Thursday, June 10, 2021

बेटियाँ

बेटी भावी माँ होती है,
सृष्टि की धुरी होती है।
सहम रही क्यों आज बेटियां?
डरी कोख में क्यों रोती हैं?

कन्या भ्रूण नष्ट होती हैं।
माएँ भी सम्मलित होती हैं।
बहू कहाँ से तुम लाओगे?
कन्या तो वह भी होती हैं।

सारे बस बेटा चाहते हैं।
कन्या भ्रूण नष्ट करते हैं।
कन्या तो देवी होती हैं।
कन्या से सब क्यों डरते हैं?

कन्या सर्वथा ही पूजित हैं।
इन्हें बचाना सदा उचित है।
दुर्गा-काली बाल सुंदरी।
सारे रूपों में कन्या हैं।

आओ मिलकर प्रण करते हैं।
बेटी का रक्षण करते हैं।
करें भर्त्सना मिलकर उनकी।
कन्या भूर्ण जो नष्ट करते हैं।

नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश
मोबाइल:-9045548008

1 comment: