्या मेडम जी, ये पायल, ये पलक, ये कँगना इनका एक-एक घुंघरू मैं अच्छे से बजा चुका हूँ, इनके हर अंग की आवाज खोखली हो चुकी है, अब इन सब में मज़ा नहीं।
लेकिन आपकी तो बात ही कुछ और है।" मोनू नायिका को बाहों में लेने का प्रयास करता हुआ बोला।
"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में जो बाकियों से अलग है?" नायिका नज़रे झुका कर मुस्कुरा कर, मोनू को हटाते हुए बोली।
"बहुत कुछ है, आप मुझे एक मौका तो दो मैं आपको आपकी सारी खूबियों के बारे में बताऊंगा, प्यार से विस्तार से।" मोनू उसके चेहरे को देखते हुए बोला।
"अच्छा कैसे? चलो बताओ।" नायिका ने कहा और दरवाजा बंद करने चली गयी।
बस इतनी ही देर में मोनू उसके शराब के गिलास में कुछ मिला चुका था।
"चलो अब शुरू करो बताना।" नायिका उसके पास बैठती हुई बोली।
"एक तो आपके ये गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल गुलाबी होंठ, जिनमें इस शराब से भी ज्यादा नशा है।" मोनू ने मुस्कुरा कर कहा और शराब का प्याला उसके होंठो से लगा दिया।
"और?"नायिका ने शराब के घूंट भरते हुए कहा।
"और आपकी ये नशीली आंखें, जिनका नशा पूरी जिनगी ना उतरे।" मोनू ने उसकी आँखों में देखते हुए जाम अपने हाथ में लेकर उसे पिला दिया और दूसरा पैग बनाने लगा।
नायिका की आंखें मुंदने लगी थीं, वह झूमने लगी थी।
तब तक मोनू ने दूसरा जाम उसके होंठो से लगा दिया और उसके अन्य अंगों की तारीफ करने लगा।
गिलास होंठो से हटने से पहले नायिका पीछे लुढ़क गयी और मोनू ने उसे बिस्तर पर लिटा कर चादर से ढक दिया।
पायल के कमरे से दो नाटे कद के मोटे पेट वाले काले-कलूटे सरदार झूमते हुए बाहर आये और लड़खड़ाते हुए सीढियाँ उतर कर नीचे चले गए।
नीचे गली के बाहर एक वैन खड़ी थी, दोनों सरदार उसमें जाकर बैठ गए।
अभी इन्हें बैठे दस-पन्द्रह मिनट ही हुए होंगे तभी मोनू भी आकर वैन में बैठ गया और वैन चल दी।
"काम ठीक से हो गया था ना?"; मोनू ने एक सरदार से पूछा।
"हाँ पापा जी, असी इतना तगड़ा डोज दित्ते की साली सुबह तक ना उठेगी।
और तुवाड़ा काम बाऊ साब?" उसने मोनू से पूछा।
"सब चंगे तरीके से हो गया वीर जी, पूरा मज़ा आया।"; मोनू ने कहा और तीनों हँसने लगे।
रात के दो बजे थे पूरी रोड सुनसान थी और ये वैन अपनी फुल स्पीड में दौड़ रही थी।
दिन के कोई दस बजे ये वैन हरिद्वार पहुँची जहाँ ये तीनों चण्डी मन्दिर से पहले जँगल में ही वैन से उतर गए।";

जँगल में छिप कर दोनों सरदारों ने अपने कपड़े उतारे, ये दोनों  सरदारों के भेष में पायल और हेमलता थे।
पायल ने भी अपने ग्राहक की शराब में नींद की दवाई मिला दी थी और भेष बदलने का सामान, दो दिन पहले ही मोनू इनको दे आया था।
पायल और हेमलता ने खूब मल-मल कर माँ गंगा के जल से खुद को धोया, जैसे ये तन के साथ मन को भी धो देना चाहती हों।
खूब अच्छे से नहा कर मंदिर दर्शन करके दोनों लड़किओं ने पहाड़ी औरतो वाले कपड़े पहने और घूंघट लेकर मोनू के साथ टैक्सी स्टैंड पहुँच गयीं।
मोनू ने गढ़वाली में टैक्सी वाले को कुछ समझाया और तीनों टैक्सी में बैठ गए।
यूँ तो रेड लाइट में दिन के दो बजे तक सुनसान रहना आम बात थी, इस समय तक लगभग सभी सोये रहते थे, किन्तु नायिका हमेशा बारह एक बजे से ही घूमना शुरू कर देती थी।
लेकिन उस दिन चार बजे तक भी नायिका उठ कर बाहर नहीं आयी।
सारी लड़कियाँ सज धज कर कोठे पर टहलने लगीं लेकिन नायिका का द्वार बंद ही था।
दो-तीन लड़कियों ने दो गार्डो के साथ जाकर देखा, नायिका चादर ओढ़े सो रही थी।
एक लड़की ने बड़ी हिम्मत करके चादर खींचते हुए आवाज लगाई, "नायिका जी, आपकी तबियत तो ठीक है? आज तो शाम होने को आई और आप उठी भी नहीं।";
"क्या!!, नायिका ने हड़बड़ा कर आंखें खोलीं।
ओह्ह!!, धोखा वो साला भड़वा मीठी-मीठी बातें करके मुझे बेहोशी की दवा पिला गया।" नायिका गुस्से से चीखी।

"जाओ हरामखोरो जल्दी जाकर पता करो कोई लड़की गायब तो नहीं है कोठे से।
अरे उस कुतिया पायल को देखो कहीं उस साले के साथ भाग तो नहीं गई।" नायिका पागलों की तरह चीख रही थी।
"पायल और हेमलता अपनी कोठरियों में नहीं हैं" किसी ने आकर कहा।
"ढूंढो हरामखोरो को, भाग कर कहाँ जाएँगे? उन्हें पता नहीं मेरी पहुंच का, पाताल से भी खोज निकलूंगी हरामियों को और इसके बाद इनका जो हश्र होगा… देखना तुम लोग..।" नायिका का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था।
"पूरे कोठे पर कहीं नहीं है…….. अरे सारी गालियाँ छान डाली, कहीं नहीं मिले।" लोग आकर नायिका को बताते रहे।
"हेल्लो, इंस्पेक्टर.. हाँ.. हाँ दो लड़कियाँ गायब हैं, हाँ एक तो वही है जिसे तुम लोग एक बार पकड़ कर लाये थे, इतना टॉर्चर किया था साली को की कोठे की सीढ़ियों पर पैर रखने में भी काँप जाती थी और आज अचानक पर निकल आये साली के जो उड़ गई..,हां मिलने दो अबकी बार, साली की खाल उतार कर कंकाल कोठे के शोकेस में रखवा दूँगी, ताकि बाकियों को सबक मिलता रहे।" नायिका फोन मिला कर बातें करने लगी।

