Wednesday, August 19, 2020

शहीद

#लघुकथा
शीर्षक:-शहीद

"ये जवान जो बॉर्डर पर लड़ते हुए शहीद हुआ है, ये हमारे गाँव का गौरव है। हम इसके नाम पर गाँव के विकास के लिए योजनाएं लाएँगे।" एक नेता जी ने तिरंगे में लिपटे फौजी के शव की ओर इशारा करके कहा।

"ये  फौजी हमारी कौम का था, हमारी कौम का नाम रौशन किया है इसने। हम इसके नाम से बड़ा स्मारक बनवाएंगे।" तभी दूसरे नेताजी खड़े होकर बोले।

"अरे मंत्री जी आ गए...", तभी एक शोर उठा।

"ये जवान जो पड़ोसी मुल्क से की जा रही गोलाबारी का सामना बहादुरी से करते हुए शहीद हुआ है, ये हमारे क्षेत्र का है। जिसने हमारे क्षेत्र का मान बढ़ाया है।
मैं सरकार में मन्त्री होने के नाते ये घोषणा करता हूँ इनके घर की तरफ आने वाली सड़क को चौड़ा करके मुख्य मार्ग से जोड़ा जाएगा और इस रोड का नाम इस शहीद के नाम पर होगा।
और जैसा कि हमारे साथी विपक्षी नेता जी ने अभी कहा था तो मैं इनके घर को स्मारक बनाने के लिए फंड दिलाने का आश्वासन देता हूँ।" 

नेता जी की जय, मंत्रीजी जिंदाबाद के नारों के बीच बेटे के कफ़न-दफन का इंतज़ाम करता उसका बाप अब मन ही मन अपने रहने के इंतज़ार के बारे में भी सोच रहा था।

नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद

3 comments:

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  2. नेताओं को उस शहीद के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने का बहुत अच्छा बहाना मिल गया । लेकिन उस शहीद के पिता के बारे में कुछ भी नहीं सोचा और न ही उसके हालात के बारे में जानना चाहा यहां तक की उस शहीद के गांव वाले भी नेताओं की चाल को नहीं समझ पाए और न ही शहीद के पिता के बारे में कुछ कहना चाहा ।

    आपने अपनी लघु कथा के माध्यम से बहुत गहरी बात कह दी महोदय ।

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  3. सत्य को बयां करती बहुत सुंदर लघु कथा

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