Thursday, December 26, 2019

लाल बत्ती की मोहब्बत,

# रेड लाइट एरिया
शहर का एक पुराना इलाका, बेहद सकरी गलियाँ और ऊँची-ऊँची इमारतें।
दिन में लगभग सुनसान रहने वाले इस इलाके में शाम होते ही चहल-पहल शुरू हो जाती है, गलियां इत्र और फूलों की सुगंध से महक जाती हैं।
सजी-धजी लड़कियाँ और महिलाएं, खिड़कियों और छज्जे पर आकर झाँकने लगती हैं।
साथ ही आने लगती है उनकी आवाजे,"अरे चिकने आजा मेरे साथ बैठ, आज की रात तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ। अरे देखता क्या है आजा ऊपर, पूरी एरिया में मेरे जैसी नहीं मिलेगी।"
उनके भद्दे इशारे और हँसी की आवाजें, पूरी गली में बस यही होने लगता है।
इस इलाके का नाम है, 'रेड लाइट एरिया' जहाँ शाम होते ही कितने शरीफजादे, युवा, अधेड़ और बुजुर्ग तक शाम के गहराते ही, अंधेरे में मस्ती की तलाश में छिप कर पहुंचते है।
इनमें से एक गली में एरिया का इकलौता मेडिकल स्टोर है, जहाँ दवाइयां तो बस नाम मात्र को ही बिकती हैं, लेकिन महँगे कॉन्डम, पौरुष शक्ति बढ़ाने की दवाइयां, क्रीम, जैल एवं टिशू पेपर भारी मात्रा में बिकते हैं। साथ ही कुछ सेनेट्री पैड, कॉटन एवं कभी-कभी एंटीसेप्टिक क्रीम और दवाइयाँ भी बिकती हैं।
इस मेडिकल स्टोर पर दवाई सप्लाई करने, वह लगभग रोज ही इन गलियों में आता था, कोई बीस-बाईस वर्ष का औसत दिखने वाला सांवला सा मोनू।
मोनू जिस होल सेल स्टोर पर काम करता था वह स्टोर शहर के दूसरे छोर पर है, इसलिए मोनू को इस दुकान पर आने में अक्सर शाम हो ही जाती थी, कभी-कभी तो रात के आठ-नौ तक बज जाते थे, उस समय ये देह बाजार अपने पूरे शबाब पर होता है।
मोनू को अक्सर ये आवाजे सुनने को मिलती थी,"ओ चिकने!! आजा कुछ मस्ती कर ले, अर्रे ज्यादा सोच मत आजा, मैं तुझे कनशेशन भी दूँगी।
एक बार देख तो नजर उठा कर, ऐसा मस्त माल तुझे पूरे एरिया में नहीं मिलेगा।"
लेकिन मोनू बस अपने काम से काम रखता था, वह चुपचाप नजरे नीचे किये इस, 'इस लाल बत्ती'(मोनू इस जगह को लाल बत्ती ही कहता था) की गलियों से गुजर जाता था।
मोनू इस बदनाम इलाके में आना नहीं चाहता था, लेकिन अपने काम के लिए उसे ना चाहते हुए भी, लगभग रोज ही इस 'लाल बत्ती एरिया' में आना पड़ता था।
उस दिन भी मोनू अपनी साईकल का हैंडल पकड़े, पैदल ही धीरे-धीरे गली से गुजर रहा था।
इस तंग गली में भीड़भाड़ के चलते साईकल पर बैठ कर निकलना लगभग असंभव होता है, तो वह साईकल पर पीछे सामान लादे रोज की तरह पैदल ही जा रहा था।
अचानक उसके कानों में एक मधुर हँसी की खनक पड़ी औऱ ना चाहते हुए भी उसकी नज़रें ऊपर उठ गयीं।
सामने छज्जे पर एक बहुत खूबसूरत, सजी-धजी कमसिन युवती खड़ी मुस्कुरा रही थी।
जैसे ही मोनू की नज़रे उसकी नजरों से मिली, वह अपनी एक आँख दबाकर अदा से मुस्कुरायी और गर्दन हिला कर उसे ऊपर आने का इशारा करने लगी।
मोनू उसकी इस हरकर से सकपका गया और नज़रे झुका कर तेजी से आगे बढ़ गया।
उसकी इस हालत पर वह युवती खिलखिला कर हँसने लगी, उसकी हँसी की आवाज देर तक मोनू के कानों में मधुर रस घोलती रही।
उस दिन के बाद मोनू का ये नित्य नियम बन गया, वह उस मकान के सामने पहुंच कर ठिठक जाता और ऊपर देखता।
उससे नज़रे मिलते ही मुस्कुराते हुए वह तेजी से आगे बढ़ जाता और उसकी हँसी मोनू के कानों में गूँजने लगती।
ना जाने क्यों, लेकिन मोनू को वह युवती भाने लगी थी।
उसे लगता था कि वह सिर्फ उसके लिए ही मुस्कुराती है।
एक दिन रोज की भाँति मोनू ने जब ऊपर देखा तो वह वहाँ नहीं थी।
मोनू दो पल रुका और फिर उदास होकर आगे बढ़ गया। तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी, "अरे वह देख पायल का आशिक, आज पायल को ना देखकर बेचारा उदास हो गया।
ना जाने ये जवान होते लड़के हम कोठे वालियों से क्यों मोहब्बत कर बैठते हैं, अरे हमरा कोई ठिकाना है।
आज इसकी बाहों में कल उसकी, और कई बार तो एक ही रात में हमारी मोहब्बत तीन-चार आशिकों की बाहों में मसली जाती है फिर भी.. इनके दिल कोठे वलियों के लिए धड़कने लगते हैं।
आज पूरी रात पायल एक बूढ़े सेठ के फार्म हाउस पर उसकी मोहब्बत बनेगी, बेचारी पायल।"
पीछे से मोनू को दो लड़कियों के खिलखिलाने की आवाज आने लगी।
पा.य..ल.., मोनू ने धीरे से ये नाम लिया और जल्दी से अपने कदम आगे बढ़ा दिए।
मोनू ने कदम तो बढ़ा दिए लेकिन ना जाने क्यों उसकी धड़कने बैठी जा रही थीं, एक अनचाही उदासी उसे अपनी गिरफ्त में ले रही थी।
घर आकर बार-बार मोनू को पायल का मासूम चेहरा याद आ रहा था, साथ ही वह आवाज, "आज पूरी रात पायल एक बूढ़े सेठ की प्रेमिका बनेगी।"
"पायल मुश्किल से अभी बीस साल की भी नहीं होगी,ऊपर से वह इतनी नाजुक सी और बूढ़े की प्रेमिका...,?"मोनू के दिमाग में जैसे कोई तूफान उठ रहा था।
अगले तीन चार दिन मोनू को पायल छज्जे पर नहीं दिखी; ना ही उसकी हँसी की आवाज सुनाई दी।
अलबत्ता वे दो आवाजें जरूर मोनू को वहाँ रुकते देखकर खुसरफुसर करके हँसते हुए सुनाई दे जाती थीं, मोनू उन्हें सुनकर उदास हो जाता, जैसे वे उसकी खिल्ली उड़ा रही हों,और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ जाता।
उस दिन मोनू की छुट्टी थी लेकिन शाम का अँधेरा घिरते ही, मोनू 'लाल बत्ती' के उस मकान की सीढियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया।
उसके ऊपर पहुंचते ही उसे कुछ जवान, कुछ अधेड़ औरतों ने घेर लिया जो भड़काऊ कपड़े पहने मेकअप में लिपी पुती जोर से खिलखिलाते हुए कहने लगीं, "आजा चिकने, बोल किसके साथ जाएगा? अरे डर मत हम तुझे खा नहीं जाएंगे हम तो मस्ती लुटाने ही बैठे हैं, चल तू पसन्द कर ले।"
कई लड़कियां उसके गाल खींचने लगी तो कोई उसके पीछे चिकोटी काटने लगी।
मोनू घबराहट में पसीना-पसीना हो रहा था, तभी एक कड़क लेकिन सुरीली आवाज गूँजी; "अरे छोड़ो उसे अब क्या सारी मिलकर इस अकेले को हलाल करोगी? चलो भागो यहां से धंधे का टाइम खोटी मत करो।
अरे ये बेचारा पहली बार आया है, शरमा रहा है अभी, और तुम लोग हो कि टूट पड़ी बेचारे पर; चलो भागो और बाहर जाकर कोई बकरा कोई मुर्गा फँसा कर हलाल करो।"
उसकी आवाज से डर कर सारी लड़कियाँ भाग गयीं।
"हाँ तो बोल कैसी लड़की चाहिए? कोई तेरे जैसी कमसिन कच्ची कली, या फिर कोई मेच्योर एक्सपीरियंस वाली एक्सपर्ट औरत।
तेरा आज पहली बार है ना किसी कोठे पर इस तरह?" वह मीठी आवाज में पूछने लगी।
मोनू ने सर उठा कर देखा, सामने एक बहुत खूबसूरत लम्बी गौरी चिट्टी महिला जीन्स और टॉप में खड़ी थी, हल्के मेकअप में वह एकदम किसी हिरोइन के जैसी लग रही थी।
"अरे बोल शरमाता क्या है लड़कियों की तरह, बोल एलबम दिखाऊँ या इन रंडियों मे से?
देख धंधे का टाइम है, अगर हम ऐसे एक -एक ग्राहक के नखरे उठाते रहे तब तो चल गया हमारा कोठा।" वह बड़ी अदा से हाथ और आँखें चलाते हुए कहा रही थी।
"ज..ज..वो पा.य..ल…!" मोनू हकलाते हुए बोला।

"क्या कहा तूने, 'पायल'? तो तू पहले भी आ चुका है, अरे तू तो खाया खेला निकला बे।
पहले भी पायल के साथ ही बैठा था क्या तू?"वह महिला जोर से हँसते हुए बोली।
"ज.ज..जी.. मैं नहीं, मेरा एक दोस्त अक्सर आता है यहाँ, उसने कहा मुझे की मैं पायल के साथ…, वह कमसिन भी है और एक्सपीरियंस भी।" मोनू उससे नज़रें चुराते हुए बोला।

"है तो साली मस्त, लेकिन वह तो आजकल बीमार है, तो तू उस जैसी ही किसी ओर के साथ... , अरे तुझे उस से भी अच्छी देती ना मैं, आज तेरा पहला चांस है तो तुझे खुश करने की जिम्मेदारी मेरी।" वह फिर मुस्कुराने लगी।

"कोई बात नहीं मेम मैं फिर कभी आ जाऊँगा, बाकियों के साथ नहीं बैठना मुझे, दोस्त ने मना किया है।" मोनू ने धीरे से कहा और बापस मुड़ने लगा।
पायल बीमार है सुनकर उसका दिल बैठा जा रहा था।
"अरे रुक तो भागता क्यों है, अब वो साली इतनी भी बीमार नहीं है जो तुझ जैसे फ्रेशर को खुश ना कर सके, लेकिन पैसे ज्यादा लगेंगे सोच ले? ऐसे भी पायल के रेट बाकियों से अलग ही हैं।" वह कुछ सोचकर बोली।
"जी पैसों की तो कोई बात नहीं है लेकिन पायल को हुआ क्या है? कहीं एड्स??" मोनू ने डरते हुए पूछा।
"हा हा हा!! अरे नहीं रे ये सब बीमारी यहाँ नहीं होती, हर महीने सबका चेकअप होता है।" वह जोर से हँसते हुए बोली।

"फिर पायल को क्या हुआ?" मोनू उदासी में बोला।
"कुछ नहीं बस थोड़ा सर्दी-बुखार है, एक दो दिन में आराम हो जाएगा।" उस कोठा संचालिका ने उसे बैठने इशारा करते हुए कहा।
मोनू चुपचाप सोफे पर बैठ गया और वह तेज़ी से अंदर चली गई।
कुछ देर बाद वह मुस्कुराते हुए आयी और बोली,
"जा तू कमरा नम्बर-12 में पायल तेरा इन्जार कर रही है।"
मोनू उठा और उसकी बताई दिशा में चल दिया, मोनू का दिल तेजी से धड़क रहा था।
कमरे में पहुँच कर मोनू ने देखा कि, वह कमरा तो बस नाम को ही था, कोई छः बाई आठ की कोठरी जिसमें एक हल्की रोशनी का नीला नाईट बल्ब टिमटिमा रहा था।
कोठरी के एक कोने में पड़े तख्त के बेतरतीब हुए बिस्तर पर, लगभग अर्धनग्न पायल उकड़ू बैठी थी।
उसकी मुंडी उसके घुटनों पर रखी थी। मोनू के आने की आहट से उसने अपना सर ऊपर उठाया, जिससे बल्ब की रौशनी सीधे उसके चेहरे पर पड़ी, उसकी आँखें सूजी हुई थीं जैसे लंबे समय से रो रही हो और गालों पर उँगलियों के निशान थे, जैसे अभी किसी ने उसके गाल पर चांटे मारे हों।
मोनू उसकी हालत देखकर सन्न रह गया, उसे बहुत दुख हो रहा था।
तभी पायल की एक कराह के साथ धीमी आवाज उसके कानों में पड़ी, "आओ बाबू कर लो जो करना है लेकिन जल्दी करना, मैं आज ज्यादा साथ नहीं दे पाऊँगी, अच्छा होता आप किसी और के साथ बैठ जाते।
मेरे साथ तो आज आपके पैसे ही बर्बाद होंगे बस।"

"नहीं-नहीं पायल जी ऐसा कुछ नहीं है वो तो मैं बस…।" मोनू हकलाते हुए अभी कुछ कह ही रहा था, तभी पायल के तेबर बदल गए, वह गुस्से से बोली।
"क्या पायल…? सालो तुम लोगों को कोई मतलब है किसी से..? बस पैसे दो लड़की को मसलो और थूक कर चल दो, चाहे लड़की बीमार हो, चाहे रो रही हो, चाहे उसका मन ना हो, लेकिन उससे तुम्हे क्या तुमने तो भेन.. पैसे दिए होते हैं ना।
अबे भड़वे एक से एक रंडी है इस रेड लाइट में, लेकिन तेरे को तो पायल को ही कुचलना है, तुझे उससे क्या की पायल किस दर्द से जूझ रही है, कितनी बीमार है या मर ही रही है।
अब कर जल्दी जो करना है।" पायल बहुत गुस्से में चीखी लेकिन मोनू को उसकी आवाज बहुत दर्द में डूबी हुई लगी।
"आप आराम से बैठिये पायल जी मुझे कुछ नहीं करना है, मैं तो बस आपको देखने चला आया।" मोनू ने पास पड़ी चादर पायल के कंधों पर डालते हुए कहा।
"क्या कहा बस मिलने!!?, मैं क्या तेरी कोई सगी वाली हूँ भेन,...।" पायल ने मुस्कुरा कर गाली देते हुए कहा और मोनू की तरफ ध्यान से देखा।
"रिश्तेदार ही मिलने आते हैं क्या बस?, कोई दोस्त भी तो हो सकता है।" मोनू ने मुस्कुरा कर जबाब दिया।
"ओह! तो ये तुम हो दवाई बाबू, आज यहाँ कैसे चले आये? तुम तो कभी कोठे की किसी लड़की की तरफ देखते तक नहीं हो।" पायल से आश्चर्य से पूछा।
"मैं आपसे मिलने चला आया, वो तीन-चार दिन से आप दिखाई नहीं दी ना तो… , आपकी हँसी की आदत लग गयी है पायल जी। मुझे आपकी बहुत फिक्र हो रही थी, मुझे लगा कि आप ठीक नहीं हो तो बस इसी लिए देखने आ गया, मुझे कुछ नहीं करना पायल जी बस आप आराम करो लेकिन आपको हुआ क्या है आप तो बहुत बीमार लग रही हो? और गालों पर ये चोट के निशान?" मोनू उसके गाल पर छपी उँगलियों को देखते हुए बोला।
"चार दिन से बहुत बीमार हूँ दवाई बाबू, उस पर धंधे पर ना बैठने पर नायिका की मार खा रही हूँ। बहुत तेज़ बुखार है और ठंड से हड्डियाँ तक काँप रही हैं, फिर भी नायिका कहती है कि धंधा कर तेरी डिमांड ज्यादा है। अभी भी जब मैंने मना किया तो मुझे उसने बुरी तरह पीटा और धमकी दी कि अगर ज्यादा नखरे किये तो करंट लगा देगी। क्या करें दवाई बाबू हमारी जिंदगी तो नरक के कीड़ों से भी बुरी है।" पायल की आँखे भर आईं।
"लेकिन आप अचानक इतनी बीमार कैसे हो गयीं उस दिन तो आप बिलकुल ठीक थीं। फिर अगले दिन किसी ने कहा कि आप एक सेठ के साथ..।" मोनू ने पायल का सर सहलाते हुए प्यार से पूछा और एक हाथ से उसके आँसू पोंछ दिए।

"क्या बताएं बाबू, उस  बुड्ढे ठरकी ने मेरी एक रात की कीमत लगाई और नायिका ने मुझे अपने कुछ गुंडो के साथ उसके फार्महाउस पर भेज दिया।
उस साले ठरकी के अजीब शौक थे, वह सारी रात मुझे पानी में भिगोये रहा, उसने मेरे साथ ऐसी-ऐसी हरकतें की, उन्हें कहने में भी मुझे घिन और शर्म आती है।
बस उसी के चलते मेरी तबियत बिगड़ गयी और मेरी ऐसी हालत हो गयी।" पायल ने सुबकते हुए धीरे-धीरे बताया।

"ओह्ह!!, कैसे कैसे लोग हैं दुनिया में पायल जी।" मोनू को बहुत बुरा लग रहा था।
"अच्छा आप कर लीजिए जो करना है दवाई बाबू मैं आपको रोकूंगी नहीं, आखिर आपने पैसे दिए हैं मेरी आज की रात के।" पायल चादर उतरते हुए बोली।
"अरे कुछ नहीं करना मुझे कहा ना आपसे, मैं तो बस आपका हाल-चाल..।" मोनू ने फिर उसे चदर से ढक दिया और अपनी जेब से कोई दवाई निकाल कर इसे खाने को दी।
"कहीं आप मोहब्बत!!, ...।"पायल  उसकी आँखों में देखते हुए बोली।
"पता नहीं.."मोनू ने शर्मा कर नज़रें झुका ली।
"ऐसा मत करना दवाई बाबू, हम कोठे वालियाँ प्यार करने के लिए नही बल्कि प्यास बुझाने के लिए होती हैं। हम तो बाजार की चीज हैं, जो ऊंची कीमत देगा वही हमारे जिस्म का मालिक होगा।"
ये प्यार साला हमारी किस्मत में है ही नहीं दवाई बाबू।
एक बार किया था सच्चा प्यार, एक दूर के रिश्तेदार से, उसी की सज़ा आज भुगत रही हूँ।
उस समय मैं कोई सत्रह साल की थी,  मैं उसके खेल को सच्ची मोहब्बत समझ बैठी बाबू और भाग आयी उसके साथ। उसने पहले तो जी भर कर मुझे भोगा और फिर मन भर जाने पर बेच गया मुझे इस कोठे पर चन्द रुपयों की खातिर, अब तो प्यार के नाम से भी नफरत हो गयी है दवाई बाबू।"पायल एक साँस में कह गयी और उसकी आंखें फिर भर आयीं, इस बार मोनू की आँखें भी नम थीं।

"क्या दुनियाँ में सब एक जैसे होते हैं पायल जी? मुझे आपके जिस्म से नहीं आपसे प्यार हुआ है, मैं आपको दुखी नहीं देख सकता। मेरे साथ गांव चलोगी पायल?" मोनू ने पायल की आंखों में देखते हुए प्यार से कहा।
"इससशशश!!, ऐसा मत कहिये दवाई बाबू , किसी ने सुन लिया तो हम दोनों के लिए बहुत बुरा होगा। ये कोठा है बाबू यहाँ की लड़कियों की अर्थी ही यहाँ से बाहर जा सकती है। अगर किसी ने भागने की कोशिश की तो उसका जो हश्र होता है वह मौत से भी बदतर होता है।"; पायल अचानक डर से पीली पड़ गयी और मोनू के मुंह पर हाथ रख दिया।

"क्यों नहीं जा सकते पायल, हम यहां से सीधे पुलिस के पास जाएँगे, वे लोग जरूर हमारी सुरक्षा करेंगे।" मोनू उसका हाथ हटाते हुए बोला।
"पुलिस, हा.हा..हा..! ये गलती की थी एक बार हेमलता ने, वह रात में छिप कर यहाँ से ना जाने कैसे भाग गई थी और पहुँच गई पुलिस के पास, दिन में पुलिस उससे पूछताछ का नाटक करती रही और शाम होते ही छोड़ गई यहाँ कोठे पर।
उसके बाद उस बेचारी के साथ जो हुआ उससे पूरा कोठा काँप उठा।
कोठे के सारे गार्डों ने मिलकर रात भर उसके साथ…, उसे बुरी तरह पीटा गया सिगरेटों से जलाया गया उसके अंगों में करंट के झटके दिए गए और कोई बीस पच्चीस मुस्टंडे रात भर उसे रौंदते रहे, उसके साथ अप्राकृतिक भी किया गया वह भी कई लोगों ने एक साथ बार-बार, रात भर सारे कोठे में उसकी चीखें गूँजती रहीं।
सुबह वह बिल्कुल नग्न फर्श पर पड़ी हुई थी, उसके अँगों से खून बह रहा था, लेकिन किसी को भी उसके पास जाने की इजाज़त नहीं थी।
पूरे दिन वह ऐसे ही नंगी फर्श पर पड़ी रोती रही, उसका खून बहता रहा लेकिन नायिका को तनिक भी दया नहीं आयी।
शाम को उसने हेमलता को एक एंटीसेप्टिक क्रीम कुछ कॉटन और एक चादर देते हुए हम सबसे कहा कि, 'देख लो इस कुतिया का हाल अपनी खुली आँखों से, अगर किसी भी चिड़िया ने उड़ने की कोशिश की तो उसके पर काट कर सारे अँगों में तेजाब भरवा दूँगी।'
उस दिन के बाद हेमलता बेचारी इतना डर गयी कि कोठे के जीने पर भी उसका पैर पड़ जाता है, तो डर कर चीखते हुए बेहोश हो जाती है।
कुछ दिन खून बहने के बाद उसके घावों में पस बनने लगा और उसे अब हरदम बुखार रहता है, उसके अँगों से मवाद रिसता रहता है।
कुछ दिन तो नायिका ने उसे दवाई और कॉटन दी लेकिन फिर ये कहकर की तेरी कमाई खत्म हो चुकी है, उसे कुछ भी देने से इनकार कर दिया।
अब वह इनके किसी काम की नहीं है, फिर भी बाकियों को डराने के लिए ये लोग उसे बाहर भी नहीं जाने देते हैं।
उसे कभी एक टाइम तो कभी दो दिन में एक मुठ्टी चावल फेंक देते हैं और बदले में बेचारी पूरे कोठे की टॉयलेट साफ करती है।" पायल उदास होकर कहती चली गई, उसका चेहरा  भय से पीला पड़ रहा था।
"सारे पुलिस वाले भी एक जैसे नहीं होते पायल, फिर भी अच्छा है पुलिस की सच्चाई पता लग गयी लेकिन अगर हम यहाँ से कहीं दूर चले जाएं तब?" मोनू ने कुछ सोचते हुए कहा।
"नायिका के गुंडे और पुलिस वाले मिलकर हमें पाताल से भी ढूंढ लाएंगे दवाई बाबू, उसके बाद हमारी जो हालत होगी उससे तो मौत अच्छी है, या फिर यही इस नरक की जिंदगी।
आपको तो एक से बढ़कर एक लड़की मिल जाएगी बाबू, फिर आप क्यों अपनी जिंदगी एक कोठे वाली गन्दी कीचड़ में डुबोना चाहते हो?"
आप जाओ यहाँ से दवाई बाबू ,हमें हमारे हाल पर छोड़ दो  और ये मोहब्बत का ख्याल अपने दिल में फिर ना लाना ये आग से खेलने से भी ज्यादा खतरनाक होगा आपके लिए भी। हम लोग इस के काबिल ही नहीं हैं बाबू जी, आप अपने पैसे की कीमत बसूलो और निकलो, अगर मुझ बीमार पर तरस आ रहा है तो कोई दूसरी बुला देती हूँ, हम लोग आपस में थोड़ी बहुत सहानुभूति दिखा ही लेती हैं, ऐसे भी सौ से ज्यादा कोठरिया हैं यहाँ, तो नायिका सब पर तो एक साथ निगरानी कर नहीं सकती।" पायल फिर से चादर हटाते हुए बोली; लेकिन इस बार उसके शब्द उसके भावों का साथ नहीं दे रहे थे।
"ये फिक्र किसके लिए पायल? मेरे लिए ना। अरे यही तो इश्क़ है, तुम्हारा मुझे देख कर मुस्कुराना, कभी मुझे ग्राहकों की तरह ना बुलाना, और अब मेरे लिए फिक्रमंद होना, ये प्यार नहीं तो क्या है पायल जी।" मोनू ने उसके गालों पर ढलक आये आँसू साफ करते हुए धीरे से कहा और उसकी आँखों में देखने लगा।
लेकिन पायल अब उससे नज़रें चुरा रही थी।

दोनों ऐसे ही पूरी रात बातें करते रहे, कभी मोनू पायल की गोद में सर रखकर लेटता तो कभी पायल मोनू की गोद में।
रात भर में मोनू कोठे के बारे में वहाँ की सुरक्षा के बारे में बहुत कुछ जान चुका था। उसने पायल को हेमलता के लिए दवाइयां देने को भी मना लिया था।
और अगले हफ्ते हेमलता से मिलने के लिए भी। पायल ने उसे बताया था कि हेमलता पायल पर भरोसा करती है और उसकी बात मान लेगी।
अब मोनू हर हफ्ते कोठे पर जाता, हेमलता के लिए दवाइयाँ, कॉटन, हेल्थ टॉनिक, और पायल के लिए प्यार.. लेकर। अब हेमलता भी उससे घुलमिल गयी थी, वह मोनू को भईया कहती थी और अब उसके अंतर्मन का भय भी कम हो चला था।
पायल ने मोनू को कहा की वह एक दो बार किसी और के साथ भी बैठ जाया करे नहीं तो नायिका को शक हो जाएगा और वह हमारी जासूसी शुरू करा देगी।

"मैं भला किसी और के साथ, कैसे पायल मैने तो आज तक तुम्हारे साथ भी..? मुझसे नहीं होगा।"मोनू उदास होते हुए बोला।
"अरे दवाई बाबू इतना मत सोचिये, मुझे देखिए आपके प्यार के बाबजूद न चाहते हुए भी मुझे धंधा करना पड़ रहा है ना।
आप जाइये दूसरी लड़कियों के पास भी उस से नायिका को शक नहीं होगा।
ठीक है अगर आप कुछ नहीं करना चाहते हो तो मसाज करा लीजियेगा या सोने का बहाना कर दीजियेगा, मैं आपको बता दूँगी की कौन कौन लड़की इसमें हमारा साथ दे सकती है।" पायल ने कहा और उसके गाल पर चुम्बन करके मुस्कुराने लगी।
"प्यार हो रहा है भाई।" तभी हेमलता उसके कमरे में आई, अब हेमलता की सेहत में पहले से सुधार था।
"देखिए ना दीदी मैं इन्हें समझा रहीं हूँ की दूसरी लड़कियों के पास भी जाया करें नहीं तो नायिका को शक हो जाएगा लेकिन ये मान ही नहीं रहे।"पायल ने हेमलता को देखकर कहा।
"सही कह रही है पायल मेरे भाई।" हेमलता ने भी उसे समझाया।
अगली बार जब मोनू कोठे पर चढ़ा तो नशे में झूम रहा था, उसे देखते ही नायिका मुस्कुरा कर बोली, "आओ आज तो लगता है फुल मूड बनाकर आये हो पायल के लिए।"