"हेल्लो पुलिस.., अरे सर आपके रहते मेरे कोठे की दो रंडियाँ भाग गयीं,.. हाँ सर साला कोई बिहारी था, पहले तो कुछ दिन बराबर उस कुतिया के पास गया लेकिन कुछ दिन से हर दिन नई रंडी मांगता था..साला कहता था मन भर गया पायल से….मुझ पर डोरे डाल रहा था… जी सर हमे तनिक भी शक नहीं हुआ.. जी जी यहीं मेडिकल पर दवाई सप्लाई करने आता था।" नायिका बेचैन होकर बार-बार कभी पुलिस को तो कभी अपने सरपरस्त नेताओ को फोन मिला रही थी।
"उसका कोई पक्का पता किसी के पास नहीं है नायिका, बस लोगों को इतना ही मालूम है कि वह अनाथ था और पूर्वान्चल या बिहार में कहीं का रहने वाला है। हमने पूर्वांचल और बिहार जाने वाली सभी ट्रेन और बसों की तलाशी के आदेश दे दिए हैं, तुम बस दोनों लड़कियों की फ़ोटो हमें जल्दी से भेज दो।
"भेज दिया सर आपके व्हाट्सप पर, सर ये मेरे कोठे की रेपुटेशन का सवाल है। आज तक किसी कोठे से कोई रण्डी नहीं भागी और अगर भगने की कोशिश भी की तो उसका हश्र सबके लिए सबक बन गया।
इस 'रेड लाइट एरिया' से अगर कोई लड़की भागने में कामयाब हो गयी सर तो सारी लड़कियाँ उड़ने के ख्वाब देखने लगेंगी।
कुछ भी करके सर दोनों रंडियाँ मुझे यहाँ चाहियें… ना.. ना सर पैसे की फिक्र नहीं है, ये 'रेड लाइट एरिया' की रेपुटेशन का सवाल है।" नायिका किसी से बात कर रही थी।
और मोनू , पायल और हेमलता के साथ उत्तराखण्ड की दुर्गम पहाड़ियों में दूर कहीं पतली पगड़न्ड़ी पर चला जा रहा था, कोई दो घण्टे से।
"और कितना समय लगेगा दवाई बाबू, मेरे तो पैर दुखने लगे और तुमने तो कहा था कि तुम बिहारी हो तो फिर हम इन पहाड़ो में क्या कर रहे हैं ?" पायल ने मोनू को देखते हुए कहा।
"मेरा गाँव यहीं है इन पहाड़ों की गोद में, एक भयानक सैलाब से आई तबाही ने मेरे पूरे गांव को मिटा दिया था, मेरा पूरा परिवार उस त्रासदी में मलबे के साथ बह गया।
मैं उस समय कहीं बाहर था इस लिए बच गया, पूरे गांव से इकलौता मैं ही जिंदा बचा था। दिल्ली में मैं जिस शरणार्थी कैम्प में रहा उनमे ज्यादातर बिहार के बाढ़ पीड़ित लोग थे, तो वहाँ मेरा पता भी बिहार का ही लिख दिया गया और फिर उन लोगों के साथ रहकर मैने भी थोड़ा बहुत भोजपुरी बोलना भी सीख लिया।
सरकार से जो आर्थिक सहायता मिली थी उसमें से आधी आप लोगों को निकालने में खर्च हो चुकी है बाकी नहीं बैंक में जमा है, लेकिन मैंने कभी अपना सही पता वहाँ किसी को नहीं  बताया। बस हर जगह वही सरकारी कागज दिखा देता था जो शरणार्थी कैम्प से मिला था। आज वह पता ना बताना हमारे काम आएगा।
सुदूर पहाड़ों में हमारी थोड़ी सी जमीन है, अब बस वहीं पहुँचकर नई जिंदगी शुरू करेंगे और वे लोग हमें खोजेंगे बिहार के रास्ते पर।"मोनू ने बताया।
"फिर भी भईया हमें कितना और चलना होगा? देखो बेचारी पायल भाभी कितना थक गई है। ऐसा करो मैं आगे चलती हूँ तुम भाभी को गोद में उठा कर ले आओ।" हेमलता ने हँसते हुए कहा और पायल ने शरमा के चेहरे छिपा लिया।
"बस कोई दो तीन घण्टे और दीदी, उसके बाद हम पहुँच जाएंगे किसी भी 'रेड लाइट एरिया' की पहुंच से बहुत दूर, जहाँ हमारा एक छोटा सा अपना घर होगा।"; मोनू ने हँसते हुए कहा और दोनों लड़कियाँ चुपचाप उसके पीछे चलने लगीं।
नृपेंद्र शर्मा "सागर"
९०४५५४८००८

Wednesday, August 7, 2019

हमको मोहब्बत हो गयी

इश्क़ में हालत हमारी पागलों सी हो गयी।
चन्द सांसे थीं अमन की वो भी यारो खो गयी।।

सांस जब लेते हैं तो है नाम उनका गूंजता।
दिल की हर धड़कन हमारी नाम उनके हो गयी।।

होती है क्या सबकी हालात प्यार में ऐसी कहो।
जैसी हालात दिल लगा कर आज अपनी हो गयी।।

देख लें वो मुस्कुरा कर नींद उड़ जाती है क्यों।
ऐसा लगता है हुकूमत उनकी हम पर हो गयी।।

एक दिन देखें ना उनको चैन क्यों पड़ता नहीं।
उनसे नज़रें मिलना क्यों अपनी आदत हो गयी।।

मुस्कुरादें वो अगर तो धडकने लगता है दिल।
गर उदास हों लगे जाने क्या आफत हो गयी।।

भूल कर "सागर" सभी कुछ नाम उनका याद है।
क्या करें यारों हमें भी अब मोहब्बत हो गयी।।

©नृपेंद्र शर्मा "सागर"
9045548008

मेरे उपन्यास

फ्लाई ड्रीम पब्लिकेशन जैसलमेर से मेरे अभी तक दो उपन्यास प्रकाशित हुए हैं।
मेरे उपन्यासों का कथानक प्राचीन राजा महाराजाओं के युग का होता है इसमें प्रेम युद्ध एवं तिलस्म का पूर्णतया समावेश रहता है।
उपन्यासों की भाषा उस काल के अनुरूप शुद्ध भाषा रहती है जिसमें अंग्रेजी या उर्दू के शब्द सम्मलित नहीं किये जाते।
यदि आपको तिलस्म रहस्य रोमांच एवं वीरता की कहानियां पसन्द है तो मेरे ये उपन्यास आपही के लिए हूं।
इन्हें आप ऑनलाइन आर्डर करके मंगा सकते हैं, आपका सहयोग प्रार्थनीय है।
आर्डर करने का लिंक:-

https://imojo.in/AuthorNirpendra

मेरा सभी साहित्यकारों से 🙏निवेदन है कि मेरी पुस्तक के प्रचार में मुझे सहयोग दें धन्यवाद।।

