दोस्तों उम्मीद है आप लोग चिंटू चूहे की नहीं भूले होंगे।
क्या कहा कौन चिंटू?? अरे वही 'चिंटू की चतुराई' वाला जिसने 'कालिया लहरी' मेरा मतलब खूंखार साँप को दफन कर दिया था।
क्या कहा अभी भी याद नहीं आया??☺️
अरे वही चिंटू जो 'जैसा खाये अन्न' में खुद को भेड़िया समझने लगा था और फिर लैबोरेटरी जाकर 'इंसान बनने' वाला था।
कुछ लोगों को जरूर याद आ गया होगा लेकिन जिन्हें याद नहीं आया उन्हें बता दूँ की चिंटू एक चूहा है जो रेटोरी में रहता है।
पहले सारी चूहा बिरादरी कालिया लहरी के आतंक से भयभीत थी लेकिन एक दिन चिंटू की चतुराई से चूहों ने कालिया को जमीन में दफन कर दिया।
उसके बाद चूहों पर कुछ बड़े जानवरों का खतरा मंडराता रहता था तो चिंटू भेड़िये का माँस खाकर खूँखार बन गया और उससे सारे बड़े जानवर डरने लगे और उसके बाद चिंटू ने मनुष्यों के बीच कुछ दिन रहकर विज्ञान आदि का ज्ञान प्राप्त किया और चूहों की मदद से एक मजबूत किला बनाकर उसमें अपनी बस्ती बनाई जिसका नाम इन्होंने रखा' रेटोरी।
रेटोरी नदी के सबसे ऊँचे किनारे पर पत्थरों के बीच बना एक सुरक्षित स्थान था।
चिंटू अब इतना चालक हो चुका था कि नदी किनारे पर आती मछलियों का शिकार कर लेता था।
वह मनुष्यों के स्कूल और लेबोरेट्री में छिप कर जाता था और नई नई चीजें सीखता था।
एक दिन चिंटू ने सारे चूहों की एक सभा बुलायी।
"जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम चूहे दुनिया में सबसे कमजोर प्राणी माने जाते हैं। लोग हमारे कमज़ोरी को हमारे नाम से परिभाषित करते हैं जैसे:-इसका दिल चूहे जैसा है। या फिर ओये! क्या चूहे की तरह बिल में छुपा है।
और तो और ये गाना भी बना लिए, कहीं मारे डर के चूहा तो नहीं हो गया...
जबकि हम ना तो बुद्धि में किसी से कम हैं और ना ही बल में। इसका परिचय कितनी बार हम लोग अपने कामों से दे चुके हैं।
मुझे अपनी बिरादरी को कमज़ोर कहे जाने पर एतराज है और मैं चूहा बिरादरी पर लगे इस कमज़ोरी के ठप्पे को मिटाना चाहते हूँ।
मेरा एक सपना है कि संसार चूहों को सम्मान दे और हमें कमज़ोरी एवं भय का पर्याय ना समझा जाये।
इसके लिए मेरी एक योजना है कि मैं इस 'रेटोरी' चूहा लैंड में एक स्कूल खोलूँ। मेरे स्कूल में मनुष्यों की तरह बेकार का पुराना रट्टा न लगाया जाए। ना ही बीती बातों को घोटा जाए और ना ही हर शिक्षा के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज खोले जाएं।
बल्कि मैं एक ऐसा विस्तरित कॉलेज खोलना चाहता हूँ जिसमें पहले पाँच साल अक्षर ज्ञान और हिसाब-किताब सिखाने के बाद बच्चे अपनी रुचिअनुसार तकनीकी ज्ञान ले सकें। हमारे स्कूल में कारखाने भी होंगे और अस्पताल भी। पुस्तकालय भी होंगे और लेबोरेट्री भी। गणित, भूगोल, विज्ञान भी होगा इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, मेकेनिकल और वास्तुकला भी। यहा विद्यालय दिन रात खुला रहेगा और इसमें पढ़ने वाले बच्चे अपनी सुविधा अनुसार किसी भी समय अपनी पढ़ाई कर सकेंगे।