"अरे का पायल पायल, कोनो अउर लड़की ना रही का मेडम? ई पायल मा अब कछु नाय बचो हमनी सारा बगीचा अच्छे से घूम लिए ओ ससुरी का, तो अब कोनो नई मस्त कली की खुसभु.. काय मेडम जी..।" मोनू आँख मारते हुए बोला।
"क्या बात है बाबू दो-चार बार में ही मन भर गया, हमें तो लगा था आशिक हैं आप पायल के, लेकिन आप तो कोठे पर क्या आने लगे पूरे ठरकी बन गए हो।
अब तो शराब और रोज नया शबाब..क्या बात है।" नायिका मुस्कुरा कर बोली।
"का कही आप मेडम जी, आशिक!! अउर हम उ भी ओ पायल का, ई कइसे होय सकत, कोठा वाली से इश्क हा. हा.. हा…!!, आपने सोचा भी कइसे की ई कोठा वाली से कोई मोहब्बत कर सकत है, अब कोइ होटल मा जात है डिनर के बास्ते तो का ससुर प्लेटवा गले में लटका लावत है का?
अरे मेडम जी ई कोठा मन बहलाने के लिए होत हैं, घर बसाने के लिए नाय। वैसे सच्ची कहें मेडम जी आशिक तो हम आपके हैं, आपही को देखे खातिर तो आत हैं ई कोठा पर, लेकिन आप हो के हमेशा दुसरकी लड़की के पास.., अरे मेडम जी कभी देखा हमरी आँखन मा तोहरे खातिर केतना प्यार बिया, हमार दिल तोहरा खातिर ही धड़कत मेडम जी एक बार अपने बाग की सैर कराई ना हमका।"मोनू जोर से हँसते हुए बोला।
"ओह!!, तो तुम पूरी तरह रंग गए बाजार के रंग में, लेकिन मैं धँधा नहीं करती बाबू इसलिए मेरा ख्याल छोड़ दो, चलो अच्छा है हमारा तो एक परमानेंट ग्राहक बढ़ गया।" नायिका ने खुश होते हुए कहा।
"आपसे धन्धे की कउन साला कह रहा है? अरे हम तो दोस्ती खातिर हकत हैं मेडम जी दोस्ती।" मोनू ने लड़खड़ाते हुए कहा।
"दोस्त तो हम आपके हैं ही तभी तो आपको सबसे अच्छी लड़की देते हैं कोठे की।" नायिका ने मुस्कुरा कर दूर हटते हुए कहा।
"अरे मेडम जी फिर अब बुलाओ भी कोई तितली, सारा नशा उतरा जा रहा है।" मोनू ने लड़खड़ाते हुए कहा।

"ठीक है आज मैं तेरे को पायल से भी मस्त लड़की देती ना और वो भी तेरी पायल की कीमत में।" नायिका ने उसका हाथ पकड़ा और उसे एक कमरे में छोड़ गई, जहाँ एक बहुत खूबसूरत अर्धनग्न लड़की तख्त पर बैठी थी।
"ले री कँगना, इसका जरा अच्छे से खयाल रखना, ये हमारा परमानेंट कस्टमर है, कोई शिकायत मिली तो साली...।" नायिका ने उसे धमकी सी दी और दरवाजा लगा कर चली गयी।
"आओ बाबू बोलो कैसे शुरू करूँ?" वह लड़की खड़ी होते हुए बोली।
"ऐ का तुम मसाज कर सकत हो?" मोनू ने आधी आंखें खोलते हुए कहा और लड़खड़ा कर उसके ऊपर गिर गया।

"जी साब।" उस लड़की ने कहा और मोनू को सहारा देकर बिस्तर पर लिटा दिया।
रात भर मोनू कभी उठकर लड़की को पकड़ता और फिर गिर कर सो जाता, तो कभी इसे गाली देकर ठीक से मसाज करने को कहता।
अब अक्सर मोनू कोठे पर जाकर नई लड़की की मांग करता। कभी-कभी वह पायल के पास भी जाता था। वह जब भी जाता नायिका की खूबसूरती की तारीफ करके उससे अपने प्यार का इज़हार जरूर करता था।
"अरे मेडम आप समझती नहीं हैं, मैं आपसे धंधे की नहीं कह रहा हूँ, अरे आपसे तो हमको इसक हुई गवा है, आपको धँधा करते देख कर हम मर नहीं जाऊँगा?
मेडम जी मैं तो बस ये कह रहा हूँ कि कभी साथ बैठते हैं, कुछ पियेंगे खाएंगे दिल की बातें करेंगे।
और कुछ नहीं मेडम जी मां कसम, बस तोहरा को आपन दिल का हाल कहना है।" मोनू ने मुस्कुरा कर नायिका से कहा और उसका हाथ पकड़ लिया।
"क्या गज़ब की खूबसूरती है तोहरा मेडम जी, अगर फिलम मा होते तो  करीना, प्रियंका इन सबकी छुट्टी कर देते, सच मैंने आपसे सुंदर कोई नहीं देखी।" मोनू उसकी आँखों में देखते हुए बोला।
"अच्छा अच्छा बहुत हुआ मस्का, तुझे देती हूं ना आज कोठे का हीरा वह भी कोड़ी के भाव।"नायिका ने मुस्कुराकर कहा लेकिन उसने अपना हाथ मोनू से नहीं छुड़ाया।
"ठीक है मत समझ जालिम इशारा मेरे प्यार का, कभी तो याद करेगी चेहरा इस यार का।" मोनू उसका हाथ धीरे से दबा कर बोला।
तब तक एक बहुत खूबसूरत पतली दुबली कम उम्र की लड़की वहाँ आ गई।
"ये ले मेरी तरफ से तौफा, इस पूरे बाजार का बेजोड़ नगीना।" नायिका ने मुस्कुरा कर, अपना हाथ छुड़ाकर उसका हाथ मोनू के हाथ में दे दिया।
"ठीक है आज इसके साथ काम चला लेता हूँ लेकिन इस दिल मे बस आपकी ही सूरत है।"मोनू मुस्कुरा कर बोला और उस लड़की के साथ चला गया।
अब मोनू अक्सर नायिका की सुंदरता की तारीफ करके उस से अपने प्यार का इज़हार करता, उसका हाथ पकड़कर बैठ जाता, नायिका को भी मोनू से बात करना अच्छा लगने लगा था, वह काफी देर मोनू से अपनी तारीफ सुनती, प्यार के इजहार पर मुस्कुराती और फिर उसे किसी दूसरी लड़की के साथ भेज देती।
मोनू वहाँ अक्सर या तो उस लड़की को पिला कर मदहोश कर देता, या खुद पी कर लुढ़क जाने का नाटक करता।
अब वह वहाँ की हर गतिविधि से पूरा परिचित हो चुका था उसे पता था कि कोठे पर किस दिन कितनी भीड़ होती है, कब किस समुदाय के लोग अधिक आते हैं।