Friday, March 8, 2019

अजनबी

फरवरी का लास्ट वीक था रात को ठंड बढ़ जाती और दिन में सूरज पूरे जोर में गर्मी बिखेरता।
इस गर्मी सर्दी के मेल से  रात में हल्का कोहरा भी फैल जाता।
रात का कोई दस का समय रहा होगा; सागर अपनी ड्यूटी खत्म करके पैदल ही घर की ओर जा रहा था।
सागर का घर फैक्टरी से कोई दो किलोमीटर दूर था।
रास्ता सुनसान था हल्का कोहरा पसरा हुआ था ; चाँद रात का अंधेरा भेदने का असंभव प्रयास कर रहा था।
अचानक विचारों में गुम अपनी धुन में मग्न हो चलता सागर ठिठक कर रुक गया।
सड़क के किनारे एक लाल रंग की महंगी गाड़ी खड़ी थी, उसने झांक कर देखा गाड़ी में कोई नहीं था।
उसने आगे जा कर देखा आगे एक लड़की गाड़ी के पास बैठी उल्टियां कर रही थी।
ककक!! क्या हुआ आपको, सागर अचकचाकर बोला।
अयं!?? लड़की ने घूम कर उसकी ओर देखा।
लड़की के घूमते ही सागर जड़ होकर रह गया,
लड़की इतनी सुंदर थी जैसे खुद चाँद ही नीचे उतर आया हो।
दूधिया गोरा रंग अपने चारों ओर जैसे प्रकाश की आभा बिखेर रहा था।
लड़की ने जीन्स टॉप पहना हुआ था उसकी आंखें नशे या नींद से बोझिल थी शायद नशे में ही क्योंकि उसकी आँखों की लाली रात के हल्के उजाले में भी लाल हुई स्पस्ट दिखाई दे रही थीं।
आप कौन? लड़की ने धीरे से घबराए स्वर में कहा।
जी मैं ,,, मैं तो काम से लौट रहा हूँ, लेकिन आपको क्या हुआ?? आपकी तबियत खराब है क्या??
ककककुछ नहीं हुआ हमें,,, उसने मेरी कोल्ड ड्रिंक्स में वाइन मिला दी बास्टर्ड मैं छोडूंगी नहीं उसे,,,
हिच! ऑउभककक!!! लड़की ने फिर उल्टी की।
सागर फिर से ठिठक गया, आपकी तबियत ठीक नहीं है आप ऐसे में ड्राइव कैसे करेंगी ऊपर से घनी अँधेरी रात भगवान ना करे आपके साथ कोई अनहोनी हो।
आप कहें तो मैं आपको आपके घर छोड़ आऊंगा मैं ड्राइव करता हूँ आप गाड़ी में बैठिए।
यू आल बॉयज आर सेम यू आल आर बास्टर्ड,, व्हाई यू ट्राय टु बोथेर मी।
जस्ट लीव मी एंड गो ऑन योर वे, आई विल मैनेज माय सेल्फ।
होकक हिच,,, लड़की फिर से ओकने लगी।
सागर ने एक पल सोचा ओर फिर उसने लडक़ी को गाड़ी में बैठने के लिए कहा, चलिए यहां से ये जगह सेफ नहीं है थोड़ा आगे चलते हैं वहाँ आपको दवाई भी मिल जाएगी फिर आपको ठीक लगे तो आप आगे चली जाना।
हाऊ डेयर यू,, व्हाई यू टच मी?? प्ल्ज़ लीव,,, लड़की कसमसा कर अपना हाथ छुड़ाने लगी ओर अपनी इसी कोशिश में गाड़ी में बैठने से पहले वह सागर को दो तीन घूंसे जड़ चुकी थी।
लडक़ी को गाड़ी में बिठककर सागर ने बेल्ट लगाई और ड्राइविंग सीट पर जा बैठा चाबी गाड़ी में लगी हुई थी उसने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी आगे कस्बे के पास पहुंच कर उसने एक जगह नल के पास गाड़ी रोक कर उसका मुंह हाथ धुलाया ओर उसकी हालत सुधारने की कोशिश की ।
थोड़ा संयत होने पर लड़की ने कोई पता बताया जो नई दिल्ली का था सागर ने उसे याद कर लिया।
दबाई के लिए लड़की ने मना कर दिया।
सागर ने गाड़ी देहली के रास्ते पर बढ़ा दी,
लड़की कुछ ही देर में सो गई अब उसको उल्टियां नहीं हो रही थी लेकिन नशे का पूरा असर उसपर था।
वह बीच बीच में आंखे खोलती और गालियां बकती सागर को दो चार घूंसे जमाती कुछ देर बड़बड़ाती ओर फिर सो जाती।
कभी कभी वह उल्टियां भी करने लगती तब सागर गाड़ी रोक कर उसे ठीक करता।
इस चार पांच घण्टे के सफर में  सागर को  ये पता लग चुका था कि उसका नाम रश्मि है वह दिल्ली के किसी व्यापारी की लड़की है, अपने दोस्तों के साथ पहाड़ो पर घूमने गयी थी जहां इसके किसी दोस्त ने कोल्ड ड्रिंक में शराब मिला कर पिला दी और नशा बढ़ने पर उसने रश्मि को गलत नियत से छुआ वह उसे अकेले में ले जाने की कोशिश कर रहा था।
अचानक रश्मि को कुछ चेतना हुई तो वह बाथरूम के बहाने अपनी गाड़ी लेकर वहां से भाग आयी उसके बाद उसे कुछ याद नहीं रहा।
वह बीच बीच में सागर को गाली देकर कहती कि तुम भी मुझे अकेले में ले जाओगे तुम मेरी इस बिरोध ना कर पाने की हालत का फायदा उठाओगे, तुम सारे लड़के एक जेसे हो।
सागर बस मुस्कुरा कर ड्राइव कर रहा था रास्ते में हर घण्टे के बाद वह  गाड़ी रोक कर रश्मि के मुंह हाथ धुलता उसे पानी पिलाता फिर आगे बढ़ जाता।
सुबह चार बजे वह उसके बताए पते पर था, सागर ने जाने क्या सोच कर गाडी उसके घर के सामने पार्क की और उतर कर गाड़ी लॉक करके बिना बोले चला आया।
सुबह पांच बजे जब रश्मि की नींद खुली तो उसने खुद को अपने घर के सामने पाया उसे आश्चर्य हो रहा था कि वह ऐसे घर के बाहर गाड़ी में क्या कर रही है।
रश्मि ने तीन चार बार अपनी आंखें झपकाई। अचनक उसे दिमाग ने झटका खाया उसे रात की सारी घटना अपनी आंखों के सामने फ़िल्म सी चलती दिखाई दी।
गाड़ी से उतर कर चाबी गार्ड की ओर फेंक वह तेज़ी से अपने कमरे में आकर गर्म पानी के टब में बैठ गई, शराब ने इसके पूरे सर में दर्द कर दिया था ; रश्मि ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी थी इसीलिए उसे इतनी उल्टियां हुई।
उसे बहुत बुरा लग रहा था गुस्से में वह जाने क्या बोल रही थी।
उसे अपने दोस्तों पर बहुत गुस्सा आ रहा था जिनपर उतना यकीन करके वह उनके साथ घूमने चली गई।
और ये बास्टर्ड निधी,,,,, ओह्ह तो वह अपने भाई की साजिश में शामिल थी,, कमीनी
रश्मि को याद आया कि केसे निधि ने जिद की थी साथ में चलने को।
आने दो चीपर्स को शूट कर दूंगी ब्लडी शिट।
रश्मि अपने मुंह ओर आंखे धोने लगी तभी उसे याद आया,,
और वह अजनबी,, कितना अच्छा कितना सभ्य बेचारा बार बार इसकी गंदगी उसकी उल्टियां साफ करता रहा और बदले में मैने क्या दिया,,, गालियाँ ,,घूंसे,, उफ्फ मैं इतनी सेल्फश कैसे हो गयी,,, रश्मि खुद पर शर्मिंदा हो रही थी।
लेकिन ये अजनबी था कौन?
कितना खूबसूरत कितना समझदार ओर केयरिंग! रश्मि उसे याद करके शर्माती हुई मुस्कुरादी उसे याद आने लगी सागर की वह अपनेपन की छुअन जिसमें कोई मतलब कोई वासना नहीं थी बल्कि उसमें थी रश्मि के लिए फिक्र,  उसे चिंता थी रश्मि को सही सलामत घर छोड़ने की,,
ओर घर आने पर जब उसे लगा कि रश्मि सुरक्षित है तो वह बिना कुछ कहे मुस्कुरा कर चला गया।
लेकिन उस समय तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था ,,,फिर वह गया कैसे,, ओह्ह नींद अब रश्मि अपनी नींद को कोस रही थी।
लेकिन ऐसे बिना बताए वह कैसे जा सकता है अरे कुछ देर रुक जाता मुझे घर में छोड़ता घर में मिल लेता तो क्या उसे कोई खा जाता सेल्फिश कहीं का।
अब मैं उसे कैसे ढूंढूंगी उफ़्फ़फ़ मेने तो उसे थैंक्स भी नहीं बोला ,,उल्टा उसके साथ कितनी बदतमीज़ी,, अहा!!, तो क्या वह नाराज़ होकर!! हे भगवान ये मेने सही नही किया वह तो मेरी हेल्प,, एंड मी,, आई विहाव लाइक आ मैड।
लेकिन मुझे होश ही कहाँ था ,उसे तो समझना चाहिए था।
चला जाये नाराज़ होकर आखिर था तो अजनबी ही।
बस एक अजनबी, रश्मि जितना उसे अपने दिमाग से दूर करना चाह रही थी वह उतना ही उसकी यादों में घुलता जा रहा था।
रश्मि परेशान थी कि वह इस अजनबी को कैसे ढूंढे वह उसे मिलना चाहती थी लेकिन कैसे क्या करे वह,,
अचानक उसे कुछ याद आया और वह अपनी कार की ओर भागी दौड़ते हुए वह मुस्कुरा कर बोली अब आप अजनबी नहीं रहोगे अजनबी।
रश्मि को याद आया जब वह अजनबी के साथ हाथापाई कर रही थी तो उसकी जेब से एक छोटी डायरी निकल कर गाड़ी में गिर गयी थी।
ये बात याद आने पर रश्मि की आंखे एक उम्मीद से चमक उठी और चेहरे पर मुस्कान लिए वह धीरे से बोली,"अब तुम अजनबी नही रहोगे 'अजनबी'
रश्मि तेजी से गाड़ी की ओर दौड़ी उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और बड़ी उताबली में कुछ ढूंढने लगी, जल्द ही खिले चेहरे के साथ वह पलटी और फिर अपने कमरे में भाग गई पीछे से गिरधारी काका(चोकीदार) आवाज लगते रह गए,"क्या हुआ बिटिया"।
लेकिन रश्मि ने तो जैसे सुना ही नहीं।
कमरे में पहुंचकर रश्मि ने वह छोटी सी पॉकेट डायरी खोली जिसमें कुछ शेरो शायरी लिखी हुई थी, रश्मि उसे पढ़ने लगी।
खुदा सलामत रखे उन्हें जिन्हें हम याद करते हैं।
उन्हें तो पता भी नही जिनसे मिलने की हम फरियाद करते हैं।।
ख्वाबों में आती है सदा दिल में समाई है।
एक अजनबी की तस्वीर हमने अपने ख्यालो में बनाई है।।
उनकी एक चाहत पर हम खुद को वार देंगे।
अपनी महबूबा को हम सारे जहान का प्यार देंगे।।
कब तक यूँ ही दूर रह कर सताओगी।
ख्वाबों से निकल कर सामने कब आओगी।
एक बार आ जाओ मेरी जिंदगी में।
इतना प्यार दूंगा की खुद को भी भूल जाओगी।।
रश्मि जल्दी जल्दी उस छोटी सी डायरी को पूरा पढ़ गयी लेकिन उसमें शायरी के अलावा कुछ नहीं लिखा था।
ओह्ह तो जनाब शायर हैं, रश्मि उन शायरी को बार बार पढ़ती रही लेकिन जो वह ढूंढ रही थी उसका कोई पता कोई नाम ऐसा उसे कुछ नहीं मिला।
रश्मि फिर उदास होकर उस डायरी को गोर से पढ़ने लगी, तभी उसकी नज़र डायरी के कवर की साइड पर पढ़ी जहां लिखा था एक लैंड लाइन का नम्बर, और आखिरी शेर के नीचे लिखा था एक नाम:-
पूरी कायनात में मेरे नाम की मिशाल है।
सभी कहते हैं देखो इसका दिल 'सागर' सा विशाल है।।
सा-  ग-  र!!! रश्मि की आंखे चमक उठी, तो जनाब का नाम सागर है,, अब मैं आपको ढूंढ कर रहूँगी सागर मुझे भी देखना के कितना विशाल है आपका हृदय ,,, और रश्मि शरमा कर खुद में सिमट गई।
रश्मि ने कांपते हाथों से वह नम्बर डायल किया,
ट्रिंग ट्रिंग  ट्रिंग ट्रिंग,,, वह डायल ट्यून को सुनने लगी, उसके दिल की धड़कने भी डायल ट्यून की तरह ही तेज़ी से धड़क रही थीं।
हेल्लो,, उधर से आवाज आयी,, रिसेप्शन (::::) कारखाना , आपको किस्से बात करनी है।
जजजी!! सागर जी हैं?
रश्मि ने काँपती आवाज में पूछा।
जी यहाँ कोई दो सौ लोग काम करते हैं लेकिन सागर नाम का तो कोई भी नहीं है, उधर से आवाज आई।
रश्मि का दिल बैठने लगा हेल्लो,,, हेल्लो उधर से आवाज आई लेकिन रश्मि अपने ख्यालो में खो गयी उसने फोन रख दिया।
यहाँ दो सौ लोग काम करते हैं लेकिन सागर नाम का तो कोई भी नहीं,,, रिसेप्शन से कहे गए शब्द उसके कानों में बज रहे थे एक बार फिर रश्मि को लगने लगा कि वह अजनबी अजनबी ही रह जाएगा और उदास होकर वह फिर से डायरी पढ़ने लगी,,
डायरी पढ़ते पढ़ते अचानक उसे कोई विचार आया और एक बार फिर उसकी आंखें चमक उठी,, उसकी मुस्कान बापस आ गई,,
ढूंढूंगी तो तुम्हे जरूर मैं अजनबी
रश्मि अपने लैपटॉप में उलझी कुछ ढूंढ रही है, उसको देखकर लग रहा है कुछ उलझन में है।
(::::) फेक्ट्री?? ऑनर,,, अग्रवाल,,,, """अग्रवाल ,,, नाम कुछ सुना हुआ लगता है,, रश्मि अपने ख्यालो में खोई हुई कुछ बड़बड़ा रही थी।
उसके माउस का कर्सर बार बार "" अग्रवाल पर घूम रहा था।
""' अग्रवाल अंकल ओह्ह तो यह जनकपुरी बाले अग्रवाल अंकल की फैक्ट्री है,,, रश्मि खुशी से झूम उठी।
अब बचकर कहा जाओगे बच्चू ,, रश्मि घूमते हुए चहकी।
बड़े पापा मुझे जनकपुरी बाले अग्रवाल अंकल की फैक्ट्री देखनी है आप उन्हें बोल दीजिये,, रश्मि अपने दादा जी के ऑफिस में उनके सामने बैठी थी।
अरे बेटा जी ये आपको अचानक फेक्ट्री देखने की क्या सूझी??
सेठ गोपालदास शुक्ल रश्मि की बात सुनकर चोंक गए।
कुछ नही बाबा मुझे देखना है फेक्ट्री में केसे काम होता है, ये लोग अपने यहां काम करने वालों का हिसाब कैसे रखते हैं।
24 घण्टे लगातार काम चलाने के लिए वर्कर्स को केसे मैनेज किया जाता है।
बाबा मैं एक नए आईडिया पर काम कर रही हूं, मुझे फैक्टरी से रिलेटेड सारी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करनी है, आप बस अग्रवाल अंकल को फोन कर दीजिए ।
ठीक है ठीक है मैं अग्रवाल को बोल देता हूँ तुम थोड़ा रुको,
गोपालदास जी मुस्कुरा कर बोले।
कुछ देर बाद-कल आपको अग्रवाल का ड्राइवर ले जाएगा आप आराम से देख कर शाम को बापस आ जाना, गोपाल जी ने रश्मि को बताया तो वह एकदम खिल उठी और मुस्कुराते हुए लौट आयी।
अगले दिन सुबह ही अग्रवाल जी का ड्राइवर आ गया और रश्मि उसके साथ आ गयी फेक्ट्री।
ड्राइवर ने आकर फैक्टरी मैनेजमेंट को बता दिया कि ये अग्रवाल साब के खास हैं जिन्हें कुछ जानकारियां चाहिए अब लोग इन्हें सब बता देना साब ने कहा है इन्हें कोई तकलीफ ना हो।
आपको किस क्षेत्र में जानकारी चाहिए मैम जनरल मैनेजर ने पूरे सम्मान से रश्मि से पूछा।
जी मुझे कर्मचारियों से सम्बंधित जानकारियां चाहिए, कैसे आप शिफ्ट मेंटेन करते हैं लोगो की ड्यूटी और उनके रिकॉर्ड्स कैसे मेंटेन किये जाते हैं।
मैं एक सिस्टम सीखना चाहती हूं इसलिए इसपर रिसर्च कर रही हूं, रश्मि ने कहा।
जी अवश्य आप ये सारी जानकारी हमारे कार्मिक विभाग से ले लीजिए मैं आपके साथ किसी को भेजता हूँ आप कार्मिक विभाग जाकर सारी जानकारी ले लीजिए वे आपको पूरा सहयोग देंगे, जनरल मैनेजर ने कहा।
जी धन्यवाद, रश्मि मुस्कुरादी।
कुछ ही देर में रश्मि कार्मिक विभाग में टाइम कीपर के साथ थी जो अपना ज्ञान दिखाने के चक्कर में रश्मि को सब कुछ बता चुका था कि केजे ड्यूटी और पर्सनल रिकॉर्ड मेंटेन होता है।
अच्छा अगर हमे पुराना कोई रिकॉर्ड देखना हो कि शिफ्ट में कितने लोग आए उनके सारे रिकॉर्ड देखने हो तो? रश्मि ने पूछा।
ड्यूटी के रिकॉर्ड तो शिफ्ट की लिस्ट से मिल जाएगी बाकी की जानकारी उनकी अलग-अलग फाइल्स से मिलेगी।
अच्छा मानलो हमें देखना है 15 फरवरी को रात दस बजे कितने लोग बाहर गए तो उसकी जानकारी मिलेगी?
