Friday, March 8, 2019

अजनबी

फरवरी का लास्ट वीक था रात को ठंड बढ़ जाती और दिन में सूरज पूरे जोर में गर्मी बिखेरता।
इस गर्मी सर्दी के मेल से  रात में हल्का कोहरा भी फैल जाता।
रात का कोई दस का समय रहा होगा; सागर अपनी ड्यूटी खत्म करके पैदल ही घर की ओर जा रहा था।
सागर का घर फैक्टरी से कोई दो किलोमीटर दूर था।
रास्ता सुनसान था हल्का कोहरा पसरा हुआ था ; चाँद रात का अंधेरा भेदने का असंभव प्रयास कर रहा था।
अचानक विचारों में गुम अपनी धुन में मग्न हो चलता सागर ठिठक कर रुक गया।
सड़क के किनारे एक लाल रंग की महंगी गाड़ी खड़ी थी, उसने झांक कर देखा गाड़ी में कोई नहीं था।
उसने आगे जा कर देखा आगे एक लड़की गाड़ी के पास बैठी उल्टियां कर रही थी।
ककक!! क्या हुआ आपको, सागर अचकचाकर बोला।
अयं!?? लड़की ने घूम कर उसकी ओर देखा।
लड़की के घूमते ही सागर जड़ होकर रह गया,
लड़की इतनी सुंदर थी जैसे खुद चाँद ही नीचे उतर आया हो।
दूधिया गोरा रंग अपने चारों ओर जैसे प्रकाश की आभा बिखेर रहा था।
लड़की ने जीन्स टॉप पहना हुआ था उसकी आंखें नशे या नींद से बोझिल थी शायद नशे में ही क्योंकि उसकी आँखों की लाली रात के हल्के उजाले में भी लाल हुई स्पस्ट दिखाई दे रही थीं।
आप कौन? लड़की ने धीरे से घबराए स्वर में कहा।
जी मैं ,,, मैं तो काम से लौट रहा हूँ, लेकिन आपको क्या हुआ?? आपकी तबियत खराब है क्या??
ककककुछ नहीं हुआ हमें,,, उसने मेरी कोल्ड ड्रिंक्स में वाइन मिला दी बास्टर्ड मैं छोडूंगी नहीं उसे,,,
हिच! ऑउभककक!!! लड़की ने फिर उल्टी की।
सागर फिर से ठिठक गया, आपकी तबियत ठीक नहीं है आप ऐसे में ड्राइव कैसे करेंगी ऊपर से घनी अँधेरी रात भगवान ना करे आपके साथ कोई अनहोनी हो।
आप कहें तो मैं आपको आपके घर छोड़ आऊंगा मैं ड्राइव करता हूँ आप गाड़ी में बैठिए।
यू आल बॉयज आर सेम यू आल आर बास्टर्ड,, व्हाई यू ट्राय टु बोथेर मी।
जस्ट लीव मी एंड गो ऑन योर वे, आई विल मैनेज माय सेल्फ।
होकक हिच,,, लड़की फिर से ओकने लगी।
सागर ने एक पल सोचा ओर फिर उसने लडक़ी को गाड़ी में बैठने के लिए कहा, चलिए यहां से ये जगह सेफ नहीं है थोड़ा आगे चलते हैं वहाँ आपको दवाई भी मिल जाएगी फिर आपको ठीक लगे तो आप आगे चली जाना।
हाऊ डेयर यू,, व्हाई यू टच मी?? प्ल्ज़ लीव,,, लड़की कसमसा कर अपना हाथ छुड़ाने लगी ओर अपनी इसी कोशिश में गाड़ी में बैठने से पहले वह सागर को दो तीन घूंसे जड़ चुकी थी।
लडक़ी को गाड़ी में बिठककर सागर ने बेल्ट लगाई और ड्राइविंग सीट पर जा बैठा चाबी गाड़ी में लगी हुई थी उसने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी आगे कस्बे के पास पहुंच कर उसने एक जगह नल के पास गाड़ी रोक कर उसका मुंह हाथ धुलाया ओर उसकी हालत सुधारने की कोशिश की ।
थोड़ा संयत होने पर लड़की ने कोई पता बताया जो नई दिल्ली का था सागर ने उसे याद कर लिया।
दबाई के लिए लड़की ने मना कर दिया।
सागर ने गाड़ी देहली के रास्ते पर बढ़ा दी,
लड़की कुछ ही देर में सो गई अब उसको उल्टियां नहीं हो रही थी लेकिन नशे का पूरा असर उसपर था।
वह बीच बीच में आंखे खोलती और गालियां बकती सागर को दो चार घूंसे जमाती कुछ देर बड़बड़ाती ओर फिर सो जाती।
कभी कभी वह उल्टियां भी करने लगती तब सागर गाड़ी रोक कर उसे ठीक करता।
इस चार पांच घण्टे के सफर में  सागर को  ये पता लग चुका था कि उसका नाम रश्मि है वह दिल्ली के किसी व्यापारी की लड़की है, अपने दोस्तों के साथ पहाड़ो पर घूमने गयी थी जहां इसके किसी दोस्त ने कोल्ड ड्रिंक में शराब मिला कर पिला दी और नशा बढ़ने पर उसने रश्मि को गलत नियत से छुआ वह उसे अकेले में ले जाने की कोशिश कर रहा था।
अचानक रश्मि को कुछ चेतना हुई तो वह बाथरूम के बहाने अपनी गाड़ी लेकर वहां से भाग आयी उसके बाद उसे कुछ याद नहीं रहा।
वह बीच बीच में सागर को गाली देकर कहती कि तुम भी मुझे अकेले में ले जाओगे तुम मेरी इस बिरोध ना कर पाने की हालत का फायदा उठाओगे, तुम सारे लड़के एक जेसे हो।
सागर बस मुस्कुरा कर ड्राइव कर रहा था रास्ते में हर घण्टे के बाद वह  गाड़ी रोक कर रश्मि के मुंह हाथ धुलता उसे पानी पिलाता फिर आगे बढ़ जाता।
सुबह चार बजे वह उसके बताए पते पर था, सागर ने जाने क्या सोच कर गाडी उसके घर के सामने पार्क की और उतर कर गाड़ी लॉक करके बिना बोले चला आया।
सुबह पांच बजे जब रश्मि की नींद खुली तो उसने खुद को अपने घर के सामने पाया उसे आश्चर्य हो रहा था कि वह ऐसे घर के बाहर गाड़ी में क्या कर रही है।
रश्मि ने तीन चार बार अपनी आंखें झपकाई। अचनक उसे दिमाग ने झटका खाया उसे रात की सारी घटना अपनी आंखों के सामने फ़िल्म सी चलती दिखाई दी।
गाड़ी से उतर कर चाबी गार्ड की ओर फेंक वह तेज़ी से अपने कमरे में आकर गर्म पानी के टब में बैठ गई, शराब ने इसके पूरे सर में दर्द कर दिया था ; रश्मि ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी थी इसीलिए उसे इतनी उल्टियां हुई।
उसे बहुत बुरा लग रहा था गुस्से में वह जाने क्या बोल रही थी।
उसे अपने दोस्तों पर बहुत गुस्सा आ रहा था जिनपर उतना यकीन करके वह उनके साथ घूमने चली गई।
और ये बास्टर्ड निधी,,,,, ओह्ह तो वह अपने भाई की साजिश में शामिल थी,, कमीनी
रश्मि को याद आया कि केसे निधि ने जिद की थी साथ में चलने को।
आने दो चीपर्स को शूट कर दूंगी ब्लडी शिट।
रश्मि अपने मुंह ओर आंखे धोने लगी तभी उसे याद आया,,
और वह अजनबी,, कितना अच्छा कितना सभ्य बेचारा बार बार इसकी गंदगी उसकी उल्टियां साफ करता रहा और बदले में मैने क्या दिया,,, गालियाँ ,,घूंसे,, उफ्फ मैं इतनी सेल्फश कैसे हो गयी,,, रश्मि खुद पर शर्मिंदा हो रही थी।
लेकिन ये अजनबी था कौन?
कितना खूबसूरत कितना समझदार ओर केयरिंग! रश्मि उसे याद करके शर्माती हुई मुस्कुरादी उसे याद आने लगी सागर की वह अपनेपन की छुअन जिसमें कोई मतलब कोई वासना नहीं थी बल्कि उसमें थी रश्मि के लिए फिक्र,  उसे चिंता थी रश्मि को सही सलामत घर छोड़ने की,,
ओर घर आने पर जब उसे लगा कि रश्मि सुरक्षित है तो वह बिना कुछ कहे मुस्कुरा कर चला गया।
लेकिन उस समय तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था ,,,फिर वह गया कैसे,, ओह्ह नींद अब रश्मि अपनी नींद को कोस रही थी।
लेकिन ऐसे बिना बताए वह कैसे जा सकता है अरे कुछ देर रुक जाता मुझे घर में छोड़ता घर में मिल लेता तो क्या उसे कोई खा जाता सेल्फिश कहीं का।
अब मैं उसे कैसे ढूंढूंगी उफ़्फ़फ़ मेने तो उसे थैंक्स भी नहीं बोला ,,उल्टा उसके साथ कितनी बदतमीज़ी,, अहा!!, तो क्या वह नाराज़ होकर!! हे भगवान ये मेने सही नही किया वह तो मेरी हेल्प,, एंड मी,, आई विहाव लाइक आ मैड।
लेकिन मुझे होश ही कहाँ था ,उसे तो समझना चाहिए था।
चला जाये नाराज़ होकर आखिर था तो अजनबी ही।
बस एक अजनबी, रश्मि जितना उसे अपने दिमाग से दूर करना चाह रही थी वह उतना ही उसकी यादों में घुलता जा रहा था।
रश्मि परेशान थी कि वह इस अजनबी को कैसे ढूंढे वह उसे मिलना चाहती थी लेकिन कैसे क्या करे वह,,
अचानक उसे कुछ याद आया और वह अपनी कार की ओर भागी दौड़ते हुए वह मुस्कुरा कर बोली अब आप अजनबी नहीं रहोगे अजनबी।
रश्मि को याद आया जब वह अजनबी के साथ हाथापाई कर रही थी तो उसकी जेब से एक छोटी डायरी निकल कर गाड़ी में गिर गयी थी।
ये बात याद आने पर रश्मि की आंखे एक उम्मीद से चमक उठी और चेहरे पर मुस्कान लिए वह धीरे से बोली,"अब तुम अजनबी नही रहोगे 'अजनबी'
रश्मि तेजी से गाड़ी की ओर दौड़ी उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और बड़ी उताबली में कुछ ढूंढने लगी, जल्द ही खिले चेहरे के साथ वह पलटी और फिर अपने कमरे में भाग गई पीछे से गिरधारी काका(चोकीदार) आवाज लगते रह गए,"क्या हुआ बिटिया"।
लेकिन रश्मि ने तो जैसे सुना ही नहीं।
कमरे में पहुंचकर रश्मि ने वह छोटी सी पॉकेट डायरी खोली जिसमें कुछ शेरो शायरी लिखी हुई थी, रश्मि उसे पढ़ने लगी।
खुदा सलामत रखे उन्हें जिन्हें हम याद करते हैं।
उन्हें तो पता भी नही जिनसे मिलने की हम फरियाद करते हैं।।
ख्वाबों में आती है सदा दिल में समाई है।
एक अजनबी की तस्वीर हमने अपने ख्यालो में बनाई है।।
उनकी एक चाहत पर हम खुद को वार देंगे।
अपनी महबूबा को हम सारे जहान का प्यार देंगे।।
कब तक यूँ ही दूर रह कर सताओगी।
ख्वाबों से निकल कर सामने कब आओगी।
एक बार आ जाओ मेरी जिंदगी में।
इतना प्यार दूंगा की खुद को भी भूल जाओगी।।
रश्मि जल्दी जल्दी उस छोटी सी डायरी को पूरा पढ़ गयी लेकिन उसमें शायरी के अलावा कुछ नहीं लिखा था।
ओह्ह तो जनाब शायर हैं, रश्मि उन शायरी को बार बार पढ़ती रही लेकिन जो वह ढूंढ रही थी उसका कोई पता कोई नाम ऐसा उसे कुछ नहीं मिला।
रश्मि फिर उदास होकर उस डायरी को गोर से पढ़ने लगी, तभी उसकी नज़र डायरी के कवर की साइड पर पढ़ी जहां लिखा था एक लैंड लाइन का नम्बर, और आखिरी शेर के नीचे लिखा था एक नाम:-
पूरी कायनात में मेरे नाम की मिशाल है।
सभी कहते हैं देखो इसका दिल 'सागर' सा विशाल है।।
सा-  ग-  र!!! रश्मि की आंखे चमक उठी, तो जनाब का नाम सागर है,, अब मैं आपको ढूंढ कर रहूँगी सागर मुझे भी देखना के कितना विशाल है आपका हृदय ,,, और रश्मि शरमा कर खुद में सिमट गई।
रश्मि ने कांपते हाथों से वह नम्बर डायल किया,
ट्रिंग ट्रिंग  ट्रिंग ट्रिंग,,, वह डायल ट्यून को सुनने लगी, उसके दिल की धड़कने भी डायल ट्यून की तरह ही तेज़ी से धड़क रही थीं।
हेल्लो,, उधर से आवाज आयी,, रिसेप्शन (::::) कारखाना , आपको किस्से बात करनी है।
जजजी!! सागर जी हैं?
