शहर तो शहर आसपास के फार्महाउस उससे भी ज्यादा रंगीनी में डूबे हुए थे।
युवाओं की पार्टी हो और शराब का दौर ना चले ऐसा होना असम्भव ही होता है ऐसे ही शहर से दूर सूनसान में एक बड़ा फार्म हाउस था उसके मालिक के बेटे रोहन ने अपने दोस्तों को न्यू ईयर पर्टी दी थी।
पार्टी में उसके पाँच दोस्त- विकास, प्रिया, रजनी, सुरेश और मनोज शामिल हुए, आधी रात तक शराब और नाच गाने का दौर चलने के बाद मनोज, प्रिया और रजनी के साथ वापस लौट आया लेकिन रोहन, विकास और सुरेश बची हुई शराब खत्म करते वहीं पर रुक गए।
हाँ यार जब तक फड़कता हुस्न और शबाब ना हो पार्टी का मज़ा अधूरा ही रहता है भ,,,का विकास ने भी एक भद्दी सी गाली से उसकी बात का समर्थन किया।
आओ फिर चलते हैं शायद कोई मिल जाये, कोई आइटम हमारी तरह प्यासी पार्टी से लौटती हुई, क्यों सुरेश? रोहन हंसते हुए बोला।
नहीं!!, तुम लोग हर बार ऐसा ही करते हो अच्छी बात है क्या यार, ओर फिर इतनी रात में इतने कोहरे के बीच,,, सुरेश कुछ सहमते हुए बोला।
मरोगे सालो तुम ठंड में अब भ**वालो इतने कोहरे में अपनी उंगलिया तक महसूस नहीं हो रही ऐसे में तुम्हे छमिया की सूझ रही है, जाने को र**तुम्हारा इन्तज़ार कर रही है इस कोहरे में बैठी की आओ राजा मुझे,,,सुरेश उन्हें लगातार लौटने को कह रहा था।
अबे ओ ग*** साले कभी तो अच्छा सोच लिया कर, क्या पता मिल ही जाए, ऐसे भी आज की रात कई कालगर्ल घूमती हैं फार्म हाउस के आसपास मोटे माल की उम्मीद में कोई मिल गयी तो साली जो मांगे हाँ कर देना हमें कौनसा कुछ देना है उसे सुबह ग** पर लात मारकर भगा देंगे भो**वाली र** को, रोहन गन्दी हंसी हँस रहा था।
अभी ये लोग कोई आधा किलोमीटर ही चले होंगे कि तभी इन्हें किसी मधुर धुन में निकलती मुंह से बजती हल्की हल्की सीटी की आवाज सुनाई दी।
इसस्सशः !!!कोई है आगे रोहन मुंह पर हाथ रखकर चुपचाप चलने का इशारा करते हुए बोला।
कोई लड़की है यार इतनी मीठी आवाज में सीटी बजा रही है खुद कितनी स्वाद होगी साली, विकास अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ वहशियाना हँसी धीरे से हँसा।
चलो जल्दी देखते हैं कौन है पक्का कोई चालू माल होगी यार काम बन गया अपना बस जितने भी मांगे एक दो बात करके मान लेना, रोहन की आंखों में कामुकता की चमक थी और होंठो पर वहशियत की हँसी।
कौन है वहाँ विकास ने जोर से पुकारा।
उसके आने के बाद वातावरण में अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी, उल्लू ओर चमगादड़ बार बार उसके पैरों के पास से उड़ रहे थे, जैसे उसके पैर छू रहे हों।
चलो यार वापस चलते हैं, सुरेश वातावरण के संकेत समझकर विकास को कोहनी मारते हुए धीरे से बोला।
सुरेश उस वातावरण में ख़ौफ़ जदा हो रहा था उसने कोहनी मारकर विकास और रोहन को लौट चलने के लिए कहा लेकिन वे दोनों तो उसकी खूबसूरती में खोए थे तो उन्होंने सुरेश की बात पर ध्यान नहीं दिया।
इंसानो से ??
कुछ लुटने का,??
जो मेरे पास था वो तो पहले ही तुम लोग,,,,परी का चेहरा गुस्से में लाल हो गया लेकिन अगले ही पल वह होंठो पर मुस्कान ला कर बोली, हम तो "उसे" बेचती हैं ,तो किसी को लूटने की क्या ज़रूरत और फिर कोई कोशिश भी करे लूटने की तो मैं ऐसे ही तैयार हो जाती हूँ।
बाकी रही जंगली जानवरों की बात तो वे हमला तो करते हैं लेकिन केवल पेट की भूख लगने पर, ऐसे वासना में अंधा होकर तो बस कोई इंसान,,,, नहीं नहीं कोई वहसी दरिंदा ही हो सकता है जो वासना की खातिर किसी मासूम लड़की को शिकार बनाये, वह घृणा से देख रही थी।
ओह्ह!! ठीक है चलो फिर, परी बोली।
लेकिन आप?? सुरेश ने कुछ बोलना चाहा।
लेकिन परी ने उसे चुप कराते हुए कहा," अरे चलो यहां से कोई और आ जायेगा तो मुश्किल हो जाएगी ऐसे भी आजकल पुलिस बहुत परेशान करती है बाकी तुम जो दोगे हो जाएगा, चलो मेरे साथ।
परी एक तरफ चल दी और ये तीनों उसके पीछे चलने लगे।
लगभग बीस मिनट चल कर ये लोग एक ऐसी जगह आ गए जहां बहुत ऊंचे और घने पेड़ों के बीच आठ दस गज का एक गोल मैदान था जो चाँद की रोशनी में एकदम साफ दिखाई दे रहा था।
ये हमें कहाँ ले जा रही है यार इधर तो हमारा फार्म हाउस नहीं है, सुरेश रोहन का हाथ पकड़कर रोकते हुए बोला, मुझे तो बहुत डर लग रहा है यार देखो इसे, लगता है जैसे इसे इस अंधेरे में इतना साफ दिखाई दे रहा है जितना हमें दिन के उजाले में।
अरे चुप कर डरपोक रोहन उसकी खिल्ली उड़ाते हुए बोला।
आओ दोस्तों तभी उसका खनकता स्वर गुंजा।
आस पास गहन अंधकार फैला था लेकिन उसकी देह दूध सी चमक रही थी और आंखे दिए सी जल रही थीं।
चारों ओर भयंकर डरावना शोर हो रहा था, सुरेश ने विकास और रोहन को इशारा करके समझाया।
रोहन उस लड़की के चेहरे को ध्यान से देखने लगा, उसके चेहरे की जगह बस एक काला घेरा था, उसमें उसकी डरावनी आंखें दिए कि लौ जैसे चमक रहीं थी,अभी रोहन विकास की ओर पलटा तभी, परी के मुंह से दो दांत लम्बे होकर बाहर आने लगे ,,,,
नहीं!!! रोहन के हलक से भय चीख बन कर निकला और वह उनकी ओर दौड़ा ,अभी मुश्किल से दो कदम बढ़ाए होंगे कि बिछुओं की पूरी फ़ौज उन दोनों पर झपटी काले काले बड़े बड़े बिछु अपने डंक उठाये उधर लपक रहे थे।
ले पहचान मुझे कुत्ते, उसने रोहन के सर पर हाथ रख कर थोड़ा नीचे दबाया जिससे खूंटा उसके अंदर सरकने लगा।
नही मत करो छोड़ दो हमें हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है रोहन के हाथ आपस में जुड़ गए।
गौर से देख मुझे पहचान मुझे क्योंकि जब तक तू मुझे ना पहचाने तुझे तड़फते देखने में कतई मज़ा नहीं आएगा।
याद कर इस जगह को मा***द याद कर 31 की रात आज ही का दिन यही जगह,,, पूरे एक साल इंतज़ार किइस मैंने तुम दरिन्दों का परी ने जोर से उसके सर को झटका दिया।
गाड़ी की लाइट की रौशनी में रोहन ने देखा सामने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की खड़ी थी,उसे देखकर रोहन का पांव गाड़ी के ब्रेक पेर जम गया गाड़ी चरररर की जोरदार आवाज करती हुए घिसटकर एकदम उस लड़की के सामने जाकर रुकी।
शहर ,उसने धीरे से कहा।
शहर तो नहीं जा रहे हम लेकिन आपको छोड़ देंगे, रोहन पास बैठे विकास को पीछे जाने का इशारा करते हुए बोला।
ओर वह लड़की आगे उसके पास आकर बैठ गई।
वाओ परी धी,, ब्यूटीफुल नेम, बिल्कुल आपही की तरह स्वीट,,।
थैंक यू उसने मुस्कुरा कर जबाब दिया।
लेकिन इतनी रात को आप इस सुनसान में अकेले??,
नहीं मैं अपने दोस्त के साथ थी लेकिन साले ने पार्टी में ज्यादा पी ली और यहाँ सुनसान जंगल में मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा मुझे बहुत गुस्सा आया तो मैने उसको थप्पड़ मार दिया और हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ने को कहा।
तब वो कमीना,, मुझे यहाँ अकेले छोड़कर भाग गया।
भड़वा साला, भ***का परी ने अजीब मुंह बनाकर एक भद्दी गली दी और गुस्से से थूकने लगी।
मूड ऑफ हो गया यार अब घर जाकर सोऊंगी, परी गुस्से में बोली।
क्यों ना आप हमारे फॉर्म हाउस पर चलें ??जो नज़दीक ही है, वहाँ हम जल्दी पहुंच जाएंगे आप आराम से आराम करना और हम आपका साथ देंगे, रोहन ने अर्थपूर्ण शब्द कहे।
य यहाँ!!, क्यों रोक दी गाड़ी, क्या तुम भी मुझे छोड़कर,,?? उसने आंखों में आंसू भरकर कहा।
इसे जाने दो यार ऐसे जबरदस्ती करना ठीक नहीं, सुरेश बहुत धीरे से बोला, ऐसे जबरदस्ती करके क्या मिलेगा हमें रोहन? सुरेश ने डरते हुए बोला।
परी रोते हुए अपने हाथ सीने से चिपकाने लगी।
छोड़ देंगे परेशान क्यों हो रही है तू बस हमें खुश कर दे, विकास हँसते हुए बोला।
नहीं !!! परी जोर से चीखी, बचाओ बचाओ,, और विकास ने उसके मुंह पर हाथ रखकर उसकी आवाज दबा दी।
लेकिन तुम तो।
देख इस जगह को ध्यान से दरिंदे यही वह जगह है जहाँ उस दिन तुमने मेरी इज्जत,,, परी क्रोध में जलने लगी उसका गोरा रंग क्रोधाग्नि से लाल हो गया उसने रोहन के सर को जोर से दबाया।
रोहन को फिर वह मंजर याद आ गया जब वे लोग परिधि के साथ जबरदस्ती,,
मुझे छोड़ दो मर जाऊंगी मैं , परी अपने ऊपर से रोहन को धक्का देते हुए बोली।
नहीं!!!!, छोड़ दो कमीनो परी ने अपनी टांग पकड़े विकास के मुंह पर जोर से लात मारी जिससे वह चिढ़कर उसके मुंह पर नाखून गड़ा कर चिल्लाया, साली ज्यादा मर्द बन रही है, रोहन कर जल्दी साली बहुत उछल रही है,
और विकास ने उसके मुंह मे ****वह तड़फ उठी उसकी चीखें उसके गले में घुट कर रह गईं।
रोहन दर्द से तड़फते हुए रोता रहा, तभी परी ने हाथ से इशारा किया उसका इशारा पाते ही सारे बिच्छू एक साथ विकास और सुरेश पर झपटे,,,
नहीं,,!!!,सुरेश और विकास एक साथ चीखे,,,
कई बिछु दौड़ कर एक साथ विकास के मुंह में घुस गए और उसके होंठों पर डंक मारने लगे।
कुछ बिछु सुरेश के पैरों पर चढ़ गए।
मैंने क्या किया??? सुरेश चीखा, मैं तो इन्हें मना कर रहा था परी और मैने तुम्हे हाथ भी नहीं लगाया था, सुरेश गिड़गिड़ाया।
आहहहहहहहह नहीं ,,!!, सुरेश दर्द से तड़फ उठा।
नही!!ं अभी नहीं कहते हुए परी ने भरपूर ताकत से उसके सर को दबाया जिससे खूँटा पूरा उसके पेट में घुस गया और उसकी आँते फट कर बाहर आ गयीं,उसी के साथ बाहर आ गई उसकी आखिरी सांस भी।
अब परी सुरेश की तरफ पलटी , सुरेश चेहरे पर दर्द लिए हाथ जोड़े कातर नजरों से उसे ही देख रहा था।
लेकिन इन्होंने तुम्हे जान से तो नहीं मारा था फिर तुम कैसे मरी? सुरेश ने पूछा।
उस दुष्कर्म के बाद मैं क्या मुंह लेकर जीती??
तो मैंने पुल से कूद कर अपनी उस घिनोनी जिंदगी का अंत कर दिया और फिर जब मुझे मुक्ति नहीं मिली तो मेरे मन में अपना बदला लेने की चाहत होने लगी और आज मेरा बदला पूरा हुआ आज खत्म हुआ मेरी जिंदगी का आखिरी साल, अब आएगा मेरी मुक्ति का नया साल, और देखते ही देखते वह सफेद धुंआ बनकर उड़ गई, सुरेश भरी आंखों से उसे जाता देखता रहा।
समाप्त