जी जरूर टाइम कीपर मुस्कुरा कर कंप्यूटर के बटन दबाने लगा।
ये लीजिये मेम ये रही उन लोगो की लिस्ट जो लोग 15 फरवरी को 10 बजे बाहर गए।
कोई 30 लोग थे लिस्ट में,
आप तो पर्सनल विभाग से हैं तो आप इन लोगो को अच्छे से जानते होंगे? रश्मि ने मुस्कुरा कर टाइम कीपर से पूछा।
जी सब कुछ हमे अपने हर कर्मचारी की पूरी जानकारी रखनी होती है, टाइमकीपर भी गर्व से मुस्कुराया।
मैं नही मानती की आप सब कुछ जान सकते हो, रश्मि गम्भीर होकर बोली।
सब कुछ जानते हैं मेडम जी, हमे तो सेलरी ही इसी काम की मिलती है।
मैं नही मान सकती, रश्मि गम्भीर बनी रही।
अच्छा आप कुछ भी पूछिये मैं बताता हूँ फिर आप पता करलेना मेरी जानकारी कितनी सही है, टाइम कीपर विस्वास से बोला।
अच्छा बताओ इनमें से कितने लोग शायर हैं ?रश्मि हंसते हुए बोली।
केवल दो, टाइम कीपर ने बिना देर लगाए कहा।
कौन दो? रश्मि ने फिर पूछा, उसकी आँखों में विशेष चमक थी जैसे सफलता उसे मिलने ही वाली थी।
टाइम कीपर ने दो नाम अलग लिख दिए, दोनों ही शर्मा थे।
अच्छा मुझे इन दोनों की पूरी जानकारी इनके फ़ोटो इनके लिखे पेपर दिखा सकते हो?
जी अवश्य टाइम कीपर फाइलें निकालते हुए बोला।
पहली फाइल में रश्मि को निराशा मिली, किन्तु दूसरी फ़ाइल खुलते ही उसकी आंखें चमक उठी पहले ही पेज पर उस अजनबी का फोटो लगा था आगे उसके हाथ से लिखा हुआ कंपनी का फार्म।
रश्मि ने दोनों फ़ाइल से नाम पते ओर मोबाइल नम्बर नोट कर लिए और बापस आ गयी।
चार ही दिन में कंपनी ने सागर को तीन महीने का वेतन देकर जॉब से निकाल दिया।
उसपर इल्ज़ाम था 15 फरवरी की रात दिल्ली की किसी लड़की का 20 लाख का हीरो का हार चोरी करने का।
मिस्टर शर्मा आपको जॉब से हटाया जा रहा है, ये रहा आपका हिसाब ओर 3 मंथ की एडवांस सेलरी।
लेकिन सर मेरी गलती क्या है?? सागर ने पूछा।
आप पर इल्ज़ाम है कि आपने 15फरवरी की रात देहली की किसी लड़की का हीरो का हार चुरा लिया है उसकी मदद करने के बहाने, मैनेजर ने बताया।
वे तो आप पर केस करने वाले थे 'शर्मा' लेकिन फिर हमने बदनामी होने के डर से उन्हें मना लिया लेकिन अब आप यहां काम नही कर सकते।
सागर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।
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रश्मि फेक्ट्री से लौट कर सीधे अपने दादा के पास गयी और उनसे कुछ देर बात करके मुस्कुराते हुए बाहर आ गई।
उसके बाबा गोपालदास जी ने अग्रवाल को फ़ोन किया अभी ये फ़ोन रखकर कुछ सोच ही रहे थे तभी रश्मि ने उनके ऑफिस में कदम रखा।
गुड मॉर्निंग अंकल रश्मि मुस्कुराते हुए बोली।
गुड़ मॉर्निंग रश्मि आज अपने अंकल की याद कैसे आ गयी कोई 4 या 5 साल पहले मिला था आपसे बेटा जी उसके बाद कभी मुलाक़ात ही नही हुई।
यूँ भी बस कभी कभी शुक्ला जी से उनके ऑफस में ही मुलाकात हो पाती है।
हाँ अंकल सही कह रहे हो रश्मि हल्के से मुस्कुरादी।
तो कहो कैसे आना हुआ आपके दादा जी ने हुक्म दिया है कि आपकी हर बात मानी जाए।
ऐसे भी आपके पापा जी मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे हमलोग बचपन से लेकर कॉलेज तक साथ ही थी रोज ही आपके घर आना होता था।
लेकिन कमल ओर भाभी जी के एक्सीडेंट के बाद मेरी हिम्मत ही नही होती आपके घर आने की मेरी आँखें भीग जाती हैं अपने दोस्त को वहां ना पाकर।
लेकिन बेटा जी आप मेरे अपने हो आपकी जब इच्छा आ सकते हो जो चाहे मुझे कह सकते हो आखिर आप मेटे सबसे अच्छे दोस्त कमल की निशानी हो।
तो बताओ आज कैसे याद कर लिया और हां आप फेक्ट्री भी गए थे? कोई बात तो है बेटा जो आपको परेशान किये हुए है।
अग्रवाल अंकल ने बहुत अपनेपन से रश्मि से पूछा।
वो 25 अगस्त को में निधि कपिल राजन सोनिया और नरेश के साथ पहाड़ो पर घूमने गयी थी जहां नरेश ओर निधि ने चालाकी से मुझे ड्रिंक में वाइन मिलाकर पिला दी उसके बाद नरेश ने मेरे साथ,,, मैं बचकर अपनी गाड़ी में लौट रही थी तभी रास्ते में मेरी तबियत,,, उसके बाद एक अजनबी ने मेरी मदद की अंकल वह चाहता तो मुझे पूरा लूट सकता था मैं किसी भी बिरोध की हालत में नहीं थी अंकल लेकिन उसने मुझे न केवल सुरक्षित घर छोड़ा बल्कि मेरी ज्यादतियों को भी बर्दाश्त किया।
ये है वह अजनबी अंकल, रश्मि ने सागर के पेपर्स की फ़ोटो अपने मोबाइल में दिखाते हुए कहा।
ओर अंकल ये आपकी फेक्ट्री में सुपरवाइजर है।
अरे वाह तब तो इसे इनाम मिलना चाहिए मैं कल ही इसका प्रोमोशन लेटर भेज देता हूँ, अग्रवाल जी ने मुस्कुरा कर कहा।
नहीं अंकल आपको इसे नोकरी से निकलना है, रश्मि गम्भीर होकर बोली।
क्या!!! ये भला क्या इनाम हुआ रश्मि?
बस अंकल आपको यही करना है , रश्मि बोली।
लेकिन बेटा हम ऐसे किसी को जॉब से नहीं निकाल सकते और फिर निकालने पर हमें 3 मंथ की सैलरी भी देनी पड़ती है।
वो मैं दे दूंगी अंकल ओर जॉब से निकालने की बजह है मेरे हीरों के हार की चोरी, रश्मि हल्के से मुस्कुरादी।
लेकिन अभी तो आपने कहा कि उसने कुछ नहीं चुराया? अग्रवाल जी को कुछ समझ नही आ रहा था।
उसने मेरा हीरो से भी कीमती सामान चुराया है अंकल, अबकी रश्मि खुल कर मुस्कुराते हुए शर्मा गयी।
ओह्ह!अब समझा, लेकिन बेटा उसके लिए उसे नोकरी से निकालने की क्या जरूरत है, मैं उसका ट्रांसफर यहां कर लेता हूँ उसके बाद आप मिल लेना उससे।
नहीं अंकल ऐसे नहीं आप बस जो मैं कह रही हूं वही कीजिये, रश्मि फिर से गम्भीर हो गई।
मेरी समझ मे नही आ रहा आप करना क्या चाहती हो लेकिन फिर भी जो चाहती हो; वो हो जाएगा अग्रवाल जी ने कहा।
थैंक्यू अंकल रश्मि मुस्कुराते हुए लौट आयी।
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आज सागर को नोकरी छूटे पांचवा दिन है, वह सोच रहा है कि उसने तो कोई चोरी नहीं की फिर उसे नोकरी से क्यों निकाल दिया गया।
उसे रश्मि पर गुस्सा आ रहा है कि उसने कितना गलत किया, अहसानफरामोश लड़की।
क्या मुझे उससे मिलने जाना चाहिए क्या मुझे उससे ये पूछना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया??
क्या पता उसका हार इसके दोस्तों ने चुराया हो जिन्होंने उसे शराब पिलाई थी, ओर इल्ज़ाम मुझपर, ये बड़े लोग भी ना हमेशा गरीब को दोषी मानते हैं; सागर परेशान बड़बड़ा रहा था।
मैं जाऊंगा उससे मिलने एक बार पूछूंगा तो ज़रूर की उसने ऐसा क्यों किया। उसके घरवालों को बताऊंगा उस रात की बात, कोई तो समझेगा, सागर ने निश्चय कर लिया।
इधर रश्मि रोज गिरधारी से पूछती," कोई मुझे मिलने तो नहीं आया अंकल?"
और उसके ना कहने पर उदास होकर लौट जाती।
सागर उदास बैठा सोच रहा था कि उसने तो इंसानियत के नाते रश्मि की मदद की थी फिर उसने चोरी का इल्जाम क्यों लगाया, उसने तो कोई चोरी नहीं की।