रश्मि ने काँपती आवाज में पूछा।
जी यहाँ कोई दो सौ लोग काम करते हैं लेकिन सागर नाम का तो कोई भी नहीं है, उधर से आवाज आई।
रश्मि का दिल बैठने लगा हेल्लो,,, हेल्लो उधर से आवाज आई लेकिन रश्मि अपने ख्यालो में खो गयी उसने फोन रख दिया।
यहाँ दो सौ लोग काम करते हैं लेकिन सागर नाम का तो कोई भी नहीं,,, रिसेप्शन से कहे गए शब्द उसके कानों में बज रहे थे एक बार फिर रश्मि को लगने लगा कि वह अजनबी अजनबी ही रह जाएगा और उदास होकर वह फिर से डायरी पढ़ने लगी,,
डायरी पढ़ते पढ़ते अचानक उसे कोई विचार आया और एक बार फिर उसकी आंखें चमक उठी,, उसकी मुस्कान बापस आ गई,,
ढूंढूंगी तो तुम्हे जरूर मैं अजनबी
रश्मि अपने लैपटॉप में उलझी कुछ ढूंढ रही है, उसको देखकर लग रहा है कुछ उलझन में है।
(::::) फेक्ट्री?? ऑनर,,, अग्रवाल,,,, """अग्रवाल ,,, नाम कुछ सुना हुआ लगता है,, रश्मि अपने ख्यालो में खोई हुई कुछ बड़बड़ा रही थी।
उसके माउस का कर्सर बार बार "" अग्रवाल पर घूम रहा था।
""' अग्रवाल अंकल ओह्ह तो यह जनकपुरी बाले अग्रवाल अंकल की फैक्ट्री है,,, रश्मि खुशी से झूम उठी।
अब बचकर कहा जाओगे बच्चू ,, रश्मि घूमते हुए चहकी।
बड़े पापा मुझे जनकपुरी बाले अग्रवाल अंकल की फैक्ट्री देखनी है आप उन्हें बोल दीजिये,, रश्मि अपने दादा जी के ऑफिस में उनके सामने बैठी थी।
अरे बेटा जी ये आपको अचानक फेक्ट्री देखने की क्या सूझी??
सेठ गोपालदास शुक्ल रश्मि की बात सुनकर चोंक गए।
कुछ नही बाबा मुझे देखना है फेक्ट्री में केसे काम होता है, ये लोग अपने यहां काम करने वालों का हिसाब कैसे रखते हैं।
24 घण्टे लगातार काम चलाने के लिए वर्कर्स को केसे मैनेज किया जाता है।
बाबा मैं एक नए आईडिया पर काम कर रही हूं, मुझे फैक्टरी से रिलेटेड सारी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करनी है, आप बस अग्रवाल अंकल को फोन कर दीजिए ।
ठीक है ठीक है मैं अग्रवाल को बोल देता हूँ तुम थोड़ा रुको,
गोपालदास जी मुस्कुरा कर बोले।
कुछ देर बाद-कल आपको अग्रवाल का ड्राइवर ले जाएगा आप आराम से देख कर शाम को बापस आ जाना, गोपाल जी ने रश्मि को बताया तो वह एकदम खिल उठी और मुस्कुराते हुए लौट आयी।
अगले दिन सुबह ही अग्रवाल जी का ड्राइवर आ गया और रश्मि उसके साथ आ गयी फेक्ट्री।
ड्राइवर ने आकर फैक्टरी मैनेजमेंट को बता दिया कि ये अग्रवाल साब के खास हैं जिन्हें कुछ जानकारियां चाहिए अब लोग इन्हें सब बता देना साब ने कहा है इन्हें कोई तकलीफ ना हो।
आपको किस क्षेत्र में जानकारी चाहिए मैम जनरल मैनेजर ने पूरे सम्मान से रश्मि से पूछा।
जी मुझे कर्मचारियों से सम्बंधित जानकारियां चाहिए, कैसे आप शिफ्ट मेंटेन करते हैं लोगो की ड्यूटी और उनके रिकॉर्ड्स कैसे मेंटेन किये जाते हैं।
मैं एक सिस्टम सीखना चाहती हूं इसलिए इसपर रिसर्च कर रही हूं, रश्मि ने कहा।
जी अवश्य आप ये सारी जानकारी हमारे कार्मिक विभाग से ले लीजिए मैं आपके साथ किसी को भेजता हूँ आप कार्मिक विभाग जाकर सारी जानकारी ले लीजिए वे आपको पूरा सहयोग देंगे, जनरल मैनेजर ने कहा।
जी धन्यवाद, रश्मि मुस्कुरादी।
कुछ ही देर में रश्मि कार्मिक विभाग में टाइम कीपर के साथ थी जो अपना ज्ञान दिखाने के चक्कर में रश्मि को सब कुछ बता चुका था कि केजे ड्यूटी और पर्सनल रिकॉर्ड मेंटेन होता है।
अच्छा अगर हमे पुराना कोई रिकॉर्ड देखना हो कि शिफ्ट में कितने लोग आए उनके सारे रिकॉर्ड देखने हो तो? रश्मि ने पूछा।
ड्यूटी के रिकॉर्ड तो शिफ्ट की लिस्ट से मिल जाएगी बाकी की जानकारी उनकी अलग-अलग फाइल्स से मिलेगी।
अच्छा मानलो हमें देखना है 15 फरवरी को रात दस बजे कितने लोग बाहर गए तो उसकी जानकारी मिलेगी?
जी जरूर टाइम कीपर मुस्कुरा कर कंप्यूटर के बटन दबाने लगा।
ये लीजिये मेम ये रही उन लोगो की लिस्ट जो लोग 15 फरवरी को 10 बजे बाहर गए।
कोई 30 लोग थे लिस्ट में,
आप तो पर्सनल विभाग से हैं तो आप इन लोगो को अच्छे से जानते होंगे? रश्मि ने मुस्कुरा कर टाइम कीपर से पूछा।
जी सब कुछ हमे अपने हर कर्मचारी की पूरी जानकारी रखनी होती है, टाइमकीपर भी गर्व से मुस्कुराया।
मैं नही मानती की आप सब कुछ जान सकते हो, रश्मि गम्भीर होकर बोली।
सब कुछ जानते हैं मेडम जी, हमे तो सेलरी ही इसी काम की मिलती है।
मैं नही मान सकती, रश्मि गम्भीर बनी रही।
अच्छा आप कुछ भी पूछिये मैं बताता हूँ फिर आप पता करलेना मेरी जानकारी कितनी सही है, टाइम कीपर विस्वास से बोला।
अच्छा बताओ इनमें से कितने लोग शायर हैं ?रश्मि हंसते हुए बोली।
केवल दो, टाइम कीपर ने बिना देर लगाए कहा।
कौन दो? रश्मि ने फिर पूछा, उसकी आँखों में विशेष चमक थी जैसे सफलता उसे मिलने ही वाली थी।
टाइम कीपर ने दो नाम अलग लिख दिए, दोनों ही शर्मा थे।
अच्छा मुझे इन दोनों की पूरी जानकारी इनके फ़ोटो इनके लिखे पेपर दिखा सकते हो?