इस विद्यालय में परीक्षा नहीं प्रोत्साहन और मार्गदर्शन होगा। यहाँ कोई भी बच्चा कभी भी अपनी रुचि का कोई भी काम सीख सकेगा जो आगे उसकी आजीविका में सहायक हो सके। यहाँ हम बच्चों को नौकरियों के लिए नहीं बल्कि स्वमं के विकाश के लिए तैयार करेंगे।
यहाँ के बच्चे एक समान शुल्क में ही अध्यापक, डॉक्टर, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर एक्सपर्ट, आदि सब कुछ बनेंगे तो उसी के साथ टेक्नीशियन मिस्त्री और चित्रकार भी बनेंगे।
हमारे स्कूल में बच्चे किताबी ज्ञान नहीं लेंगे बल्कि उन्हें हर विषय खुद करके सीखो के आधार पर पढाया जायेगा और जो विद्यार्थी कारखाने या अस्पतालों में सेवा देकर शिक्षा लेंगे उन्हें उचित पारिश्रमिक भी दिया जाएगा। ऐसे कुछ ही दिन में हमारे पास ऐसे शिक्षित युवा होंगे जी कागजी डिग्रियां लेकर नौकरी माँगने वालों की बेकार फौज की जगह खुद रोजगार उतपन्न करेंगे और नई-नई चीजें बनाकर हमारे रेटोरी के विकाश में योगदान देंगे। मेरा सपना है कि मैं किताबी ज्ञान वाले युवाओं की जगह हर युवा को किसी ना किसी क्षेत्र में पारंगत बना दूँ जो स्वमं का राष्ट्र का और मानवता का विकाश करने में सक्षम हों।" चिंटू ने लंबा-चौड़ा भाषण दिया।
"अरे चिंटू आज फिर लगता है तू कुछ उल्टा-पुल्टा खाकर आ गया?" कुद्दु दद्दा ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
"नहीं दद्दा मैं कुछ खाकर नहीं आया हूँ बल्कि इतने दिन इंसानों के बीच रहकर जीवन का सच्चा ज्ञान सीखकर आया हूँ। मैंने देखा है कि इंसान ज्यादातर स्कूलों में नौकरी माँगने वाले क्लर्क बना रहा है जिनकी भीड़ बढ़ती जा रही है और उसके पास अस्पताल और कारखाने के अच्छे तकनीक कर्मचारियों की भारी कमी है।
मैं उनके बीच रहकर उनकी एक गलत नीति को अच्छे से पहचान चुका हूँ जो है उनकी अनुचित शिक्षा पद्धति।
लेकिन मैं एक सपना देखकर आया हूँ जो उस नीति को बदलकर एक नई क्रांति लाएगी और यदि हमारी ये योजना सफल हुई तो वह दिन दूर नहीं जब सारी दुनिया हमारे रेटोरी के उदाहरण देती घूमेगी और हमसे सीखने आएगी।
हमारे स्कूल में बच्चे जवान भी बनेंगे किसान भी बनरंगे और वैज्ञानिक भी।
हम एक ही प्रांगण में सारी पद्धति उपलब्ध कराएँगे।
और यहाँ किसी बच्चे पर उसकी रुचि के विरुद्ध कुछ नहीं थोपा जाएगा। हम प्रयास करेंगे कि हर बच्चा ऐसी शिक्षा लेकर जाए कि वह एक दिन भी बेरोजगार ना रहे।" चिंटू ने फिर अपना विचार सबको बताया।
"ठीक है मेरे बेटे, तुम्हारी इस योजना पर मुझे गर्व है और तुम्हारे इस सपने को पूरा करने के हर कार्य में हम सभी का पूरा सहयोग तुम्हें मिलेगा।" चिंटू के बाबा ने कहा।
चिंटू ने झुककर अपने बाबा के पैर छुए और उन्होंने उठाकर उसे गले लगा लिया।
चिंटू की इस अनोखी यूनिवर्सिटी के लिए जमीन की तलाश जारी है।
हम भी चिंटू की योजना के लिए उसे शुभकामनाएं देते हैं।
नृपेंद्र शर्मा "सागर"
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