मुझे एक बार जाकर उस लड़की से बात करनी चाहिए अगर मैं उसके घर वालों को उस रात की सारी बात बताऊंगा तो वे लोग अवश्य समझेंगे, सागर ने सोचा और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा।
रश्मि ने गिरधारी काका(वॉचमैन) से पूछा, "काका, क्या कोई मुझे पूछने आया?"
गिरधारी ने ना में सर हिला दिया।
रश्मि भाग कर अपने कमरे में अस गई उदासी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।
क्या उसे एक बार आना नही चाहिए था?? रश्मि ने गुस्से में गुलदस्ता फेंकते हुए कहा,समझता क्या है ये खुद को, लेकिन मैं जानती हूं आएगा जरूर रश्मि विस्वास से मुस्कुरादी।
लेकिन कब??, बच्चू सारा बदला लुंगी तुमसे देखना तुम ,रश्मि अभी भी गुस्से में थी; तभी गिरधारीलाल दौड़ते हुए आये," छोटी मालकिन आपसे कोई मिलने आया है"।
कौन? रश्मि ने अधीरता से पूछा।
कोई जवान लड़का है गोरा लंबा,, गिरधारी ने हुलिया बताया।
ओह्ह!! तो आ गए जनाब शायर साब, रश्मि खिल उठी, लेकिन अगले ही पल गम्भीर होकर बोली, "काका आप उन्हें बिठाओ चाय नास्ता कराओ और कहना मैं घर पर नहीं हूं बाकी एकाध घण्टे बाद बताऊंगी।
ठीक है बेटा जी, गिरधारी ने कहा और लौट आया।
आओ साब, गिरधारी सागर को गेस्ट रूम में ले आया जो नीचे ही था छोटा सा कमरा जो बाहरी लोगों के लिए बनाया गया था।
आप बैठिए मैं आपके लिए नास्ते का इंतज़ाम करता हूँ।
मैं यहां नास्ता करने नहीं आया चाचा जी मुझे बस रश्मि जी से दो मिनट बात करनी है।
साब छोटी मेम साब तो घर पर नहीं हैं आपको इंतज़ार करना पड़ेगा तब तक आप आराम कीजिये।
कोई दो घण्टे बीत गए सागर को आये इस बीच दो बार चाय आ चुकी थी बढ़िया नास्ते के साथ लेकिन रश्मि उसे मिलने नहीं आयी इस बीच गिरधारी 4 बार अंदर हो आया था और हर बार एक ही बात कहता छोटी मालकिन अभी लौटी नहीं हैं, जैसे ही आती हैं आपके बारे में बताता हूँ।
कोई और तो होगा घर में आप मुझे उनके पेरेंट्स से ही मिला दो मैं अपनी बात उन्हें ही बता कर चला जाऊंगा।
कोई नहीं है साब, हमारे साब ओर मालकिन तो दस साल पहले ही एक कार के एक्सीडेंट में,, गिरधारी उदास हो गया।
बड़े मालिक ने बहुत प्यार से पाला है रश्मि बिटिया को इसीलिए थोड़ी जिद्दी है हमारी रश्मि मेमसाब लेकिन दिल की बहुत अच्छी हैं साब जल्दी ही लोगों की बातों में आ जाती है, लोग कई बार उनकी इसी अच्छाई का फायदा उठाते हैं।
दादा जी भी कभी उनकी किसी बात को मना नहीं करते, आखिर ये सब रश्मि बिटिया का ही तो है।
लेकिन बेटा आज तक हमारी रश्मि को जो भी दोस्त मिले हैं मतलबी ही मिले हैं।
बैसे आप किस सिलसिले में आए हैं?"गिरधारी ने धीरे से पूछा।
जजजी!! नोकरी,, सागर कुछ अचकचा गया।
ओह!!जरूर दिला देंगी रश्मि बिटिया आपको नोकरी साब।
आप कहाँ से आए हो? घर में कौन-कौन हैं? गिरधारी ने पूछा 
जी यूपी से, वहां गांव में हमारी खेती है जिसे पिताजी देखते हैं माता जी और एक छोटी बहन है सब गांव में ही रिश्ते हैं।
अच्छा अच्छा, मैं बताता हूँ आपके बारे में बिटिया को आते ही
  आप आराम करो, कहते हुए गिरधारी बाहर निकल आया।
कोई नहीं है साब ,,,, गिरधारी की कही बातें सागर के कानों में गूंज रही थी,, थोड़ा जिद्दी है रश्मि बिटिया ,,, ।
बेटा जी कब तक बिठाना है उन्हें, नोकरी के लिए आये हैं कहीं दूर से अपने कभी कह दिया होगा, गिरधारी फिर से  रश्मि के पास आया।
हाँ काका जी लेकिन दादू से बात किये बिना कैसे मिलू उनसे समझ नहीं आ रहा रश्मि गंभीर होकर बोली।
आप उन्हें कल तक रोके रहिये रात को हम दादू से बात कर लेंगे फिर मिलेंगे इन से, रश्मि ने धीरे से कहा।
अरे बेटा आप इन्हें साब जी के दफ्तर भेज दो और सेठ जी को फोन पर बता दो वे देख लेंगे इन्हें क्या नोकरी देनी है।
अरे नही काका जी मैं बात कर लुंगी रात को दादू से आप जाओ और उन्हें कह दो कल मुलाकात होगी चाहे वह यहाँ रुके अगर ना चाहे तो बाहर कहीं इंतज़ाम कर ले, रश्मि ने गिरधारी को जबाब दिया।
जी रश्मि बिटिया मैं कह देता हूँ बेकार में इंतज़ार में परेशान हो रहे हैं।
आज तो आपकी मुलाकात नहीं हो पाएगी साब, आप कल मिल लेना रश्मि बिटिया से और सेठ जी से।
आपके रहने का इंतज़ाम यहीं करूँ या आप बाहर कहीं?? गिरधारी ने सागर को बताया।
जी शुक्रिया मैं होटल में रुक जाऊंगा बहुत मेहरबानी आपकी और आपकी रश्मि मेमसाब की, जो घर में होते हुए भी मुझे दो मिनट ना दे सके, सागर गुस्से में जाने लगा ।
जैसे आपकी मर्जी बैसे आप यहां भी रुक सकते थे, गिरधारी मुस्कुरा दिया।
लेकिन सागर बाहर निकल गया।
आजकल के नोजवान भी ना अब बताओ ये कोई बात हुई नोकरी मांगने आये है हमने इन्हें मेहमानों जैसे रखा लेकिन इन्हें तो लग रहा है ये हमपर एहसान कर रहे हैं, गिरधारी बड़बड़ा रहा था जिसे सुनकर रश्मि मुस्कुरा रही थी।
सागर को लौटे कोई दो घण्टे हो गए उसने पास ही एक सस्ते होटल में रात के लिए कमरा ले लिया और ढाबे से खाना खाकर कमरे में लेट गया।
कितनी नकचढ़ी लड़की है घर में ही थी लेकिन मुझे दो मिनट भी मिल नहीं सकी, किस मुंह से मिलती बिना बजह झूठा इल्ज़ाम जो मुझपर लगाया है, सागर सोच रहा है।
सोच रही होगी अकेली मुझे जबाब क्या देगी इसलिए नहीं मिली, सुबह दादा जी के सामने बात करेगी, लेकिन मैं भी इसके दादा जी को सारी बात बताकर उन्ही से अपनी गलती पूछूंगा, इतनी बड़ी चोरी का इल्जाम भगवान जाने कैसे लोग हैं।
इनसे तो इनके नोकर ज्यादा अच्छे हैं बेचारे ने मुझे अपने मेहमान जैसा रखा वह तो रात को भी  मुझे अपने पास,, सही कहा है गरीब हमेशा दिल से अमीर होता है, ओर ये अमीर लोग,,, सागर इसी उधेड़बुन में खोया थक कर सो गया।
कैसा इंसान है यहां नहीं रुक सकता था, यहाँ कोई उसे खा रहा था!! रश्मि गुस्से में बड़बड़ा रही थी।
उसे समझना चाहिए था ना कि हम आज उसे बस सता रही हैं।
हमने उसकी मेहमाननवाजी में क्या कमी की?? सेल्फिश कहीं का।
उसे पता था कि हम घर पर ही हैं और अकेली हैं लेकिन फिर भी चला गया, आज कहाँ चली गयी इसकी हमारे लिए फिक्र।
रश्मि परेशान होकर कमरे में चहलकदमी कर रही थी।
शायद बहुत नाराज है हमसे?? हमने भी तो कुछ ज्यादा ही कर दिया,,, रश्मि उदास हो गयी।
लेकिन उसने जो किया?? उस दिन हमें सम्भाल कर लाया हमारी ज्यादती बर्दास्त की लेकिन हमें ऐसे लावारिश की तरह घर के बाहर,,, हमारा चेन चुराकर ले गया और अपना अता-पता तक नहीं बता कर गया उसका क्या?? अगर हम ना खोज पाते तो ??
हमतो जिंदगी भर अफसोस ही करते रहते की जिंदगी में एक अच्छा और सच्चा इंसान मिला लेकिन अजनबी ही रह गया।
हुंह!!, अजनबी रश्मि फिर गुस्से में टहलने लगी,,,