जी अवश्य टाइम कीपर फाइलें निकालते हुए बोला।
पहली फाइल में रश्मि को निराशा मिली, किन्तु दूसरी फ़ाइल खुलते ही उसकी आंखें चमक उठी पहले ही पेज पर उस अजनबी का फोटो लगा था आगे उसके हाथ से लिखा हुआ कंपनी का फार्म।
रश्मि ने दोनों फ़ाइल से नाम पते ओर मोबाइल नम्बर नोट कर लिए और बापस आ गयी।
चार ही दिन में कंपनी ने सागर को तीन महीने का वेतन देकर जॉब से निकाल दिया।
उसपर इल्ज़ाम था 15 फरवरी की रात दिल्ली की किसी लड़की का 20 लाख का हीरो का हार चोरी करने का।
मिस्टर शर्मा आपको जॉब से हटाया जा रहा है, ये रहा आपका हिसाब ओर 3 मंथ की एडवांस सेलरी।
लेकिन सर मेरी गलती क्या है?? सागर ने पूछा।
आप पर इल्ज़ाम है कि आपने 15फरवरी की रात देहली की किसी लड़की का हीरो का हार चुरा लिया है उसकी मदद करने के बहाने, मैनेजर ने बताया।
वे तो आप पर केस करने वाले थे 'शर्मा' लेकिन फिर हमने बदनामी होने के डर से उन्हें मना लिया लेकिन अब आप यहां काम नही कर सकते।
सागर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।
∆∆∆∆
रश्मि फेक्ट्री से लौट कर सीधे अपने दादा के पास गयी और उनसे कुछ देर बात करके मुस्कुराते हुए बाहर आ गई।
उसके बाबा गोपालदास जी ने अग्रवाल को फ़ोन किया अभी ये फ़ोन रखकर कुछ सोच ही रहे थे तभी रश्मि ने उनके ऑफिस में कदम रखा।
गुड मॉर्निंग अंकल रश्मि मुस्कुराते हुए बोली।
गुड़ मॉर्निंग रश्मि आज अपने अंकल की याद कैसे आ गयी कोई 4 या 5 साल पहले मिला था आपसे बेटा जी उसके बाद कभी मुलाक़ात ही नही हुई।
यूँ भी बस कभी कभी शुक्ला जी से उनके ऑफस में ही मुलाकात हो पाती है।
हाँ अंकल सही कह रहे हो रश्मि हल्के से मुस्कुरादी।
तो कहो कैसे आना हुआ आपके दादा जी ने हुक्म दिया है कि आपकी हर बात मानी जाए।
ऐसे भी आपके पापा जी मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे हमलोग बचपन से लेकर कॉलेज तक साथ ही थी रोज ही आपके घर आना होता था।
लेकिन कमल ओर भाभी जी के एक्सीडेंट के बाद मेरी हिम्मत ही नही होती आपके घर आने की मेरी आँखें भीग जाती हैं अपने दोस्त को वहां ना पाकर।
लेकिन बेटा जी आप मेरे अपने हो आपकी जब इच्छा आ सकते हो जो चाहे मुझे कह सकते हो आखिर आप मेटे सबसे अच्छे दोस्त कमल की निशानी हो।
तो बताओ आज कैसे याद कर लिया और हां आप फेक्ट्री भी गए थे? कोई बात तो है बेटा जो आपको परेशान किये हुए है।
अग्रवाल अंकल ने बहुत अपनेपन से रश्मि से पूछा।
वो 25 अगस्त को में निधि कपिल राजन सोनिया और नरेश के साथ पहाड़ो पर घूमने गयी थी जहां नरेश ओर निधि ने चालाकी से मुझे ड्रिंक में वाइन मिलाकर पिला दी उसके बाद नरेश ने मेरे साथ,,, मैं बचकर अपनी गाड़ी में लौट रही थी तभी रास्ते में मेरी तबियत,,, उसके बाद एक अजनबी ने मेरी मदद की अंकल वह चाहता तो मुझे पूरा लूट सकता था मैं किसी भी बिरोध की हालत में नहीं थी अंकल लेकिन उसने मुझे न केवल सुरक्षित घर छोड़ा बल्कि मेरी ज्यादतियों को भी बर्दाश्त किया।
ये है वह अजनबी अंकल, रश्मि ने सागर के पेपर्स की फ़ोटो अपने मोबाइल में दिखाते हुए कहा।
ओर अंकल ये आपकी फेक्ट्री में सुपरवाइजर है।
अरे वाह तब तो इसे इनाम मिलना चाहिए मैं कल ही इसका प्रोमोशन लेटर भेज देता हूँ, अग्रवाल जी ने मुस्कुरा कर कहा।
नहीं अंकल आपको इसे नोकरी से निकलना है, रश्मि गम्भीर होकर बोली।
क्या!!! ये भला क्या इनाम हुआ रश्मि?
बस अंकल आपको यही करना है , रश्मि बोली।
लेकिन बेटा हम ऐसे किसी को जॉब से नहीं निकाल सकते और फिर निकालने पर हमें 3 मंथ की सैलरी भी देनी पड़ती है।
वो मैं दे दूंगी अंकल ओर जॉब से निकालने की बजह है मेरे हीरों के हार की चोरी, रश्मि हल्के से मुस्कुरादी।
लेकिन अभी तो आपने कहा कि उसने कुछ नहीं चुराया? अग्रवाल जी को कुछ समझ नही आ रहा था।
उसने मेरा हीरो से भी कीमती सामान चुराया है अंकल, अबकी रश्मि खुल कर मुस्कुराते हुए शर्मा गयी।
ओह्ह!अब समझा, लेकिन बेटा उसके लिए उसे नोकरी से निकालने की क्या जरूरत है, मैं उसका ट्रांसफर यहां कर लेता हूँ उसके बाद आप मिल लेना उससे।
नहीं अंकल ऐसे नहीं आप बस जो मैं कह रही हूं वही कीजिये, रश्मि फिर से गम्भीर हो गई।
मेरी समझ मे नही आ रहा आप करना क्या चाहती हो लेकिन फिर भी जो चाहती हो; वो हो जाएगा अग्रवाल जी ने कहा।
थैंक्यू अंकल रश्मि मुस्कुराते हुए लौट आयी।
∆∆∆
आज सागर को नोकरी छूटे पांचवा दिन है, वह सोच रहा है कि उसने तो कोई चोरी नहीं की फिर उसे नोकरी से क्यों निकाल दिया गया।
उसे रश्मि पर गुस्सा आ रहा है कि उसने कितना गलत किया, अहसानफरामोश लड़की।
क्या मुझे उससे मिलने जाना चाहिए क्या मुझे उससे ये पूछना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया??