उस दिन 'रेड लाइट एरिया' में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, दो दिन पहले ही मोनू पायल के साथ रह कर गया था और एक बैग उसके पास छोड़ गया था।
"आओ मेडम जी आज तो आप ही मेरा साथ दे दो, आज आपकी सारी तितलियां फूलों को चूसने में लगी हैं।" मोनू ने मेडम के पास बैठते हुए एक बहुत महंगी शराब की बोतल निकाली।
मोनू अब नायिका के कमरे में बेरोकटोक चला जाता था, दबी आवाज में इनके बारे में बातें भी होने लगीं थी।
"ठीक है आओ किसी अच्छी लड़की के फ्री होने तक बैठो, आज तो पायल भी फ्री नहीं है।" नायिका ने मुस्कुरा कर कहा।
"क्या मेडम जी, ये पायल, ये पलक, ये कँगना इनका एक-एक घुंघरू मैं अच्छे से बजा चुका हूँ, इनके हर अंग की आवाज खोखली हो चुकी है, अब इन सब में मज़ा नहीं।
लेकिन आपकी तो बात ही कुछ और है।" मोनू नायिका को बाहों में लेने का प्रयास करता हुआ बोला।
"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में जो बाकियों से अलग है?" नायिका नज़रे झुका कर मुस्कुरा कर, मोनू को हटाते हुए बोली।
"बहुत कुछ है, आप मुझे एक मौका तो दो मैं आपको आपकी सारी खूबियों के बारे में बताऊंगा, प्यार से विस्तार से।" मोनू उसके चेहरे को देखते हुए बोला।
"अच्छा कैसे? चलो बताओ।" नायिका ने कहा और दरवाजा बंद करने चली गयी।
बस इतनी ही देर में मोनू उसके शराब के गिलास में कुछ मिला चुका था।
"चलो अब शुरू करो बताना।" नायिका उसके पास बैठती हुई बोली।
"एक तो आपके ये गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल गुलाबी होंठ, जिनमें इस शराब से भी ज्यादा नशा है।" मोनू ने मुस्कुरा कर कहा और शराब का प्याला उसके होंठो से लगा दिया।
"और?"नायिका ने शराब के घूंट भरते हुए कहा।
"और आपकी ये नशीली आंखें, जिनका नशा पूरी जिनगी ना उतरे।" मोनू ने उसकी आँखों में देखते हुए जाम अपने हाथ में लेकर उसे पिला दिया और दूसरा पैग बनाने लगा।
नायिका की आंखें मुंदने लगी थीं, वह झूमने लगी थी।
तब तक मोनू ने दूसरा जाम उसके होंठो से लगा दिया और उसके अन्य अंगों की तारीफ करने लगा।
गिलास होंठो से हटने से पहले नायिका पीछे लुढ़क गयी और मोनू ने उसे बिस्तर पर लिटा कर चादर से ढक दिया।
पायल के कमरे से दो नाटे कद के मोटे पेट वाले काले-कलूटे सरदार झूमते हुए बाहर आये और लड़खड़ाते हुए सीढियाँ उतर कर नीचे चले गए।
नीचे गली के बाहर एक वैन खड़ी थी, दोनों सरदार उसमें जाकर बैठ गए।
अभी इन्हें बैठे दस-पन्द्रह मिनट ही हुए होंगे तभी मोनू भी आकर वैन में बैठ गया और वैन चल दी।
"काम ठीक से हो गया था ना?"; मोनू ने एक सरदार से पूछा।
"हाँ पापा जी, असी इतना तगड़ा डोज दित्ते की साली सुबह तक ना उठेगी।
और तुवाड़ा काम बाऊ साब?" उसने मोनू से पूछा।
"सब चंगे तरीके से हो गया वीर जी, पूरा मज़ा आया।"; मोनू ने कहा और तीनों हँसने लगे।
रात के दो बजे थे पूरी रोड सुनसान थी और ये वैन अपनी फुल स्पीड में दौड़ रही थी।
दिन के कोई दस बजे ये वैन हरिद्वार पहुँची जहाँ ये तीनों चण्डी मन्दिर से पहले जँगल में ही वैन से उतर गए।";

जँगल में छिप कर दोनों सरदारों ने अपने कपड़े उतारे, ये दोनों  सरदारों के भेष में पायल और हेमलता थे।
पायल ने भी अपने ग्राहक की शराब में नींद की दवाई मिला दी थी और भेष बदलने का सामान, दो दिन पहले ही मोनू इनको दे आया था।
पायल और हेमलता ने खूब मल-मल कर माँ गंगा के जल से खुद को धोया, जैसे ये तन के साथ मन को भी धो देना चाहती हों।
खूब अच्छे से नहा कर मंदिर दर्शन करके दोनों लड़किओं ने पहाड़ी औरतो वाले कपड़े पहने और घूंघट लेकर मोनू के साथ टैक्सी स्टैंड पहुँच गयीं।
मोनू ने गढ़वाली में टैक्सी वाले को कुछ समझाया और तीनों टैक्सी में बैठ गए।
यूँ तो रेड लाइट में दिन के दो बजे तक सुनसान रहना आम बात थी, इस समय तक लगभग सभी सोये रहते थे, किन्तु नायिका हमेशा बारह एक बजे से ही घूमना शुरू कर देती थी।
लेकिन उस दिन चार बजे तक भी नायिका उठ कर बाहर नहीं आयी।
सारी लड़कियाँ सज धज कर कोठे पर टहलने लगीं लेकिन नायिका का द्वार बंद ही था।
दो-तीन लड़कियों ने दो गार्डो के साथ जाकर देखा, नायिका चादर ओढ़े सो रही थी।
एक लड़की ने बड़ी हिम्मत करके चादर खींचते हुए आवाज लगाई, "नायिका जी, आपकी तबियत तो ठीक है? आज तो शाम होने को आई और आप उठी भी नहीं।";
"क्या!!, नायिका ने हड़बड़ा कर आंखें खोलीं।
ओह्ह!!, धोखा वो साला भड़वा मीठी-मीठी बातें करके मुझे बेहोशी की दवा पिला गया।" नायिका गुस्से से चीखी।