सागर रश्मि के बारे में सोचता सोचता सो गया ।
इधर गोपालदास जी के आते ही रश्मि ने उन्हें कुछ बताया और वह मुस्कुरा दिए, उसके बाद दोनों कुछ देर गंभीरता से बातें करते रहे।
सुबह ठीक आठ बजे सागर ने गोपालदास जी का द्वार खटखटा दिया।
अरे आप? इतनी सुबह, गिरधारी ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
जी मुझे बस दो मिनट बात करनी है उनसे आप बता दीजिए जाकर मुझे जल्दी ही लौटना है।
हाँ हाँ चले जाना आओ अंदर तो आओ मैं बताता हूं रश्मि बिटिया को।
जी काका जी ,ओर अपने सेठजी से भी मिलबा दीजिये,सागर धीरे से बोला।
अच्छा,, गिरधारी उसे गेस्ट रूम में बैठने का इशारा करके अंदर चला गया।
बिटिया वह कल वाला लड़का आया है मैने उसे बिठा दिया है वह सेठजी से भी बात करना चाहता है , गिरधारी ने अंदर आकर रश्मि से कहा ।
अच्छा काकू आप उन्हें नास्ता कराओ मैं आती हूँ दादा जी तो अभी नहाने गए हैं उनसे मैं बात कर लुंगी आप चलो।
जी बिटिया कहकर गिरधारी  लौट गया।
लीजिये जलपान कीजिये बिटिया आती हैं अभी, गिरधारी ट्रे लेकर अंदर आया।
मैं यहां चाय पानी के लिए नहीं आता हूँ काका जी मुझे बस दो मिनट बात करनी है इन लोगों से , सागर तनिक रोष में बोला।
अरे ऐसे कैसे बात कर रहे हो आप ? गिरधारी चोंकते हुए बोला, एक तो नोकरी मांगने आये हो ऊपर से हम आपसे मेहमानों की तरहा पेश आ रहे हैं, उसपर भी ऐसे बात कर रहे हो जैसे हम पर अहसान कर रहे हो।
मैं यहां नोकरी मांगने नही आया काका, सागर जोर से बोला।
अरे वाह कल तुमने नहीं कहा था कि नोकरी के लिए,, गिरधारी फिर से चोंका।
हाँ कहा था क्योंकि आपकी रश्मि मेम साब ने मुझे नोकरी से निकलवा दिया, मेरी खता सिर्फ इतनी थी काकू की मैंने एक अजनबी लड़की की मदद की थी।
सागर कुछ सोचते हुए उदास होकर बोला, ये अमीर लोग  कभी हम गरीबों को नही समझ सकते काकू, एक आप हैं जो मुझसे इतने अच्छे से बात करते है, मेरे लिए इतना कुछ करते है और एक आपके मालिक लोग जो दो मिनट बात भी नहीं करते मेरे साथ इतना बुरा करके भी, सागर धीरे से बोला।
ये क्या कह रहे हो बेटा, मुझे तो रश्मि बिटिया ने ही कहा था कि आप उनके खास दोस्त हो इसलिए आपका खास ख्याल रखूं और उन्होंने तो मुंझे ये भी कहा था कि तुम्हारे रात को रहने की व्यवस्था भी यहीं की जाए।
तुम्हारे यहां ना रुकने से कुछ उदास भी थी रश्मि बिटिया।
क्या!!!, सागर को जैसे अपने कानों पर विस्वास ही नहीं हुआ।
सच कह रहा हूँ बेटा मेरी अनुभवी आंखों ने उसकी उदासी देख ली थी जब मैंने बताया कि तुम आज रात होटल में रुकने वाले हो।
अच्छा मैं चलता हूँ बाद में आता हूँ,कहकर गिरधारी लौट गया।
सागर उदास बैठा था उसके कानों में गिरधारी की आवाज गूंज रही थी।
तो रश्मि मेरी खातिर कर रही थी,,, उसका खास दोस्त,,, रात रूकने को,,
ओह्ह!!, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ, पहले तो मुझे नोकरी से निकलवा आयी अब खास दोस्त भी कहती है और दो मिनट बात करने का टाइम भी नहीं उसके पास।
सागर को कुछ समझ  नहीं आ रहा था ,, मेरे होटल में रुकने से भला क्यों उदास हो गयी ये लडक़ी?
सागर का दिमाग चक्कर खा रहा था,, इसी उधेड़बुन में कोई दो घण्टे निकल गए इस बीच न गिरधारी आया न ही रश्मि या सेठ जी ,लेकिन सागर अपने ख्यालो में खोया था , उस रात से अब तक कि सारी घटनाएं उसके सामने घूम रही थी तभी गिरधारी ने आवाज लगाई, " आईये रश्मि बिटिया आपको ऊपर बुला रही हैं।
सागर बिना कुछ कहे गिरधारी के पीछे चल पड़ा, गिरधारी सागर को एक कमरे के बाहर छोड़ आता।
सागर ने हल्के से डोर नोक किया, ,,
आ जाओ उधर से रश्मि की बहुत हल्की आवाज सुनाई दी।
सागर ने बढ़ती धड़कनों के साथ कमरे में पैर रखा सामने रश्मि खड़ी थी, एक दम परी जैसी खिली खिली गोरी गुलाबी रश्मि, ब्लैक जीन्स औऱ गुलाबी टॉप पहने बिल्कुल किसी खिले गुलाब जैसी।
उसे देखकर सागर जैसे खुद को ही भूल गया।
जी कहिये, क्या बात करना चाहते हैं? रश्मि धीरे से बोली।
अअयह हाँ, सागर कुछ अचकचा गया।
जी मुझे नोकरी से निकाल दिया गया, सागर ने एक दम से कहा।
अच्छा!! क्यू?? रश्मि ने बहुत ही भोलेपन से पूछा।
आपके कारण, सागर थोड़ा गुस्से में बोला।
हाये राम, हमने क्या किया? रश्मि उसी भोलेपन से बोली।
ज्यादा भोली मत बनिये मेम साब अपने ही तो इलज़ाम लगाया था कि मैंने आपका हीरों का हार चुरा लिया, उसी इल्ज़ाम में निकाल दिया गया मुझे नोकरी से, सागर अभी भी गुस्से में था।
अच्छा तो वह आप थे? लेकिन हमें तो आपका नाम, आपका पता कुछ भी नही मालूम था फिर हमने कैसे? रश्मि ओर ज्यादा भोली बन गयी।
अच्छा उस दिन रात को जब आप नशे में उल्टियां कर रहीं थी तब मैंने आपकी मदद,, सागर चिढ़ कर बोला।
ओह्ह!! तो आप वह हो, लेकिन आप तो हमें अपना नाम अपना पता कुछ भी बता कर नहीं गए थे फिर हम कैसे आपको नोकरी से निकलवा सकते हैं? रश्मि उसी मुद्रा में बोली।
फिर आप उनको बोल दीजिये ना की हमने आपका हार नहीं चुराया, सागर धीरे से अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश करता हुआ बोला।
आपने नहीं चुराया तो फिर आप चोरों की तरह बिना बताए क्यों चले गए हमें ऐसे रास्ते में छोड़कर, रश्मि भी अब थोड़ा गुस्से में बोली।
रास्ते में नहीं आपके घर के सामने गाड़ी पार्क करके गया था मैं,आप इस हालत में नहीं थीं की आपको आपके घर बालों को सौंप सकता, वह आपकी हालात देखकर जाने क्या सोचते आपके ओर मेरे बारे में इसलिए आपको छोड़ कर चला गया था, मेम साब।