क्या पता उसका हार इसके दोस्तों ने चुराया हो जिन्होंने उसे शराब पिलाई थी, ओर इल्ज़ाम मुझपर, ये बड़े लोग भी ना हमेशा गरीब को दोषी मानते हैं; सागर परेशान बड़बड़ा रहा था।
मैं जाऊंगा उससे मिलने एक बार पूछूंगा तो ज़रूर की उसने ऐसा क्यों किया। उसके घरवालों को बताऊंगा उस रात की बात, कोई तो समझेगा, सागर ने निश्चय कर लिया।
इधर रश्मि रोज गिरधारी से पूछती," कोई मुझे मिलने तो नहीं आया अंकल?"
और उसके ना कहने पर उदास होकर लौट जाती।
सागर उदास बैठा सोच रहा था कि उसने तो इंसानियत के नाते रश्मि की मदद की थी फिर उसने चोरी का इल्जाम क्यों लगाया, उसने तो कोई चोरी नहीं की।
मुझे एक बार जाकर उस लड़की से बात करनी चाहिए अगर मैं उसके घर वालों को उस रात की सारी बात बताऊंगा तो वे लोग अवश्य समझेंगे, सागर ने सोचा और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा।
रश्मि ने गिरधारी काका(वॉचमैन) से पूछा, "काका, क्या कोई मुझे पूछने आया?"
गिरधारी ने ना में सर हिला दिया।
रश्मि भाग कर अपने कमरे में अस गई उदासी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।
क्या उसे एक बार आना नही चाहिए था?? रश्मि ने गुस्से में गुलदस्ता फेंकते हुए कहा,समझता क्या है ये खुद को, लेकिन मैं जानती हूं आएगा जरूर रश्मि विस्वास से मुस्कुरादी।
लेकिन कब??, बच्चू सारा बदला लुंगी तुमसे देखना तुम ,रश्मि अभी भी गुस्से में थी; तभी गिरधारीलाल दौड़ते हुए आये," छोटी मालकिन आपसे कोई मिलने आया है"।
कौन? रश्मि ने अधीरता से पूछा।
कोई जवान लड़का है गोरा लंबा,, गिरधारी ने हुलिया बताया।
ओह्ह!! तो आ गए जनाब शायर साब, रश्मि खिल उठी, लेकिन अगले ही पल गम्भीर होकर बोली, "काका आप उन्हें बिठाओ चाय नास्ता कराओ और कहना मैं घर पर नहीं हूं बाकी एकाध घण्टे बाद बताऊंगी।
ठीक है बेटा जी, गिरधारी ने कहा और लौट आया।
आओ साब, गिरधारी सागर को गेस्ट रूम में ले आया जो नीचे ही था छोटा सा कमरा जो बाहरी लोगों के लिए बनाया गया था।
आप बैठिए मैं आपके लिए नास्ते का इंतज़ाम करता हूँ।
मैं यहां नास्ता करने नहीं आया चाचा जी मुझे बस रश्मि जी से दो मिनट बात करनी है।
साब छोटी मेम साब तो घर पर नहीं हैं आपको इंतज़ार करना पड़ेगा तब तक आप आराम कीजिये।
कोई दो घण्टे बीत गए सागर को आये इस बीच दो बार चाय आ चुकी थी बढ़िया नास्ते के साथ लेकिन रश्मि उसे मिलने नहीं आयी इस बीच गिरधारी 4 बार अंदर हो आया था और हर बार एक ही बात कहता छोटी मालकिन अभी लौटी नहीं हैं, जैसे ही आती हैं आपके बारे में बताता हूँ।
कोई और तो होगा घर में आप मुझे उनके पेरेंट्स से ही मिला दो मैं अपनी बात उन्हें ही बता कर चला जाऊंगा।
कोई नहीं है साब, हमारे साब ओर मालकिन तो दस साल पहले ही एक कार के एक्सीडेंट में,, गिरधारी उदास हो गया।
बड़े मालिक ने बहुत प्यार से पाला है रश्मि बिटिया को इसीलिए थोड़ी जिद्दी है हमारी रश्मि मेमसाब लेकिन दिल की बहुत अच्छी हैं साब जल्दी ही लोगों की बातों में आ जाती है, लोग कई बार उनकी इसी अच्छाई का फायदा उठाते हैं।
दादा जी भी कभी उनकी किसी बात को मना नहीं करते, आखिर ये सब रश्मि बिटिया का ही तो है।
लेकिन बेटा आज तक हमारी रश्मि को जो भी दोस्त मिले हैं मतलबी ही मिले हैं।
बैसे आप किस सिलसिले में आए हैं?"गिरधारी ने धीरे से पूछा।
जजजी!! नोकरी,, सागर कुछ अचकचा गया।
ओह!!जरूर दिला देंगी रश्मि बिटिया आपको नोकरी साब।
आप कहाँ से आए हो? घर में कौन-कौन हैं? गिरधारी ने पूछा 
जी यूपी से, वहां गांव में हमारी खेती है जिसे पिताजी देखते हैं माता जी और एक छोटी बहन है सब गांव में ही रिश्ते हैं।
अच्छा अच्छा, मैं बताता हूँ आपके बारे में बिटिया को आते ही
  आप आराम करो, कहते हुए गिरधारी बाहर निकल आया।
कोई नहीं है साब ,,,, गिरधारी की कही बातें सागर के कानों में गूंज रही थी,, थोड़ा जिद्दी है रश्मि बिटिया ,,, ।
बेटा जी कब तक बिठाना है उन्हें, नोकरी के लिए आये हैं कहीं दूर से अपने कभी कह दिया होगा, गिरधारी फिर से  रश्मि के पास आया।
हाँ काका जी लेकिन दादू से बात किये बिना कैसे मिलू उनसे समझ नहीं आ रहा रश्मि गंभीर होकर बोली।
आप उन्हें कल तक रोके रहिये रात को हम दादू से बात कर लेंगे फिर मिलेंगे इन से, रश्मि ने धीरे से कहा।
अरे बेटा आप इन्हें साब जी के दफ्तर भेज दो और सेठ जी को फोन पर बता दो वे देख लेंगे इन्हें क्या नोकरी देनी है।
अरे नही काका जी मैं बात कर लुंगी रात को दादू से आप जाओ और उन्हें कह दो कल मुलाकात होगी चाहे वह यहाँ रुके अगर ना चाहे तो बाहर कहीं इंतज़ाम कर ले, रश्मि ने गिरधारी को जबाब दिया।