"जाओ हरामखोरो जल्दी जाकर पता करो कोई लड़की गायब तो नहीं है कोठे से।
अरे उस कुतिया पायल को देखो कहीं उस साले के साथ भाग तो नहीं गई।" नायिका पागलों की तरह चीख रही थी।
"पायल और हेमलता अपनी कोठरियों में नहीं हैं" किसी ने आकर कहा।
"ढूंढो हरामखोरो को, भाग कर कहाँ जाएँगे? उन्हें पता नहीं मेरी पहुंच का, पाताल से भी खोज निकलूंगी हरामियों को और इसके बाद इनका जो हश्र होगा… देखना तुम लोग..।" नायिका का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था।
"पूरे कोठे पर कहीं नहीं है…….. अरे सारी गालियाँ छान डाली, कहीं नहीं मिले।" लोग आकर नायिका को बताते रहे।
"हेल्लो, इंस्पेक्टर.. हाँ.. हाँ दो लड़कियाँ गायब हैं, हाँ एक तो वही है जिसे तुम लोग एक बार पकड़ कर लाये थे, इतना टॉर्चर किया था साली को की कोठे की सीढ़ियों पर पैर रखने में भी काँप जाती थी और आज अचानक पर निकल आये साली के जो उड़ गई..,हां मिलने दो अबकी बार, साली की खाल उतार कर कंकाल कोठे के शोकेस में रखवा दूँगी, ताकि बाकियों को सबक मिलता रहे।" नायिका फोन मिला कर बातें करने लगी।

"हेल्लो पुलिस.., अरे सर आपके रहते मेरे कोठे की दो रंडियाँ भाग गयीं,.. हाँ सर साला कोई बिहारी था, पहले तो कुछ दिन बराबर उस कुतिया के पास गया लेकिन कुछ दिन से हर दिन नई रंडी मांगता था..साला कहता था मन भर गया पायल से….मुझ पर डोरे डाल रहा था… जी सर हमे तनिक भी शक नहीं हुआ.. जी जी यहीं मेडिकल पर दवाई सप्लाई करने आता था।" नायिका बेचैन होकर बार-बार कभी पुलिस को तो कभी अपने सरपरस्त नेताओ को फोन मिला रही थी।
"उसका कोई पक्का पता किसी के पास नहीं है नायिका, बस लोगों को इतना ही मालूम है कि वह अनाथ था और पूर्वान्चल या बिहार में कहीं का रहने वाला है। हमने पूर्वांचल और बिहार जाने वाली सभी ट्रेन और बसों की तलाशी के आदेश दे दिए हैं, तुम बस दोनों लड़कियों की फ़ोटो हमें जल्दी से भेज दो।
"भेज दिया सर आपके व्हाट्सप पर, सर ये मेरे कोठे की रेपुटेशन का सवाल है। आज तक किसी कोठे से कोई रण्डी नहीं भागी और अगर भगने की कोशिश भी की तो उसका हश्र सबके लिए सबक बन गया।
इस 'रेड लाइट एरिया' से अगर कोई लड़की भागने में कामयाब हो गयी सर तो सारी लड़कियाँ उड़ने के ख्वाब देखने लगेंगी।
कुछ भी करके सर दोनों रंडियाँ मुझे यहाँ चाहियें… ना.. ना सर पैसे की फिक्र नहीं है, ये 'रेड लाइट एरिया' की रेपुटेशन का सवाल है।" नायिका किसी से बात कर रही थी।
और मोनू , पायल और हेमलता के साथ उत्तराखण्ड की दुर्गम पहाड़ियों में दूर कहीं पतली पगड़न्ड़ी पर चला जा रहा था, कोई दो घण्टे से।
"और कितना समय लगेगा दवाई बाबू, मेरे तो पैर दुखने लगे और तुमने तो कहा था कि तुम बिहारी हो तो फिर हम इन पहाड़ो में क्या कर रहे हैं ?" पायल ने मोनू को देखते हुए कहा।
"मेरा गाँव यहीं है इन पहाड़ों की गोद में, एक भयानक सैलाब से आई तबाही ने मेरे पूरे गांव को मिटा दिया था, मेरा पूरा परिवार उस त्रासदी में मलबे के साथ बह गया।
मैं उस समय कहीं बाहर था इस लिए बच गया, पूरे गांव से इकलौता मैं ही जिंदा बचा था। दिल्ली में मैं जिस शरणार्थी कैम्प में रहा उनमे ज्यादातर बिहार के बाढ़ पीड़ित लोग थे, तो वहाँ मेरा पता भी बिहार का ही लिख दिया गया और फिर उन लोगों के साथ रहकर मैने भी थोड़ा बहुत भोजपुरी बोलना भी सीख लिया।
सरकार से जो आर्थिक सहायता मिली थी उसमें से आधी आप लोगों को निकालने में खर्च हो चुकी है बाकी नहीं बैंक में जमा है, लेकिन मैंने कभी अपना सही पता वहाँ किसी को नहीं  बताया। बस हर जगह वही सरकारी कागज दिखा देता था जो शरणार्थी कैम्प से मिला था। आज वह पता ना बताना हमारे काम आएगा।
सुदूर पहाड़ों में हमारी थोड़ी सी जमीन है, अब बस वहीं पहुँचकर नई जिंदगी शुरू करेंगे और वे लोग हमें खोजेंगे बिहार के रास्ते पर।"मोनू ने बताया।
"फिर भी भईया हमें कितना और चलना होगा? देखो बेचारी पायल भाभी कितना थक गई है। ऐसा करो मैं आगे चलती हूँ तुम भाभी को गोद में उठा कर ले आओ।" हेमलता ने हँसते हुए कहा और पायल ने शरमा के चेहरे छिपा लिया।
"बस कोई दो तीन घण्टे और दीदी, उसके बाद हम पहुँच जाएंगे किसी भी 'रेड लाइट एरिया' की पहुंच से बहुत दूर, जहाँ हमारा एक छोटा सा अपना घर होगा।"; मोनू ने हँसते हुए कहा और दोनों लड़कियाँ चुपचाप उसके पीछे चलने लगीं।
नृपेंद्र शर्मा "सागर"
९०४५५४८००८