हमारा नाम मेम साब नही रश्मि है, तो पहले तो ये मेम साब कहना बन्द कीजिये और ये बताईये की इतनी ही फिक्र थी हमारी तो ऐसे लावारिस छोड़कर जाने की क्या जरूरत थी हमारी हालात सुधरने तक रुक भी तो सकते थे, ऐसे रोड पर गाड़ी खड़ी कर गए ये भी नहीं सोचा कि कोई हमारा गाड़ी सहित किडनैप ही कर लेता तब?? रश्मि ओर ज्यादा चिढ़ गयी।
पक्का इन्तज़ाम करके गया था मैं रश्मि जी, पूरी गाड़ी अंदर से लॉक थी गाड़ी के सारे सेफ्टी अलार्म ऑन थे और हैंड ब्रेक लगे हुए थे, अगर कोई जरा सा भी टच करता आपकी गाड़ी को तो इतना शोर मचाती की आपके साथ साथ पूरा मोहल्ला जग जाता, सागर अब मुस्कुरा कर बोला।
लेकिन तुम्हे अपना नाम पता कुछ तो छोड़ना चाहिए था, या चलो कभी एक बार देखने ही आ जाते की हम ठीक हुए या मर गए, रश्मि अब भी बदस्तूर नाराज़ थी।
वो तो भला हो उस छोटी डायरी का जिस से हमें उस फेक्ट्री का पता मिल गया लेकिन फिर भी तुम्हे ढूंढना कितना मुश्किल था उफ्फ, लेमिन बच्चू हम जो चाहते हैं उसे हासिल करके ही रहते हैं।
ऑफ़ह!!, लेकिन उसके लिए हमें झूठी चोरी का इल्जाम लगाकर ऐसे नोकरी से निकलवाने की क्या जरूरत थी ?,
सजा थी आपकी, ऐसे हमे बिना नाम पता बताए जाने की, हम इस न करते तो क्या आप यूँ पागलो की तरह हमसे मिलने को तरसते, रश्मि मुस्कुरा कर बोली।
ये बदला था उस मेहनत का जो हमने आपको ढूंढने में की थी, क्योंकि आप ने हमारी सबसे कीमती चीज चुराई है, कहते हुए रश्मि थोड़ा शरमा गयी।
ओह्ह!!, फिर वही बात, भगवान कसम मैंने कुछ नही चुराया रश्मि जी,सागर फिर अचकचाकर बोला।
चुराया है जी आप ही ने चुराया है,  ओर उसकी सजा दादा जी आपको देंगे चलिए उनके ऑफिस, रश्मि पूरे विस्वास से बोली।
हाँ चलो, मुझे भी उनसे बात करनी है, सागर तुरंत तैयार हो गया।
रश्मि ने गाड़ी निकाली और थोड़ी ही देर में दोनों गोपालदास जी के सामने थे।
दादू इन्हें आपसे बात करनी है, रश्मि मुस्कुरा कर गोपालदास जी से बोली।
आओ आओ बरखुर्दार बैठो,तो आप हैं जिन्होंने हमारी जान की जान और इज्जत सही सलामत घर तक पहुंचाई, शुक्रिया  नोजवान, गोपालदास जी बहुत अपने पन से पेश आये।
लेकिन सेठ जी,
दादू अरे भाई दादू कहिये हमें सेठ जी तो सभी कहते है, बहुत पराया सा लगता है ये, गोपालदास जी ने सागर को बीच में ही टोक दिया।
जी दादू, सागर थोड़ा शर्मिंदा हो गया।
हाँ तो क्या कह रहे थे आप, गोपालदास जी ने पूछा।
जी दादू देखिए ना मैंने रश्मि जी की हेल्प की उन्हें घर पहुंचाया लेकिन उन्होंने मुझे चोरी का इल्जाम लगाकर नोकरी से निकलवा दिया, सागर उदास होकर बोला।
अच्छा ऐसा किया रश्मि ने?
दिस इस नॉट फेयर रश्मि आपको इतने भले नोजवान के साथ ऐसा बर्ताब नहीं करना चाहिए था, गोपालदास जी ने मुस्कुरा कर रश्मि को देखा।
दादू इन्होंने सच में मेरी बहुत कीमती चीज चुराई है, ओर चुरा कर बिना बताए गायब हो गए थे, ये तो मैने मजबूर किया इन्हें बरना जिंदगी भर अजनबी ही रहने वाले थे ये जनाब इन्हें सज़ा मिलनी ही चाहिए, रश्मि हठ से बोली।
अच्छा अच्छा समझ गया और अब मैं तुम दोनों को ही तुम्हारी ना समझी की सज़ा सुनाता हूँ, ये लो सागर बेटा आपकी सज़ा , गोपालदास जी ने एक लिफाफा उसकी तरफ बढाया।
सागर ने कांपते हाथों से लिफाफा खोला, उसमें एक लेटर था," यू आर ऑपोइंटेड एज जनरल मैनेजर इन अवर टेक्सटाइल एंड गारमेंट्स सेक्शन सेलेरी 70,000 विध थ्री रूम सेट।
क्या ये सच है?? हाँ बरखुरदार एक दम सच, गोपालदास जी मुस्कुरा कर बोले।
लेकिन इतनी बड़ी पोस्ट ऐसे बिना जाने बिना इंटरव्यू, सागर असमंजस में धीरे से बोला।
सब देख परख कर ही डिसीजन लिया है बरखुरदार आपकी पूरी फ़ाइल हमारे पास है और इंटरव्यू तो दो बार गिरधारी आपका ले ही चुका है आपके धैर्य की परीक्षा आपके चरित्र की परख सब हो चुकी है।
आप टेक्सटाइल से इंजीनियरिंग डिग्री लिए हो, प्रोडक्शन मैनेजमेंट में mba कर रहे हो आप पूरी तरह इस जॉब के लायक हो, ओर फिर हमें अपनी रश्मि की गलती भी तो सुधारनी है।
ओर रही बात उसका कुछ चुराने की तो आज से वही तुम्हारी बॉस होगी, इस कंपनी को मालकिन वही है तो अब तुम उसी के साथ रहोगे और वह अपनी चुराई चीज़ तुमसे लेगी या तुम्हारे पास छोड़ेगी वह खुद डिसाइड कर लेगी यही है तुम दोनों की सजा।
अब जाओ और कंपनी के काम के साथ साथ एक दूसरे को भी ओर ज्यादा समझ लो,  गोपालदास जी अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराए और रश्मि शरमाकर भाग गई।
सागर को अब कुछ कुछ समझ आ रहा था लेकिन वह रश्मि को अभी और सताने की सोच चुका था।
आईये छोटी मालकिन गुलाम हाजिर है, सागर गाड़ी का दरवाजा खोल कर बड़ी अदा से झुक कर बोला।
अच्छा जी रश्मि गाड़ी में बैठते हुए उसे घूंसा दिखाने लगी।
मेने कहा था न मेरा नाम रश्मि है मुंझे वही बुलाया करो।
लेकिन अब तो आप मेरी बॉस हो ओर मैं आपका अदना सा गुलाम, सागर इसकी आंखों में देखकर मुस्कुराने लगा, लेकिन जो चुराया है अब नहीं लौटाऊंगा वह ऐसे ही उसे एक टक देखते हुए बोला।
ऐसे क्या देख रहे हो? रश्मि ने शरमाकर नज़रे झुका लीं।
देख रहा हूँ चुराने को ओर क्या क्या रह गया , सागर ने हिम्मत करके अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया,मैं जिंदगी भर आपकी गुलामी करने को तैयार हूं मालिकाये हुस्न, सागर ने बड़ी अदा से सर झुका कर कहा।
तो वादा करो आगे से शायरी बस मेरे लिए ही लिखोगे, रश्मि ने होले से उसका हाथ दबा कर कहा।
कभी हुकुम उदूली नहीं होगी मलिका, सागर ने कहा और दोनों हंसने लगे।
समाप्त।
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