जी रश्मि बिटिया मैं कह देता हूँ बेकार में इंतज़ार में परेशान हो रहे हैं।
आज तो आपकी मुलाकात नहीं हो पाएगी साब, आप कल मिल लेना रश्मि बिटिया से और सेठ जी से।
आपके रहने का इंतज़ाम यहीं करूँ या आप बाहर कहीं?? गिरधारी ने सागर को बताया।
जी शुक्रिया मैं होटल में रुक जाऊंगा बहुत मेहरबानी आपकी और आपकी रश्मि मेमसाब की, जो घर में होते हुए भी मुझे दो मिनट ना दे सके, सागर गुस्से में जाने लगा ।
जैसे आपकी मर्जी बैसे आप यहां भी रुक सकते थे, गिरधारी मुस्कुरा दिया।
लेकिन सागर बाहर निकल गया।
आजकल के नोजवान भी ना अब बताओ ये कोई बात हुई नोकरी मांगने आये है हमने इन्हें मेहमानों जैसे रखा लेकिन इन्हें तो लग रहा है ये हमपर एहसान कर रहे हैं, गिरधारी बड़बड़ा रहा था जिसे सुनकर रश्मि मुस्कुरा रही थी।
सागर को लौटे कोई दो घण्टे हो गए उसने पास ही एक सस्ते होटल में रात के लिए कमरा ले लिया और ढाबे से खाना खाकर कमरे में लेट गया।
कितनी नकचढ़ी लड़की है घर में ही थी लेकिन मुझे दो मिनट भी मिल नहीं सकी, किस मुंह से मिलती बिना बजह झूठा इल्ज़ाम जो मुझपर लगाया है, सागर सोच रहा है।
सोच रही होगी अकेली मुझे जबाब क्या देगी इसलिए नहीं मिली, सुबह दादा जी के सामने बात करेगी, लेकिन मैं भी इसके दादा जी को सारी बात बताकर उन्ही से अपनी गलती पूछूंगा, इतनी बड़ी चोरी का इल्जाम भगवान जाने कैसे लोग हैं।
इनसे तो इनके नोकर ज्यादा अच्छे हैं बेचारे ने मुझे अपने मेहमान जैसा रखा वह तो रात को भी  मुझे अपने पास,, सही कहा है गरीब हमेशा दिल से अमीर होता है, ओर ये अमीर लोग,,, सागर इसी उधेड़बुन में खोया थक कर सो गया।
कैसा इंसान है यहां नहीं रुक सकता था, यहाँ कोई उसे खा रहा था!! रश्मि गुस्से में बड़बड़ा रही थी।
उसे समझना चाहिए था ना कि हम आज उसे बस सता रही हैं।
हमने उसकी मेहमाननवाजी में क्या कमी की?? सेल्फिश कहीं का।
उसे पता था कि हम घर पर ही हैं और अकेली हैं लेकिन फिर भी चला गया, आज कहाँ चली गयी इसकी हमारे लिए फिक्र।
रश्मि परेशान होकर कमरे में चहलकदमी कर रही थी।
शायद बहुत नाराज है हमसे?? हमने भी तो कुछ ज्यादा ही कर दिया,,, रश्मि उदास हो गयी।
लेकिन उसने जो किया?? उस दिन हमें सम्भाल कर लाया हमारी ज्यादती बर्दास्त की लेकिन हमें ऐसे लावारिश की तरह घर के बाहर,,, हमारा चेन चुराकर ले गया और अपना अता-पता तक नहीं बता कर गया उसका क्या?? अगर हम ना खोज पाते तो ??
हमतो जिंदगी भर अफसोस ही करते रहते की जिंदगी में एक अच्छा और सच्चा इंसान मिला लेकिन अजनबी ही रह गया।
हुंह!!, अजनबी रश्मि फिर गुस्से में टहलने लगी,,,

सागर रश्मि के बारे में सोचता सोचता सो गया ।
इधर गोपालदास जी के आते ही रश्मि ने उन्हें कुछ बताया और वह मुस्कुरा दिए, उसके बाद दोनों कुछ देर गंभीरता से बातें करते रहे।
सुबह ठीक आठ बजे सागर ने गोपालदास जी का द्वार खटखटा दिया।
अरे आप? इतनी सुबह, गिरधारी ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
जी मुझे बस दो मिनट बात करनी है उनसे आप बता दीजिए जाकर मुझे जल्दी ही लौटना है।
हाँ हाँ चले जाना आओ अंदर तो आओ मैं बताता हूं रश्मि बिटिया को।
जी काका जी ,ओर अपने सेठजी से भी मिलबा दीजिये,सागर धीरे से बोला।
अच्छा,, गिरधारी उसे गेस्ट रूम में बैठने का इशारा करके अंदर चला गया।
बिटिया वह कल वाला लड़का आया है मैने उसे बिठा दिया है वह सेठजी से भी बात करना चाहता है , गिरधारी ने अंदर आकर रश्मि से कहा ।
अच्छा काकू आप उन्हें नास्ता कराओ मैं आती हूँ दादा जी तो अभी नहाने गए हैं उनसे मैं बात कर लुंगी आप चलो।
जी बिटिया कहकर गिरधारी  लौट गया।
लीजिये जलपान कीजिये बिटिया आती हैं अभी, गिरधारी ट्रे लेकर अंदर आया।
मैं यहां चाय पानी के लिए नहीं आता हूँ काका जी मुझे बस दो मिनट बात करनी है इन लोगों से , सागर तनिक रोष में बोला।
अरे ऐसे कैसे बात कर रहे हो आप ? गिरधारी चोंकते हुए बोला, एक तो नोकरी मांगने आये हो ऊपर से हम आपसे मेहमानों की तरहा पेश आ रहे हैं, उसपर भी ऐसे बात कर रहे हो जैसे हम पर अहसान कर रहे हो।
मैं यहां नोकरी मांगने नही आया काका, सागर जोर से बोला।
अरे वाह कल तुमने नहीं कहा था कि नोकरी के लिए,, गिरधारी फिर से चोंका।
हाँ कहा था क्योंकि आपकी रश्मि मेम साब ने मुझे नोकरी से निकलवा दिया, मेरी खता सिर्फ इतनी थी काकू की मैंने एक अजनबी लड़की की मदद की थी।
सागर कुछ सोचते हुए उदास होकर बोला, ये अमीर लोग  कभी हम गरीबों को नही समझ सकते काकू, एक आप हैं जो मुझसे इतने अच्छे से बात करते है, मेरे लिए इतना कुछ करते है और एक आपके मालिक लोग जो दो मिनट बात भी नहीं करते मेरे साथ इतना बुरा करके भी, सागर धीरे से बोला।
ये क्या कह रहे हो बेटा, मुझे तो रश्मि बिटिया ने ही कहा था कि आप उनके खास दोस्त हो इसलिए आपका खास ख्याल रखूं और उन्होंने तो मुंझे ये भी कहा था कि तुम्हारे रात को रहने की व्यवस्था भी यहीं की जाए।
तुम्हारे यहां ना रुकने से कुछ उदास भी थी रश्मि बिटिया।
क्या!!!, सागर को जैसे अपने कानों पर विस्वास ही नहीं हुआ।
सच कह रहा हूँ बेटा मेरी अनुभवी आंखों ने उसकी उदासी देख ली थी जब मैंने बताया कि तुम आज रात होटल में रुकने वाले हो।
अच्छा मैं चलता हूँ बाद में आता हूँ,कहकर गिरधारी लौट गया।
सागर उदास बैठा था उसके कानों में गिरधारी की आवाज गूंज रही थी।
तो रश्मि मेरी खातिर कर रही थी,,, उसका खास दोस्त,,, रात रूकने को,,
ओह्ह!!, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ, पहले तो मुझे नोकरी से निकलवा आयी अब खास दोस्त भी कहती है और दो मिनट बात करने का टाइम भी नहीं उसके पास।
सागर को कुछ समझ  नहीं आ रहा था ,, मेरे होटल में रुकने से भला क्यों उदास हो गयी ये लडक़ी?
सागर का दिमाग चक्कर खा रहा था,, इसी उधेड़बुन में कोई दो घण्टे निकल गए इस बीच न गिरधारी आया न ही रश्मि या सेठ जी ,लेकिन सागर अपने ख्यालो में खोया था , उस रात से अब तक कि सारी घटनाएं उसके सामने घूम रही थी तभी गिरधारी ने आवाज लगाई, " आईये रश्मि बिटिया आपको ऊपर बुला रही हैं।
सागर बिना कुछ कहे गिरधारी के पीछे चल पड़ा, गिरधारी सागर को एक कमरे के बाहर छोड़ आता।
सागर ने हल्के से डोर नोक किया, ,,
आ जाओ उधर से रश्मि की बहुत हल्की आवाज सुनाई दी।
सागर ने बढ़ती धड़कनों के साथ कमरे में पैर रखा सामने रश्मि खड़ी थी, एक दम परी जैसी खिली खिली गोरी गुलाबी रश्मि, ब्लैक जीन्स औऱ गुलाबी टॉप पहने बिल्कुल किसी खिले गुलाब जैसी।
उसे देखकर सागर जैसे खुद को ही भूल गया।
जी कहिये, क्या बात करना चाहते हैं? रश्मि धीरे से बोली।
अअयह हाँ, सागर कुछ अचकचा गया।
जी मुझे नोकरी से निकाल दिया गया, सागर ने एक दम से कहा।
अच्छा!! क्यू?? रश्मि ने बहुत ही भोलेपन से पूछा।
आपके कारण, सागर थोड़ा गुस्से में बोला।
हाये राम, हमने क्या किया? रश्मि उसी भोलेपन से बोली।
ज्यादा भोली मत बनिये मेम साब अपने ही तो इलज़ाम लगाया था कि मैंने आपका हीरों का हार चुरा लिया, उसी इल्ज़ाम में निकाल दिया गया मुझे नोकरी से, सागर अभी भी गुस्से में था।
अच्छा तो वह आप थे? लेकिन हमें तो आपका नाम, आपका पता कुछ भी नही मालूम था फिर हमने कैसे? रश्मि ओर ज्यादा भोली बन गयी।
अच्छा उस दिन रात को जब आप नशे में उल्टियां कर रहीं थी तब मैंने आपकी मदद,, सागर चिढ़ कर बोला।
ओह्ह!! तो आप वह हो, लेकिन आप तो हमें अपना नाम अपना पता कुछ भी बता कर नहीं गए थे फिर हम कैसे आपको नोकरी से निकलवा सकते हैं? रश्मि उसी मुद्रा में बोली।
फिर आप उनको बोल दीजिये ना की हमने आपका हार नहीं चुराया, सागर धीरे से अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश करता हुआ बोला।
आपने नहीं चुराया तो फिर आप चोरों की तरह बिना बताए क्यों चले गए हमें ऐसे रास्ते में छोड़कर, रश्मि भी अब थोड़ा गुस्से में बोली।
रास्ते में नहीं आपके घर के सामने गाड़ी पार्क करके गया था मैं,आप इस हालत में नहीं थीं की आपको आपके घर बालों को सौंप सकता, वह आपकी हालात देखकर जाने क्या सोचते आपके ओर मेरे बारे में इसलिए आपको छोड़ कर चला गया था, मेम साब।
हमारा नाम मेम साब नही रश्मि है, तो पहले तो ये मेम साब कहना बन्द कीजिये और ये बताईये की इतनी ही फिक्र थी हमारी तो ऐसे लावारिस छोड़कर जाने की क्या जरूरत थी हमारी हालात सुधरने तक रुक भी तो सकते थे, ऐसे रोड पर गाड़ी खड़ी कर गए ये भी नहीं सोचा कि कोई हमारा गाड़ी सहित किडनैप ही कर लेता तब?? रश्मि ओर ज्यादा चिढ़ गयी।
पक्का इन्तज़ाम करके गया था मैं रश्मि जी, पूरी गाड़ी अंदर से लॉक थी गाड़ी के सारे सेफ्टी अलार्म ऑन थे और हैंड ब्रेक लगे हुए थे, अगर कोई जरा सा भी टच करता आपकी गाड़ी को तो इतना शोर मचाती की आपके साथ साथ पूरा मोहल्ला जग जाता, सागर अब मुस्कुरा कर बोला।
लेकिन तुम्हे अपना नाम पता कुछ तो छोड़ना चाहिए था, या चलो कभी एक बार देखने ही आ जाते की हम ठीक हुए या मर गए, रश्मि अब भी बदस्तूर नाराज़ थी।
वो तो भला हो उस छोटी डायरी का जिस से हमें उस फेक्ट्री का पता मिल गया लेकिन फिर भी तुम्हे ढूंढना कितना मुश्किल था उफ्फ, लेमिन बच्चू हम जो चाहते हैं उसे हासिल करके ही रहते हैं।
ऑफ़ह!!, लेकिन उसके लिए हमें झूठी चोरी का इल्जाम लगाकर ऐसे नोकरी से निकलवाने की क्या जरूरत थी ?,
सजा थी आपकी, ऐसे हमे बिना नाम पता बताए जाने की, हम इस न करते तो क्या आप यूँ पागलो की तरह हमसे मिलने को तरसते, रश्मि मुस्कुरा कर बोली।
ये बदला था उस मेहनत का जो हमने आपको ढूंढने में की थी, क्योंकि आप ने हमारी सबसे कीमती चीज चुराई है, कहते हुए रश्मि थोड़ा शरमा गयी।
ओह्ह!!, फिर वही बात, भगवान कसम मैंने कुछ नही चुराया रश्मि जी,सागर फिर अचकचाकर बोला।
चुराया है जी आप ही ने चुराया है,  ओर उसकी सजा दादा जी आपको देंगे चलिए उनके ऑफिस, रश्मि पूरे विस्वास से बोली।
हाँ चलो, मुझे भी उनसे बात करनी है, सागर तुरंत तैयार हो गया।
रश्मि ने गाड़ी निकाली और थोड़ी ही देर में दोनों गोपालदास जी के सामने थे।
दादू इन्हें आपसे बात करनी है, रश्मि मुस्कुरा कर गोपालदास जी से बोली।
आओ आओ बरखुर्दार बैठो,तो आप हैं जिन्होंने हमारी जान की जान और इज्जत सही सलामत घर तक पहुंचाई, शुक्रिया  नोजवान, गोपालदास जी बहुत अपने पन से पेश आये।
लेकिन सेठ जी,
दादू अरे भाई दादू कहिये हमें सेठ जी तो सभी कहते है, बहुत पराया सा लगता है ये, गोपालदास जी ने सागर को बीच में ही टोक दिया।
जी दादू, सागर थोड़ा शर्मिंदा हो गया।
हाँ तो क्या कह रहे थे आप, गोपालदास जी ने पूछा।
जी दादू देखिए ना मैंने रश्मि जी की हेल्प की उन्हें घर पहुंचाया लेकिन उन्होंने मुझे चोरी का इल्जाम लगाकर नोकरी से निकलवा दिया, सागर उदास होकर बोला।
अच्छा ऐसा किया रश्मि ने?
दिस इस नॉट फेयर रश्मि आपको इतने भले नोजवान के साथ ऐसा बर्ताब नहीं करना चाहिए था, गोपालदास जी ने मुस्कुरा कर रश्मि को देखा।
दादू इन्होंने सच में मेरी बहुत कीमती चीज चुराई है, ओर चुरा कर बिना बताए गायब हो गए थे, ये तो मैने मजबूर किया इन्हें बरना जिंदगी भर अजनबी ही रहने वाले थे ये जनाब इन्हें सज़ा मिलनी ही चाहिए, रश्मि हठ से बोली।
अच्छा अच्छा समझ गया और अब मैं तुम दोनों को ही तुम्हारी ना समझी की सज़ा सुनाता हूँ, ये लो सागर बेटा आपकी सज़ा , गोपालदास जी ने एक लिफाफा उसकी तरफ बढाया।
सागर ने कांपते हाथों से लिफाफा खोला, उसमें एक लेटर था," यू आर ऑपोइंटेड एज जनरल मैनेजर इन अवर टेक्सटाइल एंड गारमेंट्स सेक्शन सेलेरी 70,000 विध थ्री रूम सेट।
क्या ये सच है?? हाँ बरखुरदार एक दम सच, गोपालदास जी मुस्कुरा कर बोले।
लेकिन इतनी बड़ी पोस्ट ऐसे बिना जाने बिना इंटरव्यू, सागर असमंजस में धीरे से बोला।
सब देख परख कर ही डिसीजन लिया है बरखुरदार आपकी पूरी फ़ाइल हमारे पास है और इंटरव्यू तो दो बार गिरधारी आपका ले ही चुका है आपके धैर्य की परीक्षा आपके चरित्र की परख सब हो चुकी है।
आप टेक्सटाइल से इंजीनियरिंग डिग्री लिए हो, प्रोडक्शन मैनेजमेंट में mba कर रहे हो आप पूरी तरह इस जॉब के लायक हो, ओर फिर हमें अपनी रश्मि की गलती भी तो सुधारनी है।
ओर रही बात उसका कुछ चुराने की तो आज से वही तुम्हारी बॉस होगी, इस कंपनी को मालकिन वही है तो अब तुम उसी के साथ रहोगे और वह अपनी चुराई चीज़ तुमसे लेगी या तुम्हारे पास छोड़ेगी वह खुद डिसाइड कर लेगी यही है तुम दोनों की सजा।
अब जाओ और कंपनी के काम के साथ साथ एक दूसरे को भी ओर ज्यादा समझ लो,  गोपालदास जी अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराए और रश्मि शरमाकर भाग गई।
सागर को अब कुछ कुछ समझ आ रहा था लेकिन वह रश्मि को अभी और सताने की सोच चुका था।
आईये छोटी मालकिन गुलाम हाजिर है, सागर गाड़ी का दरवाजा खोल कर बड़ी अदा से झुक कर बोला।
अच्छा जी रश्मि गाड़ी में बैठते हुए उसे घूंसा दिखाने लगी।
मेने कहा था न मेरा नाम रश्मि है मुंझे वही बुलाया करो।
लेकिन अब तो आप मेरी बॉस हो ओर मैं आपका अदना सा गुलाम, सागर इसकी आंखों में देखकर मुस्कुराने लगा, लेकिन जो चुराया है अब नहीं लौटाऊंगा वह ऐसे ही उसे एक टक देखते हुए बोला।
ऐसे क्या देख रहे हो? रश्मि ने शरमाकर नज़रे झुका लीं।
देख रहा हूँ चुराने को ओर क्या क्या रह गया , सागर ने हिम्मत करके अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया,मैं जिंदगी भर आपकी गुलामी करने को तैयार हूं मालिकाये हुस्न, सागर ने बड़ी अदा से सर झुका कर कहा।
तो वादा करो आगे से शायरी बस मेरे लिए ही लिखोगे, रश्मि ने होले से उसका हाथ दबा कर कहा।
कभी हुकुम उदूली नहीं होगी मलिका, सागर ने कहा और दोनों हंसने लगे।
समाप्त।
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